भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बनी अनिश्चितता और विदेशी फंड के लगातार बाहर जाने के बीच मंगलवार को रुपया और कमजोर होकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले और नीचे गिर गया और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 91.07 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया.सोमवार को रुपया 90.74 के नए ऑल-टाइम लो पर बंद हुआ था. करेंसी की ट्रेडिंग कमजोर शुरुआत के साथ हुई, यह सोमवार के 90.73 के बंद भाव के मुकाबले 0.1% नीचे 91.07 पर खुला, क्योंकि लगातार विदेशी फंड के बाहर जाने और ट्रेड से जुड़ी अनिश्चितता का असर घरेलू करेंसी पर पड़ा.
क्यों कमजोर हो रहा है रुपया ?
फॉरेक्स ट्रेडर्स के अनुसार, मार्केट में इंवेस्टर्स रिस्क से बचने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी ओर इंपोर्टर्स की तरफ से डॉलर की मजबूत डिमांड बनी हुई है. इसके कारण करेंसी कमजोर रही. भारत-अमेरिका ट्रेड डील की टाइमिंग और नतीजे को लेकर भी चिंताएं बढ़ने के कारण भी रुपया कमजोर है.
हालांकि एक्सपर्ट मानते हैं कि करेंसी के स्थिर होने की संभावना है क्योंकि नवंबर में ट्रेड डेफिसिट अक्टूबर के $41.64 बिलियन से घटकर $24.53 बिलियन हो गया है. इससे FIIs पर आगे और गिरावट की आशंका में बेचने का कुछ दबाव कम होगा. वहीं कुछ एक्सपर्ट ये मानते हैं कि आने वाले समय में भी करेंसी पर दबाव बने रहने की संभावना है.
एशाई करेंसी में सबसे खराब परफॉर्मेंस
बता दें कि सोमवार को सुबह इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपया 90.53 पर खुला था. ये ताजा गिरावट तब आई जब पिछले हफ्ते शुक्रवार को रुपया पहले ही 17 पैसे गिरकर 90.49 पर बंद हुआ था, जो उस समय अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसका अब तक का सबसे निचला स्तर था.
आज एक बार फिर भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिर गया, जिससे यह एशियाई करेंसी में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गई. उम्मीद से बेहतर ट्रेड बैलेंस के आंकड़ों के बावजूद, रुपया संभल नहीं पाया.










