Aamir Khan Movies Journey: बाल कलाकार के रूप में बॉलीवुड से जुड़े आमिर खान अब सीनियर सिटीजन की उम्र के 60वें साल में प्रवेश कर गए हैं। आमिर खान का इन आठ साल से 60 साल का सफर काफी रोमांचक है। यादों की बारात से 1973 में जब आमिर ने बॉलीवुड में एंट्री ली तो कोई नहीं जानता था कि ये बच्चा आगे चलकर मिस्टर परफेक्शनिस्ट बनेगा। 1974 में मदहोश में भी बाल किरदार रहे। उसके 9 साल बाद बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर उनकी फिल्म ‘परनिया’ आई। अगले ही साल 1984 में उनकी यंग ऐज की पहली फिल्म होली रिलीज हुई, लेकिन उन्हें रातों रात स्टार बनाने वाली फिल्म जूही चावला के साथ कयामत से कयामत तक रही। उनकी अपकमिंग फिल्मों में साउथ फिल्म कुली के अलावा सितारे जमीं पर और लाहौर 1984 शामिल है।
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आमिर खान का असली नाम
क्या आप आमिर खान का असली नाम जानते हैं? फिल्ममेकर ताहिर हुसैन और जीनत हुसैन के घर जन्में बच्चे का नाम मोहम्मद आमिर हुसैन खान रखा गया था, जिसे बाद में दो बार बदला गया। पहली फिल्म में उन्हें आमिर हुसैन के नाम से क्रैडिट दिया था, जबकि ‘क़यामत से क़यामत तक’ में उनका नाम आमिर खान शुरू हुआ, जो अब तक चला आ रहा है।
आमिर खान के वो किरदार, जिन्हें युवाओं ने अपनाया
आमिर खान बॉलीवुड में ऐसे अभिनेता हैं, जिनके फिल्मी रोल रियल लाइफ में समाज पर असर डालते हैं। युवाओं ने उनके कई किरदारों को अपनी जिंदगी में अपनाया भी है।
3 इडियट्स फिल्म में आमिर खान का मंत्र ‘ऑल इन वेल’, हर फील्ड में मनोबल बढ़ता है। रैंचो के किरदार से युवा प्रेरणा लेते हैं। जिप से जहाज तक सब मशीन हैं। डिग्री और नंबरों से ज्यादा जरूरी ज्ञान और क्रिएटिविटी है।
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गजनी फिल्म में आमिर खान के संजय सिंहानिया के किरदार की डेडिकेशन और ट्रांसफार्मेशन ने फिटनेस को लेकर युवाओं में जबरदस्त क्रेज पैदा किया। इस फिल्म के बाद युवाओं में बॉडी बिल्डिंग का ट्रेंड काफी बढ़ गया।
रंग दे बसंती में अजय के किरदार ने युवाओं में देशभक्ति और सामाजिक बदलाव की भावना को जगाया। फिल्म का संदेश था कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसे बदलने के लिए खुद आगे आना होगा। कॉलेज स्टूडेंट्स ने इस फिल्म से बहुत प्रेरणा ली और इसे अपनी सोच में शामिल किया।
दंगल में महावीर सिंह फोगाट का किरदार मेहनत, समर्पण और लड़कियों की समानता का प्रतीक बना। इस फिल्म ने महिलाओं की खेलों में भागीदारी को बढ़ावा दिया और युवाओं को अपने सपनों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।
लगान में भुवन का किरदार टीम वर्क, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प का उदाहरण था। फिल्म ने युवाओं को यह सिखाया कि अगर हिम्मत और एकजुटता हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।