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90% कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ खराब! सर्वे रिपोर्ट में खुलासे

Employees Mental Health Survey: कॉरपोरेट सेक्टर के कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ पर सर्वे हुआ है, जिसकी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि इस सेक्टर के कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य खराब है और इस समस्या से महिलाएं ज्यादा जूझ रही हैं।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Jan 24, 2025 14:00
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Corporate Sector Employees Mental Health
आजकल के नौजवान तनाव का जल्दी शिकार हो जाते हैं।

Employees Mental Health Survey Report: कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले युवाओं पर एक सर्वे हुआ था, जिसकी रिपोर्ट सामने आई तो उसमें हुए खुलासे पढ़कर चौंक जाएंगे। रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य संकट में है। इस सेक्टर के 90% कर्मचारी तनाव झेल रहे हैं। 25 साल से कम उम्र के कॉरपोरेट कर्मचारियों ने मानसिक तनाव और चिंता के लक्षण अनुभव किए है।

45 वर्ष से अधिक आयु के कर्मचारियों में यह आंकड़ा 67% मिला। महिला कर्मचारी पुरुषों की तुलना में अधिक परेशान है और इसकी वजह हार्मोनल और सामाजिक कारक हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कर्मचारियों में आत्महत्या करने का रिस्क 2023 के 19% से बढ़कर 2024 में 22% हो गया है। यह सर्वे रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ इमोशनल वेल-बिइंग रिपोर्ट 2024’ बेंगलुरु स्थित कंपनी वन टू वन हेल्प (1to1help) की ओर से जारी की गई है।

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खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण

रिपोर्ट के अनुसार, 21 वर्षीय बीकॉम ग्रेजुएट ने नौकरी जॉइन करने के 2 महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया था। वह एक मल्टीनेशनल फर्म में काम कर रहा था, लेकिन 12 घंटे के लंबे वर्किंग डे और अकेले रहने के कारण उसे तनाव और चिंता का सामना करना पड़ा। उसने बताया कि मेरे पास कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं था और यह सब झेलना मुश्किल हो गया था, इसलिए नौकरी छोड़ दी और अब अपने होमटाउन केरल लौट आया हूं।

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23 वर्षीय पल्लवी हाल ही में एक स्टार्टअप से कंटेंट स्ट्रेटजिस्ट के रूप में जुड़ी। वह भी इसी तरह की समस्या का सामना कर रही हैं। वह कहती हैं कि पहले मेरी नौकरी वर्क फ्रॉम होम थी। अब मुझे ऑफिस में 5 दिन और हर दूसरे शनिवार को जाना पड़ता है। लगातार सोशल होना और काम का दबाव अक्सर चिंता बढ़ा देता है।

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महिलाएं जटिल समस्याओं का सामना कर रहीं

महिलाओं के लिए यह समस्या अधिक जटिल है। पितृसत्तात्मक कार्यस्थल का माहौल उनके तनाव का बड़ा कारण है। 23 वर्षीय मार्केटिंग कंसल्टेंट मेलिसा टी कहती हैं कि अगर कोई महिला समय पर काम पूरा करने के लिए कहे तो उसे पुराना माना जाता है, लेकिन जब कोई पुरुष यही करता है तो उसे कंपनी के हित में देखा जाता है। वरिष्ठ पदों पर होने के बावजूद महिलाओं से विनम्र और अधीनस्थ बने रहने की अपेक्षा की जाती है। अगर कोई युवा महिला अपने अधिकारों का प्रयोग करती हैं तो उसे असभ्य माना जाता है।

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क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक?

क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक मुनिस्वामी केएस कहते हैं कि जीवन के नए फेज में एंट्री करते समय चिंता का अनुभव करना असामान्य नहीं है। किसी भी बड़े बदलाव को पूरी तरह स्वीकार करने में कम से कम 5 साल लगते हैं। इस दौरान एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम जरूरी होता है। मनोवैज्ञानिक जोसिली एच मैथ्यू का मानना है कि कॉरपोरेट कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लेतीं है। कई कंपनियों में वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर सिर्फ दिखावा किया जाता है। एक सेशन के दौरान प्रबंधन ने मुझसे कहा कि कर्मचारियों को यह बताएं कि वर्क लाइफ बैलेंस संभव नहीं है। यह दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है।

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कॉरपोरेट जीवन में बढ़ते तनाव ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। इसके समाधान के लिए कंपनियों को गंभीर कदम उठाने होंगे।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Jan 24, 2025 01:38 PM

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