सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश का आसान तरीका है। पिछले कुछ समय में SIP की लोकप्रियता कई गुना बढ़ गई है। खासकर युवाओं के बीच यह बेहद लोकप्रिय है। SIP की सबसे खास बात यह है कि इसके साथ कम निवेश से भी शुरुआत की जा सकती है और यह नियमित निवेश की आदत विकसित करता है।
SIP की खास बात
SIP की विशेषताओं की बात करें, तो इसमें साप्ताहिक, मासिक या त्रैमासिक (Quarterly) आधार पर निवेश किया जा सकता है। लोग अपनी वित्तीय स्थिति के आधार पर कभी भी अपनी निवेश राशि को एडजस्ट कर सकते हैं। निवेश राशि संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से ऑटो-डेबिट हो जाती है। लोगों को राशि के बदले चुने गए म्यूचुअल फंड की संबंधित यूनिट्स मिलती हैं। इसके अलावा, SIP में कम निवेश से भी शुरुआत की जा सकती है, जिससे निवेश करना आसान हो जाता है।
जल्द निवेश अच्छा
आजकल लोग अपने फाइनेंशियल भविष्य को लेकर काफी सजग ही गए हैं। वह ऐसे निवेश विकल्पों की तलाश में रहते हैं, जो रिटायरमेंट की उम्र तक पहुंचने पर उनकी वित्तीय जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकें। यहां हम जानेंगे कि किस तरह SIP में नियमित निवेश से 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड तैयार किया जा सकता है।ध्यान रखने वाली बात यह है कि SIP में यदि आप जल्दी निवेश शुरू करते हैं और लॉन्ग टर्म के लिए उसे जारी रखते हैं, तो कंपाउंडिंग को अपनी शक्ति दिखाने का पूरा मौका मिलता है।
एसआईपी कैलकुलेशन
टारगेट कॉर्पस: 1 करोड़ रुपये
मासिक निवेश: 3000 रुपये
वार्षिक रिटर्न: 12 प्रतिशत
हर महीने 3000 रुपये के निवेश से एक करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जुटाने में लगभग 31 वर्ष लगेंगे।
इस तरह बढ़ेगा पैसा
10 वर्षों में 3000 रुपये के मासिक निवेश से इन्वेस्टमेंट अमाउंट होगा 3,60,000 रुपये, पूंजीगत लाभ 3,12,108 रुपये और अनुमानित कॉर्पस 6,72,108 रुपये हो जाएगा। इसी तरह, 20 वर्षों की अवधि में निवेश राशि 7,20,000 रुपये, पूंजीगत लाभ 20,39,572 रुपये और फंड 27,59,572 रुपये होगा।
ऐसे पहुंचेंगे लक्ष्य तक
30 वर्षों में 3000 रुपये की मंथली एसआईपी से निवेश राशि हो जाएगी 10,80,000 रुपये, पूंजीगत लाभ 81,62,920 रुपये और अनुमानित कॉर्पस 92,42,920 रुपये हो जाएगा। 31 वर्ष में निवेश राशि 11,16,000 रुपये होगी, पूंजीगत लाभ 92,74,369 रुपये और अनुमानित सेवानिवृत्ति कॉर्पस 1,03,90,369 रुपये होगा। इस तरह आप अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे।
क्या है कंपाउंडिंग?
कंपाउंडिंग की बात करें, तो इसका मतलब है पहले मिले रिटर्न पर रिटर्न कमाना। इसे चक्रवृद्धि ब्याज भी कहते हैं। कंपाउंडिंग से समय के साथ धीरे-धीरे मूलधन और संचित ब्याज दोनों पर रिटर्न उत्पन्न करने में मदद मिलती है, जो लंबी अवधि में तेजी से वृद्धि में योगदान देता है। इसलिए चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति कई बार ऐसे परिणाम देती है कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है।