अभी सोने की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है। पिछले एक साल में सोने की कीमत लगभग 40% तक बढ़ गई है, जो कि औद्योगिक धातुओं जैसे तांबा, एल्युमिनियम और जिंक की तुलना में बहुत ज्यादा है। यह फर्क अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का कारण बन सकता है। सोना आमतौर पर सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन जब इसकी कीमतें इतनी तेजी से बढ़ती हैं तो यह संकेत हो सकता है कि बाजार में कुछ गड़बड़ी हो रही है। क्या यह अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है?
सोने की कीमतों में तेज बढ़ोतरी
पिछले एक साल में सोने की कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं। इस दौरान सोना करीब 40% तक महंगा हो गया है। शुक्रवार को सोना 3313 डॉलर प्रति औंस के रेट पर बिक रहा था, जो अप्रैल में बने रिकॉर्ड से करीब 3% नीचे था। सोने को हमेशा एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। आजकल अमेरिका में राजनीति अस्थिर है और कई विदेशी देश अपने केंद्रीय बैंकों के लिए बहुत ज्यादा सोना खरीद रहे हैं। इसी वजह से सोने की मांग और कीमत दोनों बढ़ रही हैं। दूसरी ओर तांबा, एल्युमिनियम और जिंक जैसी धातुओं की कीमतें करीब 10% तक कम हो गई हैं। ये धातुएं फैक्ट्रियों और बड़े प्रोजेक्ट्स में काम आती हैं, इसलिए इनकी कीमतें आमतौर पर तब बढ़ती हैं जब दुनिया की अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही होती है। अब जब इनकी कीमतें गिर रही हैं, तो इसका मतलब है कि दुनिया के आर्थिक हालत कमजोर हो रहे हैं। इसलिए इनकी गिरती कीमतें चिंता का कारण बन रही हैं।
Gold is sending market a big warning signal.
Gold prices are up 40% on the past year.
---विज्ञापन---Nifty 🚨🚨 pic.twitter.com/SrBaRbWW0k
— Z_Analysis 🏂⛳️3-stocks (@TarakeshHero) June 3, 2025
अर्थव्यवस्था के लिए चिंता
ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के सीनियर कमोडिटी एक्सपर्ट माइक मैकग्लोन का कहना है कि सोने और औद्योगिक धातुओं (जैसे तांबा, एल्युमिनियम) की कीमतों में जो बड़ा फर्क दिख रहा है, वह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जाता। मई के आखिर में सोने की कीमतें औद्योगिक धातुओं के मुकाबले बहुत ज्यादा हो गईं। ऐसा अंतर 1991 के बाद पहली बार देखने को मिला है। इसका मतलब हो सकता है कि लोग भविष्य को लेकर चिंता में हैं और सुरक्षित निवेश (जैसे सोना) को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। हालांकि कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो दिखाती हैं कि हालात उतने बुरे नहीं हैं। जैसे अमेरिका का शेयर बाजार अभी भी काफी ऊपर है और सरकारी बॉन्ड्स पर ब्याज दरें भी बढ़ रही हैं। ये दोनों बातें आमतौर पर तब नहीं होतीं जब अर्थव्यवस्था कमजोर हो।
क्या सोने की बढ़ती कीमतों के पीछे है पिछले कुछ सालों का कारण
सोने की कीमतें हाल की खबरों की वजह से ही नहीं बढ़ी हैं, बल्कि यह बढ़त पिछले कुछ सालों से चल रही है। कई विदेशी देशों के सेंट्रल बैंक अब अमेरिकी डॉलर पर कम निर्भर होना चाहते हैं। इसलिए वे अपने भंडार में ज्यादा से ज्यादा सोना जमा कर रहे हैं। अमेरिका में आम लोग भी अब सोने में खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोने की कीमत का बढ़ना जरूरी नहीं कि मंदी का इशारा हो। हो सकता है कि यह एक ‘बबल’ हो मतलब कीमतें जरूरत से ज्यादा ऊपर जा चुकी हैं और किसी भी वक्त अचानक गिर सकती हैं।
शेयर बाजार गिरा तो सोने की मांग और बढ़ सकती है
यह सोचना भी ठीक नहीं होगा कि लोग बस फैशन के तौर पर सोने में पैसा लगा रहे हैं। असली बात यह है कि अमेरिका का शेयर बाजार अभी बहुत महंगा चल रहा है। अगर किसी वजह से शेयर बाजार में गिरावट आ गई जैसे अर्थव्यवस्था धीमी हो जाए या कोई राजनीतिक संकट आ जाए तो इसका असर पूरी दुनिया के बाजारों पर पड़ेगा। ऐसे हालात में लोग जोखिम वाले निवेश, जैसे शेयर, बिटकॉइन और तांबा जैसी धातुओं से पैसा निकालकर सोने में लगाने लगेंगे। इससे सोने की कीमतें और भी ज्यादा बढ़ सकती हैं। माइक मैकग्लोन ने यह भी चेतावनी दी है कि अमेरिका की नई टैरिफ (आयात कर) नीतियां और महंगे शेयर बाजार मिलकर हालात को और खराब कर सकते हैं।