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UPI Payment को लेकर बदल गया ये नियम, जानें आप पर क्या होगा असर?

Automated Chargeback Process: यदि आप UPI पेमेंट करते हैं, तो आपके लिए काम की खबर है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने चार्जबैंक अनुरोध को लेकर नियमों में बदलाव किया है।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Feb 17, 2025 12:01
UPI
UPI (File Photo)

UPI Payment New Rule: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI हमारी फाइनेंशियल लाइफ का एक अहम हिस्सा बन गया है। UPI के आने के बाद से पॉकेट में वॉलेट रखने वालों की संख्या काफी कम हो गई है, क्योंकि अधिकांश लेनदेन UPI के जरिए ही होने लगे हैं। अब इस डिजिटल पेमेंट सुविधा को और बेहतर बनाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। चार्जबैक रिक्वेस्ट स्वीकार या अस्वीकार करने की प्रक्रिया को ऑटोमेट कर दिया गया है।

क्या है प्रक्रिया?

अगर किसी व्यक्ति का UPI ट्रांजेक्शन फेल हो जाता है और रिफंड भी अकाउंट में क्रेडिट नहीं होता, तो उसे अपने बैंक से चार्जबैक रिक्वेस्ट करनी होती है। पहले इस रिक्वेस्ट को मैन्युअली वेरिफाई किया जाता था, जिससे देरी होती थी। अब NPCI के नए नियमों के तहत ट्रांजेक्शन क्रेडिट कन्फर्मेशन (TCC) या रिटर्न रिक्वेस्ट (RET) के आधार पर चार्जबैक रिक्वेस्ट अपने आप स्वीकार या अस्वीकार हो जाएगी, जिससे प्रक्रिया में तेजी आएगी।

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अब नहीं लगेगा समय

TCC और RET सिस्टम यूपीआई उपयोगकर्ताओं को यह जानकारी देने में मदद करते हैं कि लेन-देन की राशि लाभार्थी बैंक तक पहुंची या नहीं, इस प्रकार वे कम्यूनिकेटर के रूप में कार्य करते हैं। यदि पैसा पहले ही लाभार्थी बैंक तक पहुंच चुका है, तो लेन-देन सफल माना जाता है और चार्जबैक अनुरोध की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, अगर किसी कारण से पैसा लाभार्थी बैंक में जमा नहीं होता, तो उसे पेमेंट करने वाले ग्राहक को वापस कर दिया जाता है। पहले यह प्रक्रिया मैन्युअल रूप से की जाती थी, जिसमें काफी समय लगता था। अब यह ऑटोमैटिक होगी जिससे लेन-देन से संबंधित विवादों का जल्द समाधान हो सकेगा।

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15 फरवरी से लागू

एनपीसीआई के सर्कुलर में कहा गया है कि यूपीआई विवाद समाधान प्रणाली (URCS) में ऑटोमैटिक एक्सेप्टेंस या रिजेक्शन 15 फरवरी से लागू हो गया है। नया नियम केवल बल्क अपलोड विकल्पों और एकीकृत विवाद समाधान इंटरफेस (UDIR) पर लागू होता है, फ्रंट-एंड विवाद समाधान पर नहीं। इस प्रक्रिया को ऑटोमेट करने से चार्जबैक को अंतिम रूप देने से पहले लाभार्थी बैंकों के पास लेनदेन का समाधान करने का पर्याप्त समय होगा।

ऐसे मिलेगा फायदा

NPCI के चार्जबैक (रिफंड प्रक्रिया) को ऑटोमेटेड करने से ग्राहकों को जल्दी रिफंड मिल सकेगा और बैंकों के लिए भी प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इसके अलावा, फ्रॉड और अनावश्यक विवादों को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही पूरी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज बनेगी। बता दें कि UPI ट्रांजेक्शन का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल जनवरी से नवंबर 2024 तक यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के जरिए कुल 15,547 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए थे।

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News24 हिंदी

First published on: Feb 17, 2025 11:57 AM

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