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Digital Payment: यदि आप फोन पे, पेटीएम या डेबिट कार्ड से ज्यादा करते हैं ट्रांजेक्शन तो हो जाएं सावधान!

नई दिल्ली: भारत में डिजिटल पेमेंट करने वालों की तादाद दिन पे दिन बढ़ती जा रही है। नए फोन को लेने के साथ हम अपने फोन में फोन पे, गूगल पे, पेटीएम जैसे तमाम ऑनलाइन ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। इसके जरिए हमारा फोन की बैंक बन जाता है। आपको अपनी जेबों में रुपये रखने […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Aug 20, 2022 12:01
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नई दिल्ली: भारत में डिजिटल पेमेंट करने वालों की तादाद दिन पे दिन बढ़ती जा रही है। नए फोन को लेने के साथ हम अपने फोन में फोन पे, गूगल पे, पेटीएम जैसे तमाम ऑनलाइन ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। इसके जरिए हमारा फोन की बैंक बन जाता है। आपको अपनी जेबों में रुपये रखने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी पेमेंट आप अपने फोन से ही करने में सक्षम होते हैं। हालांकि, अब UPI ट्रांजेक्शन पर भी आपका चार्ज कट सकता है। ऐसी कुछ रिपोर्ट सामने आई है। एक तरफ जहां सरकार ने देश में डिजिटल को बढ़ाने के लिए कदम उठाए और आज सब चीजों का डिजिटलाइजेशन हो चुका है तो अब उसपर भी चार्ज लगाने की बात कही जा रही है।

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दरअसल, रिजर्व बैंक ने इसे लेकर ‘डिस्कशन पेपर ऑन चार्जेज इन पेमेंट सिस्टम’ जारी किया है। इस प्रस्ताव पर टिप्पणियां मंगाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक पेमेंट सिस्टम्स के डेवलपमेंट और पेमेंट के सेटलमेंट के लिए तैयार की गई बुनियादी संरचना की लागत को वसूल करने के विकल्प तलाश रहा है।

रिजर्व बैंक द्वारा जो पेपर जारी किए गए हैं उनमें यूपीआई को आईएमपीएस (IMPS) के समान एक फंड ट्रांसफर सिस्टम बताया गया है। ऐसे में यूपीआई के लिए भी आईएमपीएस की तरह फंड ट्रांसफर ट्रांजेक्शन पर चार्जेज लगने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि अलग-अलग अमाउंट के हिसाब से चार्जेज लगाए जा सकते हैं।

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रिजर्व बैंक ने यूपीआई के साथ ही डेबिट कार्ड से लेन-देन, आरटीजीएस (RTGS), एनईएफटी (NEFT) आदि के लिए चार्जेज को लेकर भी टिप्पणियां मांगी है। वहीं, रिजर्व बैंक कहता है कि ऐसा न सोचा जाए कि हम पैसा कमाने के लिए ये सब कर रहे हैं, बल्कि हमने जो सिस्टम तैयार किए हैं उसमें खर्च हुए रुपयों को वापस लाने का प्रयास है।

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Nitin Arora

Edited By

Manish Shukla

First published on: Aug 19, 2022 05:06 PM

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