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Volkswagen की हड़ताल से भारतीय कंपनियों पर क्या असर? आप भी नहीं रहेंगे अछूते

Volkswagen Strike Can Impact Indian Companies: जर्मन की कार कंपनी फॉक्सवैगन इस समय बड़े संकट का सामना कर रही है। कंपनी के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताली रुख अपनाए हुए हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि मांगें पूरी होने तक वह पीछे नहीं हटने वाले।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Dec 10, 2024 09:31
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Volkswagen Crisis: दिग्गज जर्मन कार कंपनी फॉक्सवैगन (Volkswagen) इस समय मुश्किलों से गुजर रही है। कर्मचारी संगठन हड़ताल के जरिये कंपनी पर उनकी मांगों को पूरा करने का दबाव बना रहे हैं। 9 दिसंबर यानी कल जर्मनी में फॉक्सवैगन के 10 में से नौ कारखानों के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इससे पहले दिसंबर की शुरुआत में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था। कल हड़ताली कर्मचारियों और मैनेजमेंट के बीच बातचीत हुई है, लेकिन कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई। अगर कर्मचारी हड़ताली रुख कायम रखते हैं तो कंपनी भारी मुश्किल में पड़ सकती है।

बड़ी आर्थिक चोट की आशंका

दिसंबर से लेकर जनवरी तक कारों की बिक्री में इजाफा देखने को मिलता है। ऐसे में हड़ताल फॉक्सवैगन को बड़ी आर्थिक चोट दे सकते है। वहीं, फॉक्सवैगन के इस संकट का कई भारतीय कंपनियों पर भी असर पड़ सकता है। क्योंकि महिंद्रा सहित कई कंपनियों ने इस जर्मन कार मेकर के साथ किसी न किसी रूप में हाथ मिलाया हुआ है। लिहाजा, उनके लिए भी फॉक्सवैगन में हालात सामान्य होना बेहद ज़रूरी है।

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क्यों नाराज हैं कर्मचारी?

भारतीय कंपनियों पर प्रभाव से पहले यह समझते हैं कि आखिर फॉक्सवैगन के कर्मचारी अपने प्रबंधन से नाराज क्यों हैं? दरअसल, प्रस्तावित वेतन कटौती, बड़े स्तर पर छंटनी और 3 कारखाने बंद करने की योजना ने कर्मचारियों को परेशान कर रखा है। कंपनी का कहना है कि उसे लागत में कटौती के लिए यह कदम उठाना होगा। जबकि कर्मचारी इसके लिए तैयार नहीं हैं।

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महिंद्रा को मिलते हैं EV पार्ट्स

भारत की कई कंपनियां किसी न किसी रूप में इस जर्मन कंपनी से जुड़ी हैं। महिंद्रा ने अपनी इलेक्ट्रिक कारों के पार्ट्स के लिए फॉक्सवैगन से समझौता किया हुआ है। इस सप्लाई अग्रीमेंट के तहत जर्मन कार मेकर से महिंद्रा को मोटर, बैटरी सिस्टम और सेल्स मिलते हैं. 2024 की शुरुआत में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि महिंद्रा की इस साल आने वालीं इलेक्ट्रिक कारों में फॉक्सवैगन के EV कॉम्पोनेन्ट होंगे। कंपनी ने हाल ही में अपनी दो नई EV पेश की हैं। ऐसे में अगर फॉक्सवैगन में हालात बिगड़ते हैं, तो महिंद्रा की परेशानी भी बढ़ सकती है।

Ceat और एंड्योरेंस का भी रिश्ता

महिंद्रा की तरह ही दिग्गज टायर कंपनी Ceat के लिए भी फॉक्सवैगन में हालात जल्द सुधारना ज़रूरी है। सीएट ने टायरों के लिए फॉक्सवैगन के साथ पार्टनरशिप की है। Volkswagen Polo में इसी कंपनी के टायर इस्तेमाल होते हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि कंपनी की कुल इनकम का 4.5% हिस्सा उसे फॉक्सवैगन से ही मिलता है। इसी तरह, भारत की ऑटोमोटिव कॉम्पोनेन्ट कंपनी एंड्योरेंस टेक्नोलॉजीज का रिश्ता भी फॉक्सवैगन के साथ है। कंपनी के क्लाइंट की लंबी-चौड़ी लिस्ट है, जिसमें फॉक्सवैगन का नाम भी शामिल है।

SAMIL की क्लाइंट है फॉक्सवैगन

संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल (SAMIL) की नजर भी फॉक्सवैगन की स्थिति पर है। SAMIL फॉक्सवैगन को पेंटेड बंपर, डैशबोर्ड, डोर पैनल और इंस्ट्रूमेंट पैनल सहित एक्सटीरियर और इंटीरियर पॉलीमर मॉड्यूल की आपूर्ति करती है। एक रिपोर्ट की मानें, तो कंपनी की कुल आमदनी में फॉक्सवैगन की हिस्सेदारी 9% है। Daimler, Volkswagen, BMW, और Ford आदि SAMILके क्लाइंट हैं।

आप पर ऐसे हो सकता है असर

सुप्रजीत इंजीनियरिंग भी फॉक्सवैगन से कनेक्टेड है। यह भारतीय कंपनी ऑटोमोटिव केबल और हैलोजन बल्ब निर्माण में लीडर है। सुप्रजीत इंजीनियरिंग फॉक्सवैगन सहित कई दिग्गज कंपनियों को केबल सप्लाई करती है। यदि फॉक्सवैगन के लिए स्थिति सामान्य नहीं होती और कर्मचारी वापस पहले की तरह काम पर नहीं लौटते तो इन भारतीय कंपनियों की आर्थिक सेहत भी प्रभावित हो सकती है। साथ ही स्टॉक मार्केट में इनके प्रदर्शन पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में अगर आपने इन कंपनियों पर दांव लगाया है तो आपको भी कुछ न कुछ नुकसान होने की आशंका बनी रहेगी।

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Edited By

News24 हिंदी

First published on: Dec 10, 2024 09:31 AM

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