Succsess Strory: हम में से आज हर कोई सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है, और कौन नहीं चाहता कि उनके भी लाखों फॉलोवर्स हों। हमने सोशल मीडिया में हर तरह के इन्फ्लुएंसर को देखा होगा, लेकिन उनमें से बहुत कम होते हैं जो सफलताओं की ऊंचाई को छूने के बाद भी अपना वक़्त समाज में बदलाव लाने और लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में दे पाते हैं।
ऐसे ही एक शख्स हैं जो कुशल सिविल सर्वेंट बन देश की सेवा भी कर रहे हैं और साथ ही व्यस्तता भरे जीवन के बावजूद अपना वक़्त निकल कर सोशल मीडिया के जरिये लोगों की मदद और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं वर्ष 2008 बैच के आई.आर.एस. अधिकारी देव प्रकाश मीणा की, सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर हैं। यहां जानेंगे उनकी खासियत!
आई.आर.एस. देव प्रकाश मीणा सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं, कई बार क्राउड फंडिंग के जरिये जरूरतमंद, असहाय लोगों की आर्थिक मदद करते हैं और कई बार तो उनके द्वारा शेयर किये गए पोस्ट जनता और प्रशासन को कई चीज़ों के बारे में अवगत तो कराते हैं। साथ ही कई सकारात्मक बदलाव की एक कड़ी भी साबित होते है।
एक बार इन्होंने 15 अगस्त 2020 को बाड़मेर के गुडमालानी विधानसभा क्षेत्र के एक प्राइमरी स्कूल हरसुकराम की ढाणी के टीचर ने स्कूल में ध्वजारोहण तस्वीर की सोशल मीडिया में शेयर की जिसमें स्कूल की ढांचागत स्थिति काफी ख़राब थी, स्कूल सड़े-गले छप्पर में संचालित थी। देव प्रकाश मीणा ने तस्वीर देखते ही तुरंत इसे सोशल मीडिया शेयर कर लोगों से अपील की वो भी इसे शेयर कर अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और प्रशासन तक बात पहुंचाए।
उन्होंने PM, CM, शिक्षा मंत्री, विधायक, सांसद को टैग किया, उनके पोस्ट का असर ये हुआ कि पूरे महकमे के उच्च आला अधिकारियों तक बात पहुंची और फिर राजस्थान सरकार ने स्कूल के लिए 50 लाख रुपये आवंटित कर स्कूल के लिए नए भवन का निर्माण कराया।
कोरोना काल के दौरान भी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, गुजरात से पैदल चल रहे मजदूरों के बारे में भी उन्होंने सोशल मीडिया पर जानकारियां शेयर की जिसके कारण कई लोगों तक मदद पहुँच सकी।
वर्तमान में देव प्रकाश मीणा गुजरात मे कच्छ कमिशनरेट के कस्टम विभाग में एडिशनल कमिशनर के पद पर पदस्थापित हैं। उनका शुरुआती जीवन काफी आम और संघर्षशील रहा। उनका जन्म 1 जुलाई 1978 में राजस्थान के दौसा जिले की महवा तहसील के बीरासना गाँव में हुआ था। उनका भरण-पोषण साधारण से परिवार में ग्रामीण परिवेश में हुआ था और वहीँ उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी हुई। अपनी माध्यमिक शिक्षा के लिए उन्हें गाँव से 2 किमी पैदल चल कर जाना पड़ता था।
पढाई के साथ उन्होंने गाँव-घर के सारे कामों भी परिश्रम किया। उन्होंने स्नातक की डिग्री बी.ए इतिहास ऑनर्स और अंग्रेजी साहित्य में राजस्थान कॉलेज, राजस्थान यूनिवर्सिटी से हासिल की। जहाँ उन्हें यूपीएससी सिविल सर्विसेज के बारे में मालूम चला और फिर उन्होंने तैयारी शुरू कर दी। उनके पिताजी बाल साहित्य से जुड़ी मंथली मैगज़ीन लाते रहते थे जिसे पढ़ कर ही उनका पूरा बचपन बीता। माता स्व. श्रीमती द्रौपदी देवी द्वारा सिखलाई नैतिक शिक्षा के बोध से उनका व्यक्तित्व निर्माण होता गया, जिसने आगे चलकर उनके व्यक्तित्व और चरित्र को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
देव प्रकाश मीणा पहले ही प्रयास में राज्य पीएससी परीक्षा (RAS) में सफल हो चुके थे, लेकिन उनका लक्ष्य यूपीएससी था। जिसके लिए बाद में उन्होंने दिल्ली से कोचिंग ली और आईएएस की तैयारी की। इस बीच दृष्टि संस्थान के निदेशक – श्री विकास दिव्यकीर्ति जी से पढ़ने दौरान वह काफी प्रभावित हुए, वहीँ उन्होंने निर्णय किया कि सिविल सेवा में जिस भी पद पर रहेंगे अपने कर्तव्य निर्वहन के साथ संवैधानिक दायरे के अंदर लोगों की हरसंभव मदद करेंगे।
सोशल मीडिया पर देव प्रकाश मीणा युवाओं के साथ निरंतर संवाद करते रहते हैं। यूपीएससी और सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं के लिए उनका समय-समय मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें मोटिवेट भी करते हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि के कारण उन्होंने लोगों को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में संघर्ष देखा है, वह दलित पिछड़े, आदिवासियों और महिलाओं को सामाजिक न्याय के प्रति जागरूक कर रहे हैं तथा समाज को इस विषय के प्रति संवेदनशील भी बना रहे हैं। और यहीं कारण है उनकी इतनी लोकप्रियता का जो सही मायने में हम सब के लिए प्रेरणादायी है।
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