RBI Repo Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया था। पांच साल के लंबे अंतराल के बाद नीतिगत ब्याज दरों में कमी हुई है। RBI के इस कदम से लोन सस्ते होने और EMI के बोझ से कुछ राहत मिलने की उम्मीद बढ़ी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस ‘उम्मीद’ के पूरा होने की उम्मीद कब तक की जाए?
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। ऐसे में जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है और वो ग्राहकों के कर्ज को भी महंगा कर देते हैं। इसके उलट जब रेपो रेट में कटौती होती है, तो लोन सस्ते होने का रास्ता खुल जाता है। अब जब रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती कर दी है, तो सभी की निगाह अब बैंकों पर है।
सरकार की नजर
सरकार बैंकों के रुख पर बारीकी से नजर रख रही है। सरकारी अधिकारी बैंकों और दूसरे लेंडर्स पर नजर बनाए हुए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केंद्रीय बैंक द्वारा दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक उचित तरीके से पहुंचाया जाए। ET की रिपोर्ट में एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि अगर अगले कुछ सप्ताह में RBI के निर्णय का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचता है, तो बैंकों से संपर्क किया जाएगा।
समय-सीमा नहीं
अधिकारी ने यह भी कहा कि इसके लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है। प्रत्येक बैंक की एसेट-लायबिलिटी कमेटी इस पर निर्णय लेगी, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि ग्राहकों को कोई लाभ न मिले या बहुत कम लाभ मिले। बता दें कि RBI के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की गई है, अब तक घटकर 6.25% पर आ गई है। इस फैसले के बाद देश के 6 बड़े बैंकों ने होम लोन की ब्याज दरों में कटौती की है, जबकि बाकी बैंकों की तरफ से ऐसी खबर का अभी इंतजार है।
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कितना मिलेगा लाभ?
2019 में, केंद्रीय बैंक द्वारा 25 आधार अंकों की कटौती के बाद अधिकांश बैंकों ने केवल 5 आधार अंकों की कटौती ही की थी। इसके बाद तत्कालीन आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में कटौती का लाभ ग्राहकों दिए जाने पर जोर देते हुए बैंकों के साथ आवश्यक उपायों पर चर्चा का संकेत दिया था। ऐसे में अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बैंक इस बार कटौती का कितना फायदा ग्राहकों को देते हैं।