---विज्ञापन---

Union Budget 2023: जानें कैसे तय होता है टैक्स स्लैब, एक्सपर्ट CA रोशन कुमार के जरिए जानें पूरा गणित

Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 2.0 का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया। बजट में टैक्स को लेकर मिडिल क्लास और सैलरीड क्लास वालों पर विशेष ध्यान दिया गया है। सात लाख रुपए तक कमाई वालों को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है, जबकि सैलरीड क्लास वालों को 7.50 लाख […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Feb 2, 2023 12:38
Share :
Income Tax Rebate

Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 2.0 का आखिरी पूर्ण बजट पेश किया। बजट में टैक्स को लेकर मिडिल क्लास और सैलरीड क्लास वालों पर विशेष ध्यान दिया गया है। सात लाख रुपए तक कमाई वालों को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है, जबकि सैलरीड क्लास वालों को 7.50 लाख रुपये की कमाई तक टैक्स नहीं देना होगा। टैक्स पर छूट के पूरे गणित को एक्सपर्ट CA रोशन कुमार ने बारीकी से समझाया है।

सरकार ने टैक्स स्लैब बढ़ाया है। टैक्स रेट को घटाया गया है। पहले पहले पांच लाख से एक रुपये भी ज्यादा की कमाई पर टैक्स लगता था। यानी अगर पहले किसी की इनकम पांच लाख रुपये से एक रुपये भी कम इनकम थी तो उसे एक भी रुपये टैक्स नहीं देना होता था। अगर किसी की कमाई पांच लाख रुपये से 1 रुपये भी ज्यादा होती थी तो उसे पुराने टैक्स स्लैब में 15000 का टैक्स देना पड़ता था।

---विज्ञापन---

अब सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम में किया है कि अगर किसी की कमाई 7 लाख रुपये तक है तो उसे टैक्स नहीं देना होगा, जो पहले पांच लाख रुपये तक था। अगर किसी की इनकम 7 लाख रुपये से एक रुपये भी ज्यादा होती है तो उसे 3 से 6 लाख रुपये की कमाई पर 5 प्रतिशत, 6 से 9 लाख रुपये की कमाई पर 10 प्रतिशत, 9 से 12 लाख रुपये में 15 प्रतिशत और 12 से 15 लाख की कमाई पर 20 प्रतिशत और फिर 15 लाख से ऊपर की कमाई पर उसे 30 प्रतिशत देना होगा।

और पढ़िए बजट पर चर्चा के बीच जानें केंद्र सरकार को पैसा कहां से मिलता और कहां जाता है?

---विज्ञापन---

15 लाख से ऊपर की कमाई वालों के लिए कोई राहत नहीं

एक्सपर्ट ने बताया कि नए स्लैब में 15 लाख से ऊपर वालों की कमाई के लिए कोई राहत नहीं है। उन्हें पहले भी 30 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता था और अब भी उन्हें ये रकम देनी होगी। इसे देखा जाए तो कहा जा सकता है कि मिडिल क्लास के लोगों को राहत देने की कोशिश की गई है।

जानें कैसे तय होता है स्लैब

एक्सपर्ट ने बताया कि स्लैब तय करने के दो तीन तरीके हैं। मान लिया जाए कि किसी की कमाई ओल्ड स्कीम में पांच लाख रुपये से ऊपर की कमाई पर 20 प्रतिशत टैक्स काट लिया जा रहा है। ऐसे में कोई घर खर्च कैसे चलाएगा, इसलिए स्लैब को बढ़ाया जाता है।

पहले लोग इंडायरेक्ट टैक्स में चोरी के लिए कई उपायों को अपनाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। GST का रेवेन्यू बढ़ता जा रहा है। सरकार को मतलब सिर्फ टैक्स से होता है चाहे वो डायरेक्ट आए या फिर इनडायरेक्ट आए। वैट होने के दौरान लोग टैक्स चोरी कर पाते थे लेकिन जीएसटी आने और बैंक ट्रांजेक्शन स्क्रूटनाइज होने से इनडायरेक्ट रेवेन्यू सरकार के पास भारी मात्रा में आ रही है।

7 लाख तक की इनकम ग्रुप सबसे ज्यादा

आर्थिक रूप से कमजोर उसे कहा जाता है जो 8.50 लाख रुपये से कम कमा रहा है। अब सरकार जिसे आर्थिक रूप से कमजोर मान रही है और उस पर टैक्स का बोझ 20 प्रतिशत डाला जा रहा है तो ये इस ग्रुप पर एक्ट्रा दवाब के रूप में था। सरकार के पास जितने भी आईटीआर आए और उसे जब स्क्रूटनाइज किया गया तो पता चला कि 7 लाख रुपये तक का इनकम ग्रुप सबसे ज्यादा है।

पहले जो पांच लाख से ऊपर कमाता था तो 2 लाख पर उसे 20 प्रतिशत यानी 40 हजार रुपये टैक्स देना पड़ जाता था। अन्य टैक्स को मिलाकर ये रकम 54 हजार 600 रुपये हो जाती थी। अब 7 लाख रुपये तक की कमाई वालों के लिए ये रकम बड़ी हो जाती थी। इसलिए महंगाई को देखते हुए सरकार ने लोअर इनकम ग्रुप वालों को राहत देने की कोशिश की है क्योंकि सरकार के पास GST के जरिए इनडायरेक्ट टैक्स तो आ ही रहा है।

और पढ़िए वरिष्ठ नागरिकों के लिए अच्छी खबर! सरकार ने इस योजना में निवेश की सीमा बढ़ाई

बजट में क्या ठीक नहीं

एक्सपर्ट के मुताबिक, बजट में एक बात ये ठीक नहीं लगी कि कुल बजट का 7 प्रतिशत सब्सिडी के लिए जबकि 8 प्रतिशत रक्षा के लिए रखा गया है। यानी कि डिफेंस और सब्सिडी को केंद्र सरकार एक बराबर मान रही है।

बजट में सैलरी पाने वाले वर्ग को एक और राहत

निर्मला सीतारमण की ओर से पेश की गई बजट में सैलरी पाने वालों को एक और राहत दी गई है। नए सिस्टम के तहत 50,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल किया गया है। मतलब, सैलरीड क्लास वालों को 7.5 लाख रुपए तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।

जैसे- 7.5 लाख रुपए सैलरी पर 50,000 का स्टैंडर्ड डिडेक्शन घटा लें, अब आपके पास रह गए 7 लाख रुपए। 7 लाख रुपए होते ही आप टैक्स छूट के दायरे में आ जाएंगे। इस तरह से साढ़े सात लाख रुपये तक कमाई (सैलरी से) वालों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। अगर आप कारोबारी हैं और 7 लाख से एक लाख भी ज्यादा की कमाई हो रही है तो आपको टैक्स देना होगा।

लेकिन अगर आपकी कमाई सैलरी से नहीं होती है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा नहीं मिलेगा। यानी आपकी इनकम 7 लाख रुपए से एक रुपया भी ज्यादा हुई तो टैक्स चुकाना होगा।

जानें पुराने और नए रिजीम का पूरा गणित

अगर कोई इन्वेस्टमेंट करना चाहता है, चाहे वो घर हो या 80 C, एलआईसी ऐसे लोगों के लिए नये और पुराने टैक्स स्कीम का फायदा तभी मिलेगा जब उनका इनकम 8.50 लाख के ऊपर हो। जिसका इनकम 8.50 के नीचे है और अगर वह इन्वेस्टमेंट करता है तो उसे पुराने स्कीम में जाना चाहिए। नए स्कीम में उसके लिए फायदा नहीं है।

उदाहरण में समझें… दो लोगों का इनकम 8.50 है। इनमें से एक ने कोई इन्वेस्टमेंट नहीं किया। दूसरे ने घर भी खरीदा और इन्वेस्टमेंट कर कुल 3.50 लाख का खर्च किया। ऐसे में पहले शख्स को जिसने इन्वेस्टमेंट नहीं किया है, उसके लिए पुराना से अच्छा नया स्कीम है। जिसने इन्वेस्टमेंट किया है, उसके लिए आज भी पुराना स्कीम बेहतर है।

और पढ़िए –  बिजनेस से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ  पढ़ें

HISTORY

Edited By

Om Pratap

Edited By

Manish Shukla

First published on: Feb 01, 2023 04:30 PM
संबंधित खबरें