Stock Market News: शेयर मार्केट में बड़े दिन बाद आज हरियाली देखने को मिली है। शुरुआती कारोबार से सेंसेक्स और निफ्टी दौड़ लगा रहे हैं। बीते पांच महीनों से निवेशक ऐसी हरियाली के लिए तरस रहे थे। लेकिन एक अहम सवाल यह है कि क्या बाजार दबाव से बाहर आ गया है या फिर यह तेजी अस्थाई है? फिलहाल, इसका सटीक जवाब किसी के पास नहीं है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजार को बूस्ट देने वाले विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की वापसी के लिए कैपिटल गेन टैक्स पर सरकार को अपना रुख बदलना होगा।
सबसे बड़ी गलती
हाल ही में हेलियोस कैपिटल (Helios Capital) के संस्थापक और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर (CIO) समीर अरोड़ा ने कैपिटल गेन टैक्स को सरकार की सबसे बड़ी गलती करार दिया था। उनका मानना है कि इससे विदेशी निवेशकों के मनोबल कमजोर हुआ है और वह लगातार बिकवाली कर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जहां विदेशी निवेशकों को भी शेयर बाजार से हुए मुनाफे पर टैक्स देना पड़ता है।
कुछ कम ही कर दे
कैपिटल गेन टैक्स पर सरकार से पुन: विचार की मांग हो रही है, लेकिन सरकार शायद इस पर कदम वापस न खींचे। क्योंकि ऐसा करने से उसके खजाने पर असर पड़ेगा। लिहाजा, विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति में सरकार टैक्स को कुछ कम कर देना चाहिए। मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, HDFC सिक्योरिटीज के प्राइम रिसर्च हेड देवर्ष वकील का कहना है कि सरकार को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) सिर्फ विदेशी ही नहीं, भारतीय निवेशकों के लिए भी खत्म कर देना चाहिए। हालांकि, सरकार रेवेन्यू के चलते ऐसा नहीं करेगी. लिहाजा ऐसा किया जा सकता है कि होल्डिंग पीरियड को 1 साल से बढ़ाकर 2-3 साल कर दें और उसके बाद टैक्स को हटा दें।
कितना है टैक्स?
पिछले साल बजट में शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों कैपिटल गेन पर टैक्स में इजाफा किया गया। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर टैक्स को 15% से 20% किया गया। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के मामले में इसे 10% से बढ़ाकर 12.5% किया गया और 1 लाख छूट के दायरे को बढ़ाकर 1.25 लाख कर दिया गया। बता दें कि एक वर्ष के भीतर दर्ज किए गए लाभ को अल्पकालिक लाभ यानी शॉर्ट टर्म गेन माना जाता है।
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क्यों जरूरी है बदलाव?
पिछले साल जब कैपिटल गेन टैक्स दरें बढ़ाई गईं, तब भी निवेशकों ने इसका विरोध किया था। हालांकि उस समय बाजार में लिक्विडिटी अधिक थी और निवेशकों के पोर्टफोलियो में अच्छा मुनाफा नजर आ रहा था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। लिहाजा सरकार का इस पर ध्यान देना जरूरी हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, खैतान एंड कंपनी के पार्टनर दिवस्पति सिंह ने कहा कि टैक्स का बोझ और मौजूदा कमजोर रिटर्न मिलकर विदेशी निवेशकों का भारत के प्रति आकर्षण कम कर रहे हैं।
क्या होगा असर?
अन्य एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि अब समय आ गया है कि सरकार कैपिटल गेन टैक्स पर अपना रुख बदले। उनके मुताबिक, अगर सरकार LTCG की दरों में कटौती करती है, तो इससे विदेशी पूंजी आकर्षित करने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों और निवेशकों की तरफ से कैपिटल गेन टैक्स को खत्म करने या कम करने का सरकार पर क्या असर होता है, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन अगर बाजार में आज वाली तेजी बरकरार रहती है, तो फिर शायद सरकार ऐसी मांगों पर खास ध्यान न दे।