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एक सीन के जब महज 11 रुपये लेते थे मनोज कुमार, जिदंगी से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें

बॉलीवुड एक्टर मनोज कुमार का निधन हो गया है जिससे उनके फैंस को बहुत बड़ा झटका लगा है। मनोज कुमार के निधन से पूरी इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। चलिए आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से।

Author Edited By : Himanshu Soni Updated: Apr 4, 2025 14:46
Manoj Kumar Interesting Life Facts
Manoj Kumar Interesting Life Facts

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का 4 अप्रैल 2025 को मुंबई में निधन हो गया। 87 साल के इस महान कलाकार ने अपने जीवन में भारतीय सिनेमा को देशभक्ति से ओत-प्रोत कई यादगार फिल्में दीं। ‘भारत कुमार’ के नाम से मशहूर मनोज कुमार ने अपने अभिनय और निर्देशन से लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना भर दी। आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ अहम पहलू।

मनोज कुमार का असली नाम

मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी था। उन्होंने 1949 में दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ से प्रेरित होकर अपना नाम बदल लिया।

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बंटवारे का दर्द

1947 के विभाजन के दौरान उनका परिवार पाकिस्तान से दिल्ली आ गया, जहां उन्होंने आर्थिक और मानसिक संघर्षों का सामना किया। इस दौरान उन्होंने अपने छोटे भाई को खो दिया।

फिल्मों में एंट्री 

1957 में ‘फैशन’ फिल्म से उन्होंने अभिनय की शुरुआत की, लेकिन कोई खास पहचान नहीं मिली। शुरुआती दिनों में उन्होंने घोस्टराइटिंग भी की, जिसके लिए उन्हें 11 रुपये प्रति सीन मिलते थे।

देशभक्ति की छवि

1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उनसे ‘जय जवान, जय किसान’ पर फिल्म बनाने को कहा, जिससे 1967 में ‘उपकार’ बनी और उन्होंने ‘भारत कुमार’ की उपाधि पाई।

मनोज कुमार की फेमस फिल्में

‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों ने उन्हें अपार लोकप्रियता दिलाई।

पाकिस्तानी कलाकारों को मौका

1989 में जब भारत-पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण थे, तब भी उन्होंने फिल्म ‘क्लर्क’ में पाकिस्तानी कलाकार मोहम्मद अली और जेबा को कास्ट किया।

करियर का उतार-चढ़ाव

‘क्रांति’ के बाद उनका करियर धीमा हो गया और 1995 में ‘मैदान-ए-जंग’ के बाद उन्होंने अभिनय छोड़ दिया।

डायरेक्टर के आखिरी दर्शन 

1999 में उन्होंने अपने बेटे कुणाल गोस्वामी के साथ फिल्म ‘जय हिंद’ का निर्देशन किया, जो उनकी आखिरी फिल्म थी।

सम्मान और पुरस्कार

1992 में उन्हें पद्मश्री और 2015 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जब वो पुरस्कार लेने पहुंचे, तो दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से उनका स्वागत किया।

परिवार और विरासत

वो अपनी पत्नी शशि गोस्वामी और दो बेटों कुणाल और विशाल गोस्वामी को छोड़ गए। उनकी देशभक्ति से भरी फिल्में उन्हें सिनेमा जगत में अमर बनाए रखेंगी।

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First published on: Apr 04, 2025 02:46 PM

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