Indian Railways Hydrogen Engine Train: भारतीय रेलवे लगातार नए विकास और सुधार के साथ देशवासियों को बेहतर और सुविधाजनक विकल्प दे रहा है। इसी सिलसिले में रेलवे ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले ट्रेन इंजन के विकास के साथ एक नई उपलब्धि हासिल की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में इसके बारे में बताया है। इसके साथ ही उन्होंने इस इंजन की हॉर्सपावर आउटपुट और इसमें स्वदेशी तकनीक के उपयोग पर भी जानकारी दी है।
अन्य 4 देशों के पास है तकनीकी
बता दें कि दुनिया भर में केवल चार देशों ने हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों का सफलतापूर्वक निर्माण किया है और उनके इंजन 500 से 600 हॉर्सपावर की रेंज जनरेट करते हैं। जबकि भारतीय रेलवे का हाइड्रोजन इंजन 1,200 हॉर्सपावर देता है, जो इसे अपनी कैटेगरी में सबसे बेहतर और पावरफुल बनाता है। बता दें कि भारत के अलावा जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन ऐसे देश हैं जिन्होंने हाइड्रोजन इंजन विकसित किए हैं। इस तकनीक का सही इस्तेमाल और सफलता भारत की इनोवेशन में विकास को दर्शाती है।
क्यों खास हैं हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें?
हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें हाइड्रोजन फ्यूल सेल का उपयोग करके पावर जनरेट करती हैं, जिससे खतरनाक उत्सर्जन को रोका जा सकता है। ये फ्यूल सेल हाइड्रोजन को ऑक्सीजन के साथ मिलाकर पावर जनरेट करते हैं, जो पुराने डीजल या इलेक्ट्रिक इंजन का एक बेहतर ऑप्शन है। जीरो इमिशन और कम शोर के साथ, हाइड्रोजन ट्रेनें यात्रियों के लिए बेहतरीन एक्सपीरियंस देती हैं।
हाइड्रोजन ट्रेनों के फायदे
जीरो इमिशन और कम नॉइस पॉल्यूशन के साथ ये इंजन, डीजल इंजन का बेहतर विकल्प हैं। इससे आप ज्यादा स्पीड के साथ लंबी दूरी की यात्रा कर सकते हैं। इन ट्रेनों के साथ कार्बन फुटप्रिंट को भी कम किया जा सकता है।
कब शुरू होगा ट्रायल?
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रायल रन हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर होगा, जो 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। इसके अलावा भारत के दर्शनीय और दूरदराज क्षेत्रों में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका-शिमला रेलवे और अन्य जैसे हेरिटेज माउंटेन रेलवे शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 140 किमी/घंटा हो सकती है। हर हाइड्रोजन ईंधन टैंक को एक बार फुल करने के बाद 1,000 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है।
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