IIM Will Teach Lesson From Lok Sabha Result 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट कई मायने में हैरानी भरा रहा है। इस रिजल्ट ने चुनाव के अच्छे-अच्छे कई जानकारों को गलत साबित कर दिया। यही नहीं, बीजेपी ने भी चुनाव से पहले नारा दिया था कि वह इस बार 400 से ज्यादा सीटे जीतेगी, लेकिन ऐसा हो न सका। यही नहीं, कई एग्जिट पोल में भी एनडीए को 400 के करीब सीटें मिलती दिखाई गई थीं। लेकिन जब रिजल्ट आया तो सब कुछ पलट गया। चौंकाने वाली कई बातें सामने आईं। पार्टी के कई नारे और वादे जनता को पसंद नहीं आए। कई मुद्दे ऐसे रहे जिनके जरिए पार्टियां जनता को लुभा नहीं पाईं। इसी सब को ध्यान में रखते हुए देश का बेस्ट मैनेजमेंट संस्थान IIM चुनावी रिजल्ट से मिली सीख के बारे में स्टूडेंट्स को रू-ब-रू कराएगा और ग्राहक की जरूरत से संबंधित पाठ पढ़ाएगा।
छोटा सैंपल करोड़ों लोगों के मन की बात नहीं बता सकता
एग्जिट पोल जब आए थे तो उनमें एनडीए को 350 से 400 सीटें तक मिलती दिखाई गई थीं। एग्जिट पोल को लेकर धारणा है कि इसके आंकड़े रिजल्ट का रुख बता देते हैं। हालांकि कई बार एग्जिट पोल के आंकड़े गलत भी साबित हुए हैं। एग्जिट पोल के आंकड़े सर्वे के जरिए इकट्ठे किए जाते हैं। इसे 4-5 लाख लोगों से बात करके तैयार किया जाता है। ऐसे में IIM का मानना है कि कुछ लोगों से बात करके करोड़ों मतदाताओं के मन की बात नहीं बताई जा सकती। IIM कोझिकोड के डायरेक्टर देबाशीष चटर्जी के मुताबिक सिर्फ कुछ लोगों के सैंपल से पता नहीं कर सकते कि करोड़ों लोगों के दिल में क्या चल रहा है। यही बात IIM में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट को बताई जाएगी।
इसे ऐसे समझें
जब कोई कंपनी किसी प्रोडक्ट को मार्केट में लॉन्च करने का प्लान बनाती है तो पहले उसका सर्वे किया जाता। कंपनी से जुड़े लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर कुछ लोगों से बात करते हैं और प्रोडक्ट की जरूरत पूछते हैं। जब सर्वे में लगता है कि प्रोडक्ट लोगों द्वारा पसंद किया जाएगा तो उसे लॉन्च कर दिया जाता है। लेकिन यह निर्णय हर बार सही नहीं होता। अगर किसी शहर की जनसंख्या 10 लाख है औ वहां 1 या 2 हजार लोगों पर ही सर्वे किया गया और उन्होंने उस प्रोडक्ट को अच्छा बताया तो यह जरूरी नहीं कि बाकी लोगों को भी वह प्रोडक्ट अच्छा लगेगा। ऐसे में कंपनी की वह लॉन्चिंग फेल हो सकती है। IIM में बताया जाएगा कि सैंपल साइज का एनालिसिस किस प्रकार किया जाए।
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ग्राहक की जरूरत समझना जरूरी
बिजनेस स्कूल की इस प्लानिंग के बारे में मिंट में स्टोरी प्रकाशित की गई है। इस स्टोरी में IIM बेंगलुरु के प्रोफेसर सौरभ मुखर्जी बताते हैं कि रिजल्ट ने जो सरप्राइज दिया है, उसे स्टूडेंट को इन दो तरीकों से समझाया जा सकता है:
पहला तरीका: स्टूडेंट को बताया जा सकता है कि ग्राहक की जरूरतों को किस प्रकार समझा जाए। दरअसल, चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने मुद्दों पर चुनाव लड़ा था जबकि जनता के मुद्दे कुछ और थे। उन्होंने कहा कि पार्टियों के फॉर्मूलों ने बेशक पहले काम किया हो लेकिन जमीनी हकीकत को जानना भी बेहद जरूरी है।
दूसरा तरीका: मार्केट में पहले से स्थापित किसी कंपनी के होने के बावजूद वहां कैसे पहचान बनाएं, यह भी इस चुनाव से सीखा जा सकता है। कई ऐसी जगह थीं जहां एक पार्टी मजबूत स्थिति में थी। इसके बावजूद दूसरी पार्टी ने वहां न केवल अच्छा प्रदर्शन किया बल्कि जीत भी हासिल की।
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