DGCA two more senior officials face Corruption charged: पिछले महीने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इसी के साथ अब एक वरिष्ठ और निदेशक स्तर के अधिकारी पर तीसरी बार अपनी पावर का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। जो विमानन नियामक की प्रक्रियाओं पर महत्वपूर्ण सवाल उठाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम वर्तमान और पूर्व तीन अधिकारियों ने एक जांच रिपोर्ट के हवाला देते हुआ कहा कि अगर आरोप सही पाए गए तो डीजीसीए पदाधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने और उल्लंघनों की अनदेखी करने के सबसे गंभीर मामलों का सबसे बड़ा खुलासा हो सकता है।
पद का किया गलत इस्तेमाल
जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है कि उनमें अनिल गिल का नाम भी शामिल है। अनिल पर डीजीसीए में अपने आठ साल के कार्यकाल में तीन बार भ्रष्टाचार का आरोप लग चुका है। एयरोस्पोर्ट्स डिवीजन में गुमनाम रूप से दर्ज की गई नई शिकायत के बाद गिल को फ्लाइंग ट्रेनिंग (डीएफटी) के निदेशक के पद से हटा दिया गया था। 25 अक्टूबर को डीजीसीए को भेजी गई इस शिकायत में आरोप लगाया गया कि गिल ने अपने पद का इस्तेमाल करके पायलटों और फ्लाइंग स्कूलों, को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया ताकि वे ऐसा करने पर दूसरी राह देख सकें। इसमें नियमों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया था।
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वहीं, करीबी एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि तीन विमानों को रिश्वत के रूप में लेने का आरोप पूरी तरह से गलत है। एफटीओ ने उन्हें निजी ऑपरेटरों से खरीदा। बता दें कि 2011 में, फर्जी लाइसेंस घोटाले के लिए दिल्ली पुलिस अपराध शाखा ने डीजीसीए के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इन सभी कथित अधिकारियों के खिलाफ जांच बिना किसी दंडात्मक/सर्वर प्रशासनिक कार्रवाई के बंद कर दी गई, बल्कि सभी कथित अधिकारियों को संयुक्त महानिदेशक (जेटी डीजी) के स्तर तक पदोन्नत कर दिया गया।
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