Strait of Hormuz: ईरान, तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद होर्मुज (Hormuz) जलडमरूमध्य को बंद करने की योजना बना रहा है। यह जलडमरूमध्य एक प्रमुख शिपिंग मार्ग है, जिसके ज़रिए वैश्विक तेल और गैस आपूर्ति का पांचवा हिस्सा बहता है। स्ट्रेट ऑफ होर्मुज दुनिया का 20% ऑयल सप्लाई का रास्ता है। जबकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। भारत करीब 90% तेल जरूरतों को आयात से पूरा करता है। आपको बता दें कि रोजा, 55 लाख बैरल तेल की खपत में से 15-20 लाख बैरल स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से आते हैं। ऐसे में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इसी को देखते हुए भारत तेल के रुझानों पर करीब से नज़र रख रहा है।
क्या कहा पेट्रोलियम मंत्री ने
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हम पिछले दो हफ्ते से मिडिल ईस्ट में विकसित हो रहे भू-राजनीतिक हालात पर करीब से नज़र रख रहे हैं। “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने पिछले कुछ सालों में अपनी आपूर्ति में विविधता लाई है और अब हमारी आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर नहीं आता है।
केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि,हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों की आपूर्ति है और कुछ के पास 25 दिनों तक का भंडार है। भारत रोजाना 40 लाख बैरल तेल अन्य रास्तों से आयात करता है, जिसमें ब्राजील, रूस, अमेरिका और पश्चिम अफ्रीका के हैं।
सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर होर्मुज जलडमरूमध्य का बंद होना “एक हफ्ते से अधिक” तक जारी रहता है, तो इससे ग्लोबल इकोनॉमी को झटका लगेगा और भारत भी संभावित नतीजों के संपर्क में है।
सूत्रों ने मुताबिक बताया कि अगर कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर जाती है तो सरकार ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की समीक्षा पर विचार कर सकती है। जबकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर ईरान और अमेरिका के बीच तनाव कम होता है तो तेल की कीमतें फिर से नीचे आ सकती हैं।
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