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UPI अब टेक्नोलॉजी नहीं, बन चुका है आम आदत, FIDE के CEO का बयान

आजकल डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल हर किसी के लिए आम बात बन चुकी है। चाहे दुकानदार को पैसे देना हो या चाय वाले से QR कोड स्कैन कर भुगतान करना हो, UPI ने हमारी जिंदगी को बेहद आसान बना दिया है। फाइड के CEO सुजित नायर ने इस बारे में खास बातचीत की है।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Apr 14, 2025 16:35
UPI and Digital Public Infrastructure Revolutionizing
UPI and Digital Public Infrastructure Revolutionizing

आज के दौर में अगर आप किसी दुकानदार को पैसे देते हैं, चाय वाले को QR कोड स्कैन करते हैं या सब्जीवाले से भीम ऐप से भुगतान करते हैं तो यह सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं, एक नई आदत बन चुकी है। UPI अब भारत के करोड़ों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। मोबाइल से पेमेंट करना अब उतना ही आम हो गया है जितना जेब से पैसे निकालना था। डिजिटल लेन-देन की इस क्रांति ने भारत को दुनिया के सामने एक मिसाल बना दिया है और इसी पर चर्चा कर रहे हैं फाइड के CEO सुजित नायर।

UPI ने भारत में भुगतान की आदत को बदल दिया

फाउंडेशन फॉर इंटरऑपरेबिलिटी इन डिजिटल इकोनॉमी (FIDE) के CEO और सह-संस्थापक सुजित नायर ने कहा है कि UPI अब सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं रह गया है, बल्कि यह भारत के लोगों की रोजमर्रा की आदत बन गया है। उन्होंने बताया कि आज करीब 50 करोड़ लोग UPI और दूसरे डिजिटल सिस्टम का इस्तेमाल अपने रोज के कामों में कर रहे हैं। सुजित नायर ने यह भी कहा कि भारत ने यह सोचकर एक बड़ा कदम उठाया है कि कैसे बड़ी संख्या में लोगों को, खासकर जो अब तक औपचारिक (सरकारी या बैंकिंग) व्यवस्था से दूर थे, डिजिटल सेवाओं से जोड़ा जाए। इसके लिए सरकार, निजी कंपनियां और समाज ये सभी मिलकर काम कर रहे हैं ताकि आम लोगों और छोटे दुकानदारों को भी सुविधा मिल सके। यानी अब टेक्नोलॉजी सिर्फ बड़े शहरों या अमीर लोगों के लिए नहीं रही, बल्कि हर किसी की पहुंच में आ गई है।

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डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर लोगों को दे रहा है नई ताकत

सुजित नायर ने यह बात कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट के मौके पर ANI से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) लोगों और व्यवसायों को केंद्र में रखकर उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था में भाग लेने का अवसर, ऑप्शन और पहुंच देता है। इससे पूरे बाजार का दायरा बढ़ता है और सभी को फायदा होता है। नायर ने खास तौर पर ONDC का जिक्र किया, जो एक डिजिटल सार्वजनिक प्लेटफॉर्म है। उन्होंने बताया कि यह नेटवर्क दुकानदारों और ड्राइवरों जैसे छोटे काम करने वाले लोगों को अधिक अधिकार, भागीदारी और स्वतंत्रता दे रहा है।

ONDC से छोटे व्यवसायों को मिल रही आजादी

नायर ने बताया कि ONDC कोई एक कंपनी या ऐप नहीं है, बल्कि यह एक खुला नेटवर्क है, जिसमें हर कोई अपनी मर्जी से जुड़ सकता है और बीच वाले किसी एजेंट या ऐप पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इससे दुकानदारों और ड्राइवरों जैसे लोगों को न सिर्फ अपना काम बढ़ाने का मौका मिल रहा है, बल्कि वे अब समाज और अर्थव्यवस्था में भी मजबूत बन रहे हैं। उदाहरण के लिए, एक ड्राइवर को अब आसानी से ग्राहक मिल जाते हैं और साथ ही वो लोन और बीमा जैसी सुविधाएं भी ले सकता है, जो पहले उसके लिए मुश्किल थीं।

भारत का डिजिटल मॉडल बन रहा है दुनिया के लिए उदाहरण

भारत की डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) ने दुनिया भर में एक अच्छा उदाहरण पेश किया है, खासकर G20 समिट के दौरान जब इसे दुनिया के सामने प्रभावी तरीके से दिखाया गया। भारत ने आधार और UPI के जरिए एक मजबूत डिजिटल सिस्टम तैयार किया है। अब भारत ने कई देशों के साथ समझौते किए हैं, ताकि वो भी इस डिजिटल सिस्टम का फायदा उठा सकें। नाइजीरिया, मलावी, पापुआ न्यू गिनी और मोरक्को जैसे देश भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। हालांकि, इस टेक्नोलॉजी को अपनाने में कुछ मुसीबतें भी हैं, जैसे डेटा की सुरक्षा, तकनीकी समस्याएं और कुछ जगहों पर लोगों तक पहुंच नहीं है। फिर भी भारत का मकसद है कि केवल भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देश भी इस टेक्नोलॉजी का फायदा उठाएं।

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Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Apr 14, 2025 03:36 PM

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