सोना दुनियाभर के निवेशकों की नंबर 1 पसंद बन गया है। हालांकि, सोने के प्रति भारतीयों का प्यार एक अलग ही लेवल पर है। हमारे यहां शादियों से लेकर त्यौहार आदि पर जमकर सोना खरीदा जाता है। बिना किसी खास अवसर के भी सोना खरीदने वालों की कोई कमी नहीं है। भारत के लगभग हर घर में कुछ न कुछ सोना जरूर मिल जाएगा। गोल्ड की आसमान छूती कीमतों ने जरूर गहनों आदि की खरीदारी पर कुछ असर डाला है, लेकिन इसका क्रेज और अपना बनाने की चाहत में कोई कमी नहीं आई है।
ये केंद्रीय बैंक हैं पीछे
सोने को लेकर भारतीयों के प्रेम का अंदाजा एचएसबीसी की रिपोर्ट से मिल जाता है। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत के लोगों के पास जितना सोना है, उतना दुनिया के 10 टॉप केंद्रीय बैंकों के पास भी नहीं है। HSBC की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय परिवारों के पास कुल 25,000 टन सोना होने का अनुमान है, जो टॉप 10 केंद्रीय बैंकों के संयुक्त स्वर्ण भंडार से भी अधिक है। इन केंद्रीय बैंकों में अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस, रूस, चीन, स्विट्जरलैंड, भारत, जापान और तुर्की शामिल हैं।
RBI के पास कितना सोना?
एचएसबीसी ग्लोबल की रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के लोगों के पास अनुमानित 25,000 टन सोना है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका (8,133 टन), जर्मनी (लगभग 3,300 टन) के साथ-साथ इटली, फ्रांस, रूस, चीन, स्विट्जरलैंड, भारत, जापान और तुर्की के केंद्रीय बैंकों के पास मौजूद सोने के भंडार से कहीं अधिक है। दिसंबर 2024 तक भारत के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास 876.18 टन स्वर्ण भंडार था। बता दें कि बीते कुछ समय में दुनिया के केंद्रीय बैंकों ने अपने सोने के भंडार में बढ़ोतरी की है।
अभी कितनी है कीमत?
सोने की कीमत की बात करें, गुडरिटर्न्स के अनुसार, 24 कैरेट वाला 10 ग्राम सोना 90,990 रुपये पर मिल रहा है। वहीं, चांदी की कीमत प्रतिकिलो 1,05,100 रुपये हो गई है। सोने और चांदी की कीमतों में पिछले कुछ समय में काफी तेजी आई है। सोना लगातार अच्छा रिटर्न देने वाला निवेश विकल्प बना हुआ है। अपने इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के चलते चांदी भी लगातार महंगी हुई है और इसके दाम भी आने वाले समय में तेजी से बढ़ सकते हैं।
और बढ़े सकते हैं दाम
सोना अभी और महंगा हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत सहित दुनिया के कई देशों पर 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहे हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिर उथल-पुथल मच सकती है। ऐसी स्थिति में सोने में निवेश बढ़ जाता है और दाम चढ़ने लगते हैं। ट्रंप के यूएस प्रेसिडेंट की कुर्सी पर बैठने के बाद से सोने के दाम तेजी से बढ़े हैं। टैरिफ नीतियों से शेयर बाजार सहित दूसरे निवेश विकल्पों के कमजोर प्रदर्शन के चलते सोने में निवेश बढ़ा है। जब डिमांड और सप्लाई में अंतर बढ़ता है, तो दाम चढ़ने लगते हैं। सोने के साथ भी यही हुआ है।
ट्रेड वॉर की आशंका
ऐसे में माना जा रहा है कि 2 अप्रैल से जब रेसिप्रोकल टैरिफ अमल में आएगा, तो ट्रेड वॉर तेज होने की आशंका पुन: जन्म लेगी और सोने में निवेश बढ़ेगा। लिहाजा, अगले कुछ दिनों में इसके दाम फिर रॉकेट की स्पीड पकड़ सकते हैं। बैंक ऑफ अमेरिका ने कुछ वक्त पहले ग्लोबल फंड मेनेजर्स के बीच एक सर्वे कराया गया था, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि ट्रेड वॉर बड़े पैमाने पर शुरू होती है, तो गोल्ड बेस्ट परफॉर्मिंग एसेट बन जाएगा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रणनीतिकार लुईस स्ट्रीट का कहना है कि मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास पर टैरिफ के संभावित प्रभाव ने सोने की ताकत को बढ़ाया है।
कैसे प्रभावित होती हैं कीमतें?
देश में सोने की कीमतें केवल मांग और आपूर्ति से ही प्रभावित नहीं होतीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली गतिविधियों का भी इन पर असर पड़ता है। लंदन ओटीसी स्पॉट मार्केट और कॉमेक्स गोल्ड फ्यूचर्स मार्केट सहित प्रमुख वैश्विक बाजारों में होने वाली व्यापारिक गतिविधियों से भी सोने की कीमतें काफी हद तक प्रभावित होती हैं।
कौन तय करता है कीमत?
दुनियाभर में लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) द्वारा Gold की कीमत तय की जाती है। वो US डॉलर में सोने की कीमत प्रकाशित करता है, जो बैंकरों और बुलियन व्यापारियों के लिए वैश्विक बेंचमार्क के रूप में कार्य करती है। वहीं, अपने देश में, इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयात शुल्क और अन्य टैक्स को जोड़कर यह निर्धारित करता है कि रिटेल विक्रेताओं को सोना किस दर पर दिया जाएगा।
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