What is Loan Balance Transfer : अगर आपने किसी बैंक से पर्सनल लोन लिया हुआ है और आपको पैसों की और जरूरत पड़ जाए तो बैलेंस ट्रांसफर (BT) का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं अगर पहले लोन की EMI देने में परेशानी आ रही हो तो भी बैलेंस ट्रांसफर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपके हाथ में कुछ अतिरिक्त रकम आ जाती है। हालांकि बैलेंस ट्रांसफर कराने के बाद EMI का बोझ बढ़ सकता है।
जानें- क्या है बैलेंस ट्रांसफर
अगर आपने एक बैंक से पर्सनल लोन ले रखा है तो दूसरे बैंक से और लोन लेने के लिए अप्लाई कर सकते हैं। ज्यादातर मामलों में दूसरे बैंक पहले बैंक के मुकाबले कम ब्याज दर या उसी ब्याज दर पर ज्यादा लोन की पेशकश करते हैं। मान लीजिए कि आपने किसी बैंक से 5 लाख रुपये का लोन 5 साल के लिए लिया है। इसकी EMI 10 हजार रुपये है। आपने कुछ EMI चुका दीं और बाद में किसी कारणवश EMI देने में परेशानी होने लगी। ऐसे में आप दूसरे बैंक से बैलेंस ट्रांसफर की बात कर सकते हैं। हो सकता है कि दूसरा बैंक आपको 8 या 10 लाख रुपये के लोन की पेशकश करे। ऐसे में दूसरा बैंक आपसे पहले बैंक की बची हुई रकम की डिटेल्स मांगेगा। इस बची हुई रकम को दूसरा बैंक डीडी के जरिए आपको देगा और बाकी की रकम आपके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देगा। यही प्रक्रिया बैलेंस ट्रासंफर यानी BT कहलाती है। इसमें पुराना लोन खत्म हो जाता है और नया लोन शुरू हो जाता है।
टॉप-अप के लिए भी जा सकते हैं
अगर आप BT नहीं कराना चाहते तो आप वर्तमान बैंक से बात करके टॉप-अप ले सकते हैं। ऐसे में आपकी ब्याज तो जो लोन चल रहा है वही रहेगी लेकिन ज्यादा रकम होने से आपकी EMI बढ़ जाएगी। मान लीजिए आपने किसी बैंक से 5 लाख रुपये का लोन लिया। आप 2 साल तक समय पर इसकी EMI देते रहे। इसके बाद आपको और पैसों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आप बैंक से टॉप-अप की बात कर सकते हैं। बैंक आपको उसी लोन पर और रकम दे देता है और नई EMI शुरू हो जाती है।
ये हैं बैलेंस ट्रांसफर के फायदे
- दूसरे बैंक से पहले बैंक की अपेक्षा कम ब्याज पर लोन मिल जाता है।
- हाथ में अतिरिक्त रकम आ जाती है जिसका इस्तेमाल आर्थिक स्थिति को ठीक करने या दूसरे किसी जरूरी काम को पूरा करने में कर सकते हैं।
- लोन चुकाने के लिए लंबा समय चुन सकते हैं जिससे EMI का बोझ कम पड़ता है।
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ये हैं बैलेंस ट्रांसफर के नुकसान
- बैलेंस ट्रांसफर कराने पर पुराने लोन को खत्म किया जाता है। इसमें बैंक प्री-क्लोजर चार्ज लेता है।
- BT के बाद जो नई रकम मिलती है, वह पहले वाले लोन से ज्यादा होती है। ऐसे में लोन का बोझ बढ़ जाता है।
- EMI ज्यादा चुकानी पड़ती है। इससे महीने के दूसरे खर्चे प्रभावित होते हैं। इन्हें पूरा करने के लिए आप कर्ज के तले दब सकते हैं।