कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS-95) के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन राशि में इजाफे की उम्मीद दिखाई दे रही है। संसदीय स्थायी समिति ने श्रम मंत्रालय से EPS स्कीम की थर्ड पार्टी विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरी करने को कहा है। समिति चाहती है कि यह समीक्षा 2025 के अंत तक पूरी हो जाए। इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बसवराज बोम्मई हैं।
अभी कितनी है पेंशन?
EPS के तहत मौजूदा पेंशन राशि 1000 रुपये है, जिसे बढ़ाकर 7,500 रुपये करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। हालांकि, लगातार हो रही मांग के बावजूद इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया, लेकिन अब उम्मीद है कि इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में कर्मचारियों को बढ़ी हुई पेंशन का तोहफा मिल सकता है।
सालों से नहीं हुआ बदलाव
कर्मचारी पेंशन स्कीम की शुरुआत 1995 में हुई थी। इसका उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को एक निश्चित मासिक पेंशन प्रदान करना है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने ऐसे कर्मचारियों के लिए न्यूनतम पेंशन राशि 1000 रुपये निर्धारित की, जो कम से कम 10 साल तक पेंशन स्कीम में योगदान करते हैं। तब से अब तक महंगाई कई गुना बढ़ गई है, लेकिन पेंशन राशि में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ट्रेड यूनियनों और पेंशनभोगियों के निकाय लंबे समय से इसमें बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा वक्त में 1000 रुपये किसी भी लिहाज से पर्याप्त नहीं है, इसलिए पेंशन राशि में इजाफा किया जाना चाहिए।
क्या है मांग?
उधर, श्रम मंत्रालय ने समिति को सूचित किया है कि मूल्यांकन प्रक्रिया पहले ही रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल (RFP) के माध्यम से शुरू हो चुकी है। बता दें कि ईपीएस के 30 साल के इतिहास में यह पहली औपचारिक समीक्षा है। इसलिए कर्मचारियों को उम्मीद है कि पेंशन में इजाफे की उनकी मांग अब पूरी हो सकती है। रिटायर कर्मचारियों की राष्ट्रीय समिति का कहना है कि न्यूनतम पेंशन राशि को 7,500 रुपये प्रति माह किया जाए और महंगाई भत्ते (DA) का लाभ भी दिया जाए, ताकि कर्मचारी महंगाई से मुकाबला कर सकें।
मंजूर नहीं हुआ था प्रस्ताव
मंत्रालय ने समिति को यह भी बताया है कि EPS की न्यूनतम पेंशन को 2000 रुपये करने का प्रस्ताव 2020 में वित्त मंत्रालय को भेजा गया था, लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली। बाद में इसे 2024-25 के बजट के लिए चर्चा में शामिल किया गया। इसके अलावा, इस साल बजट-पूर्व बैठक में EPS-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये प्रति माह करने और महंगाई भत्ते (DA) का लाभ देने का आग्रह किया था।
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