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लोन की रकम नहीं चुका पा रहे हैं तो टेंशन न लें, ये 5 तरीके देंगे कुछ राहत

Loan EMI : काफी लोगों को लोन की जरूरत पड़ती है। यह लोन पर्सनल या व्हीकल या होम लोन हो सकता है। लोन लेने के बाद उसे चुकाने के लिए EMI भी देनी पड़ती है। कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि आर्थिक हालात खराब हो जाते हैं और EMI देने के लिए जेब खाली हो जाती है। ऐसे में रिकवरी एजेंट परेशान करते हैं। कुछ तरीकों से आप लोन की रकम से राहत पा सकते हैं:

Edited By : Rajesh Bharti | Updated: Apr 18, 2024 14:44
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Loan EMI
लोन की EMI न चुका पाने की स्थिति में बैंक से बात करें

Loan EMI : लोन की रकम न चुका पाने पर रिकवरी एजेंट घर या ऑफिस आ जाते हैं और लोन लेने वाले शख्स को परेशान करते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत पर्सनल लोन के मामले में होती है। दरअसल, यह अनसिक्योर्ड लोन होता है जिस पर ज्यादा ब्याज देनी होती है। लोन न चुकाने पर पहले तो बैंक ब्याज जुर्माना लगाते हैं। इसके बाद रिकवरी एजेंट परेशान करते हैं। अगर आपके साथ कुछ ऐसा हुआ है तो परेशान न हों। रिजर्व बैंक के मुताबिक लोन लेने वाले शख्स के भी कुछ अधिकार होते हैं।

1. बैंक से बात करें

आर्थिक स्थिति खराब होने और लोन की EMI न चुका पाने की स्थिति में सबसे पहले उस बैंक से बात करें जहां से लोन लिया है। लोन अगर NBFC कंपनी जैसे Bajaj Finserv, Tata Capital, Kreditbee, Navi Finserv आदि से लिया है तो इनके भी कस्टमर केयर नंबर पर बात करें और बताएं कि आपकी आर्थिक स्थिति अभी ठीक नहीं है। इसलिए लोन की EMI देने के लिए कुछ समय चाहिए। बेहतर होगा कि अपनी समस्या लिखित में बताएं ताकि आपके पास उसका प्रूफ भी रहे। इसके लिए ईमेल करना अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

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2. बची रकम रीस्ट्रक्चर कराएं

आप बैंक से बात करके लोन की बची रकम को रीस्ट्रक्चर करवा सकते हैं। इससे लोन की EMI कम हो जाती है। हालांकि लोन चुकाने का कुल समय बढ़ जाता है। लोन की बची रकम को रीस्ट्रक्चर करवाने से बैंक को भी फायदा होता है क्योंकि उन्हें पहले के मुकाबले ज्यादा रकम मिलती है। इसलिए ज्यादातर बैंक इस बात को आसानी से मान लेते हैं।

Loan EMI

लोन न चुका पाने की स्थिति में बैंक से बात करें

3. जुर्माना हटवाने के लिए कहें

अगर लोन की EMI चुकाने में 2-3 महीने से ज्यादा का समय हो जाए तो बैंक का जुर्माना काफी हो जाता है। इतने समय में अगर आपके पास फंड का इंतजाम हो जाता है तो बैंक से जुर्माना हटाने के लिए कह सकते हैं। ज्यादातर बैंक यह जुर्माना हटा भी देते हैं।

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4. बैलेंस ट्रांसफर करवाएं

आप किसी दूसरे बैंक से लोन की बात करें और उससे बैलेंस ट्रांसफर के बारे में जानकारी लें। काफी बैंक ऐसे होते हैं जो कस्टमर के लोन को चुकाते हैं और बदले में नया लोन देते हैं। अमूमन लोन की रकम पहले वाले लोन से ज्यादा होती है। अगर आपके पास लोन की बाकी रकम 3 लाख रुपये बची है तो हो सकता है कि दूसरा बैंक आपको 5 लाख रुपये का लोन दे दे। इससे पहले वाले बैंक की बची रकम का डिमांड ड्राफ्ट (DD) दे दिया जाता है और बाकी की रकम बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दी जाती है। इससे आप आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर सकते हैं। हालांकि इस स्थिति में लोन की EMI बढ़ जाती है।

5. लोन का सेटलमेंट कराएं

अगर आप लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ हैं और बहुत ज्यादा रकम पास में नहीं है तो आप बैंकसे लोन का सेटलमेंट करने के लिए भी कह सकते हैं। इसम प्रक्रिया में बैंक लोन की बाकी बची पूरी रकम को नहीं लेते बल्कि शेष रकम का कुछ हिस्सा ही लेकर लोन को बंद कर देते हैं। रकम कितनी चुकानी होगी, यह लोन लेने वाले और बैंक के बीच बातचीत पर निर्भर करता है। कई बार शेष रकम का मात्र 15 फीसदी में भी सेटलमेंट हो जाता है। सेटलमेंट कराने से सिबिल स्कोर खराब हो जाता है।

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पुलिस में करें शिकायत

लोन न चुका पाने पर अगर रिकवरी एजेंट परेशान करें तो इसकी शिकायत पुलिस से करें। कोई भी बैंक या रिकवरी एजेंट सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक ही कॉल कर सकता है या घर/ऑफिस आ सकता है। कोई एजेंट धमकी नहीं दे सकता। अगर ऐसा करे तो इसकी शिकायत बैंक या पुलिस से करें।

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Edited By

Rajesh Bharti

First published on: Apr 18, 2024 02:44 PM

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