Investment Advice: सोने की कीमत में लगातार निखार आ रहा है। सोना अगले कुछ दिनों में 90 हजार का आंकड़ा छू सकता है। दरअसल, गोल्ड में निवेश पर अच्छा रिटर्न मिल रहा है, इस वजह से इसके प्रति आकर्षण और बढ़ा है। 2023 में गोल्ड ने 13% रिटर्न दिया, 2024 में यह बढ़कर 27% हुआ और 2025 में 17 फरवरी तक सोना 10 से 12 प्रतिशत रिटर्न दे चुका है।
ETF में निवेश बढ़ा
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मची उथल-पुथल के मद्देनजर सोने में निवेश बढ़ रहा है। फिजिकल गोल्ड और Gold ETF में पैसा लगाने वालों की संख्या बढ़ी है। दरअसल, शेयर बाजार में लगातार गिरावट आई है, जिस वजह से घबराए निवेशक सुरक्षित निवेश विकल्पों का रुख कर रहे हैं और सोना इसमें सबसे ऊपर है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के डेटा से पता चलता है कि जनवरी 2025 में गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF) में नेट इनफ्लो में वृद्धि हुई है। यह दिसंबर 2024 में 640.16 करोड़ रुपये से बढ़कर जनवरी में 3,751.4 करोड़ रुपये हो गया है। यानी इसमें 486% का उछाल आया है।
All About GOLD. History is Very Important!!!
There have been a lot of investors complaining that their SIP investment has gone negative over the past 1 year, while GOLD has returned nearly 40%.
---विज्ञापन---GOLD is the only asset class that continues to expand, whereas equities is always… pic.twitter.com/mcXJdqenqR
— B Padmanaban (padmanaban@fortuneinvestment.in) (@padhucfp) February 18, 2025
लॉन्ग टर्म पर फायदा
हाल ही में सोशल मीडिया पर पोस्ट में मिड और स्मॉल कैप निवेश में विशेषज्ञता रखने वाले सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर बी पद्मानाभन ने बताया कि कुछ निवेशकों ने पिछले वर्ष में अपने एसआईपी निवेश के नेगेटिव रिटर्न पर असंतोष व्यक्त किया है, जबकि सोने ने लगभग 40% रिटर्न दिया है। उन्होंने कहा कि निवेशकों को लगता है कि सोना एकमात्र ऐसा एसेट क्लास है जो लगातार वृद्धि दिखा रहा है, जबकि इक्विटी में जोखिम की संभावना अधिक है। इसके अलावा, सोने की तुलना में यह कम रिटर्न दे सकता है। पद्मानाभन ने कहा कि निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण बनाए रखना आवश्यक है, क्योंकि शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव अक्सर उन्हें ऐतिहासिक रुझानों को नजरअंदाज करने और केवल वर्तमान बाजार स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
ऐसे समझाई बात
पद्मनाभन ने लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर जोर देते हुए कुछ आंकड़े भी शेयर किए हैं। इन आंकड़ों के माध्यम से उन्होंने समझाया है कि 16 सितंबर, 2022 से 16 सितंबर, 2022 यानी पूरे 26 महीने गोल्ड ETF में SIP करने वालों का रिटर्न नेगेटिव रहा। वहीं, अगर ये लोग अगले 2.5 वर्षों तक निवेश जारी रखते, तो XIRR (Extended Internal Rate of Return) लगभग 18% होगा। यह चक्रवृद्धि ब्याज की पावर है। पद्मनाभन के कहने का मतलब है कि लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न की संभावना बढ़ जाती है।
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गोल्ड या इक्विटी?
BT की रिपोर्ट के अनुसार, आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड की म्यूचुअल फंड प्रमुख श्वेता रजनी का कहना है कि सोना हमेशा इक्विटी से आगे नहीं रहा है। इसलिए, यह कहना सही नहीं होगा कि सोना इक्विटी फंड से बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 साल की अवधि में सोने के रिटर्न में बहुत उतार-चढ़ाव आया है, जिसमें सबसे कम 1.73% रहा, जो इसकी अस्थिरता को दर्शाता है। मौजूदा वक्त में बाजार में उतार-चढ़ाव और मांग में वृद्धि को देखते हुए सोने की कीमतें अप्रत्याशित बनी हुई हैं। यह अप्रत्याशितता इसे निफ्टी की तुलना में निवेश के लिए कम भरोसेमंद एसेट क्लास बनाती है, जिसने पिछले 25 वर्षों में स्थिर और लगातार रिटर्न दिया है। इस अस्थिरता को देखते हुए सोने पर अत्यधिक निर्भरता सही नहीं है। इसलिए जोखिम कम करने के लिए पोर्टफोलियो का डायवर्सिफाई होना जरूरी है। सोने में निवेश को कुल पोर्टफोलियो के अधिकतम 5-10% तक सीमित करना उचित है।
दोनों में कौन बेहतर?
रिपोर्ट के मुताबिक, 1999-2004 की अवधि में सोने ने 7.29% का रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी 50 ने 16.51%। इसी तरह, 2004-09 के बीच गोल्ड रिटर्न 16.87% और निफ्ट 50 का रिटर्न 9.67% रहा। साल 2009-14 के दौरान सोने में निवेश करने वालों को 17.03% का रिटर्न मिला जबकि निफ्टी 50 के निवेशकों को 15.75 प्रतिशत का। 2014-19 के बीच सोने का रिटर्न 1.73% रहा और निफ्टी 50 का 11.60%। 2019 से पिछले 12 महीनों (TTM) में गोल्ड का रिटर्न 17.44% रहा और निफ्टी 50 का 18.78%। इस तरह निफ्टी में एक स्थिरता दिखाई देती है, जबकि सोने में उतार -चढ़ाव अधिक रहा है।