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बांग्लादेश से भी गरीब था चीन! कैसे बना दुनिया का दूसरा सबसे पावरफुल देश; जानें

सन 1978 में, चीन चाड, बांग्लादेश और मलावी से भी गरीब था. उसकी प्रति व्यक्ति GDP $155 थी, जो यूनाइटेड स्टेट्स के $10,000+ का एक छोटा सा हिस्सा था. लेकिन फिर देंग शियाओपिंग सत्ता में आए. 45 साल बाद, चीन $17 ट्रिलियन की दुनिया का दूसरे सबसे पावरफुल देश है.

Author Written By: Vandana Bharti Updated: Dec 13, 2025 17:07
चीन की इकोनॉमी इतनी मजबूत कैसे बन गई

चीन के बारे में ये ख्‍याल रखना भी बेमानी लगता है क‍ि ये देश कभी गरीब होगा. वो भी बांग्‍लादेश से भी ज्‍यादा गरीब. फ‍िर चीन दुन‍िया का दूसरा सबसे ताकतवर देश कैसे बन गया? चीन की अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत कैसे हो गई? कैसे वो विश्व की मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बन गया? आप समझिए कि आप स्वेटर भी कहीं का है तो हो सकता है क‍ि बटन चाइना का हो. बटन नहीं तो धागा चाइना का हो. कंसंट्रेटर्स, पंखे, दवाइयां सब चाइना से आती हैं. मैन्युफैक्चरिंग में चाइना ने सबको पीछे छोड़ दिया.

गरीबी से कैसे न‍िकला चीन

1978 से 2018 तक, चीन की प्रति व्यक्ति GDP $155 से बढ़कर $9,700 से ज्‍यादा हो गई, यानी60 गुना से ज्‍यादा बढ़ोतरी. चीन की GDP 1978 में $149.5 बिलियन से बढ़कर साल 2021 में $17.7 ट्रिलियन हो गई, जिससे यह इतिहास में सबसे तेजी से लगातार होने वाला आर्थिक विस्तार बन गया. यह किस्मत नहीं थी. यह ध्यान से की गई प्लानिंग का नतीजा था.

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  1. रिफॉर्म और ओपनिंग अप
    डेंग ने माओ की सख्त कम्युनिस्ट पॉलिसी को छोड़ दिया और चीन को विदेशी इन्वेस्टमेंट और ट्रेड के लिए खोल दिया. उन्होंने 1980 में शेनझेन जैसे तटीय शहरों में स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) बनाए. इन जोन ने टैक्स में छूट, जमीन के इस्तेमाल में आसानी और विदेशी इन्वेस्टर्स के लिए आकर्षक कानूनी फ्रेमवर्क दिए. पश्चिमी कंपनियां टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट एक्सपर्टीज और कैपिटल लेकर आईं. साल 1990 के दशक तक, चीन मैन्युफैक्चरिंग का हब बन गया था. आज तक, चीन दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर है.
  2. खेती में सुधार
    डेंग का पहला टारगेट खेती बना. 1978 में, चीन की लगभग 80% आबादी गांव के इलाकों में रहती थी. कलेक्टिवाइजेशन के तहत, किसानों के पास पैदावार बढ़ाने के लिए बहुत कम प्रोत्साहन था. फ‍िर किसानों को अपनी उपज पर थोड़ी आजादी दी गई. इसके तहत अब क‍िसान, सरकार को तय हिस्सा देने के बाद बची हुई फसल को बाजार में बेच सकते थे. इससे किसानों को मेहनत का लाभ मिलने लगा. इससे अनाज उत्पादन भी बढ़ा. चीन पहली बार भुखमरी की छाया से बाहर निकल सका.
  3. सरकारी कंपनी सुधार और मार्केट लिबरलाइजेशन
    डेंग की मशहूर कहावत थी- ब‍िल्‍ली जब तक वह चूहे पकड़ती है, तब तक इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बिल्ली काली है या सफेद. ये कहावत उनके प्रैक्टिकल नजरिए को दिखाती है. उन्होंने सरकारी कंपनियों को आजादी से काम करने, मुनाफा बनाए रखने और मार्केट के आधार पर फैसले लेने की इजाजत दी.

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First published on: Dec 13, 2025 05:06 PM

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