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जिंदगी के इम्तिहान में फेल हुआ ये मशहूर सिंगर, 78 साल की उम्र में तोड़ा दम

Kamlesh Awasthi: हिन्दी सिनेमा के जाने-माने गायक कमलेश अवस्थी ने 78 साल की उम्र में आखिरी सांस ली है। 'जिंदगी इम्तिहान लेती है' जैसे सुपरहिट गानों में अपनी आवाज देने वाले कमलेश बेशक अब इस दुनिया में नहीं रहे। मगर गायिकी के क्षेत्र में उनका योगदान लोग हमेशा याद रखेंगे।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Mar 29, 2024 16:26
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Kamlesh Awasthi death

Kamlesh Awasthi: मशहूर सिंगर कमलेश अवस्थी (Kamlesh Awasthi) ने 78 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है। कमलेश अवस्थी की मौत पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। हिन्दी सिनेमा के कई सुपरहिट गानों में आवाज देने वाले कमलेश अवस्थी की अचानक हुई मौत से सभी को गहरा सदमा लगा है। खासकर कमलेश के फैंस के लिए यह खबर काफी शॉकिंग है। तो आइए जानते हैं कमलेश अवस्थी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में।

कमलेश अवस्थी के सुपरहिट गाने

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कमलेश अवस्थी ने ‘ट्रिब्यूट टू मुकेश’ (Tribute to Mukesh) एल्बम के साथ अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की थी। मगर उन्हें असली पहचान फिल्म ‘नसीब’ (Naseeb) के गाने ‘जिंदगी इम्तिहान लेती है’ (Zindagi Imtehan leti hai) से मिली। इसके अलावा उन्होंने राज कपूर की आखिरी फिल्म ‘गोपीचंद जासूस’ (Gopichand Jasoos) में भी अपनी आवाज दी थी। इस फिल्म में कमलेश के गाए गाने ‘चीन नहीं जापान नहीं’ और ‘दिल दिवाना तेरा’ को लोगों ने काफी पसंद किया था। इसके अलावा फिल्म ‘प्यासा सावन’ (Pyaasa Sawan) का गाना ‘तेरा साथ है तो’ भी कमलेश के एवरग्रीन सॉन्ग्स की फेहरिस्त में शुमार है।

वॉइस ऑफ मुकेश

कमलेश अवस्थी ने कई हिन्दी और गुजराती गानों में अपनी आवाज का जादू चलाया था। कमलेश को राज कपूर की फिल्म ‘गोपीचंद जासूस’ में गाना गाने के लिए सम्मानित किया गया था। इस दौरान कमलेश ने कहा था कि देश का मुकेश वापस आ गया है। इसके बाद कमलेश को अक्सर ‘वॉइस ऑफ मुकेश’ (मुकेश का आवाज) कहा जाता था। बता दें कि मुकेश चंद माथुर को हिन्दी सिनेमा के बेस्ट प्लेबैक सिंगर्स में गिना जाता था, जिनकी तुलना कमलेश अवस्थी से होने लगी थी।

म्यूजिकल स्टेज शो में कमाया नाम

हिन्दी फिल्मों में आवाज देने के अलावा कमलेश अवस्थी को म्यूजिकल स्टेज शो का भी चैंपियन कहा था। गुजरात के सावरकुंडला में जन्में मुकेश को बचपन से ही सिंगिंग में इंट्रेस्ट था। उनका जन्म 1945 में हुआ, जिसके बाद उन्होंने गुजरात के भावनगर विश्वविद्यालय से एम.एस.सी और पी.एच.डी की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने भावनगर के सप्तकला दाखिला लिया और भरभाई पंड्या के मार्गदर्शन में संगीत सीखना शुरू कर दिया। कमलेश की सच्ची मेहनत और लगन का ही परिणाम था कि उन्होंने कुछ ही समय में संगीत में महारथ हासिल कर ली।

 

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News24 हिंदी

First published on: Mar 29, 2024 04:26 PM

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