Infosys Founder Narayana Murthy wife Sudha Murty tell working Hours: इंफोसिस के संस्थापक और मालिक नारायण मूर्ति ने कंपटीशन में चीन को पछाड़ने के लिए युवाओं को खास सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि भारत में वर्क प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए युवाओं को हफ्ते में कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए। नारायण मूर्ति के इस बयान के बाद कई लोगों ने उनकी इस सलाह का समर्थन किया तो कई लोगों ने कहा कि हफ्ते में इतने घंटे काम करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा। इसी बीच नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति ने बताया कि उनके पति हफ्ते में कितने घंटे काम करते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सुधा मूर्ति ने बताया कि नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 80 से 90 घंटे काम किया है। इसलिए वो इतने घंटे से कम काम करना नहीं जानते।
नारायण मूर्ति ने किया है 80 से 90 घंटे तक काम
नारायण मूर्ति ने देश की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम के फॉर्मूले की सलाह देकर एक बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया विशेषज्ञों और कई अन्य लोगों ने मूर्ति के फॉर्मूले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है, कुछ लोगों ने इस बात पर जोर दिया है कि इस तरह के रूटीन से दिल से संबंधी समस्याएं और तनाव संबंधी जटिलताएं पैदा होंगी। नारायण मूर्ति के बयान पर पत्नी सुधा ने कहा कि उनके पति ने हफ्ते में 80 से 90 घंटे काम किया है। इसलिए वह इतने घंटे से कम काम करना जानते नहीं है। वो वास्तविक कड़ी मेहनत में विश्वास करते हैं और उन्होंने वैसा ही जीवन जिया। इसलिए उन्होंने वही बताया जो उन्हें महसूस हुआ।
सुधा मूर्ति ने पति नारायण मूर्ति से ली सीख
नारायण और सुधा मूर्ति की शादी को लगभग 45 साल हो गए हैं, और इस बारे में बहुत कुछ लिखा गया है कि कैसे उन्होंने पूरे समय एक-दूसरे का समर्थन किया है। जब सुधा मूर्ति से पूछा गया कि उन्होंने इतने वर्षों में नारायण मूर्ति से क्या सीखा है। सुधा ने बताया कि उन्होंने उनसे बहुत सी चीजें सीखी हैं कि एक लक्ष्य रखें और उसके लिए काम करें। न तो बायीं ओर और न ही दाहिनी ओर ध्यान भटकाओ। वह एक लक्ष्य रखते हैं और उसी पर काम करते हैं।
बता दें कि नारायण मूर्ति ने कुछ दिन पहले 3one4 कैपिटल के पॉडकास्ट में भारत की कम उत्पादकता पर एक बयान दिया था। मूर्ति ने युवा श्रम के विषय पर बात की और कहा कि उनका मानना है कि युवाओं को देश की उत्पादकता बढ़ाने के लिए हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए, जो उनके अनुसार दुनिया में सबसे कम है। चीन जैसे देश से प्रतिस्पर्धा करने के लिए, देश के युवाओं को अतिरिक्त घंटे काम करना होगा जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी ने किया था।
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