नई दिल्ली: अब डिजिटल की ओर जमाना चल पड़ा है और IMPS, जैसी तत्काल भुगतान सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही धोखेबाज भी उपयोगकर्ताओं से पैसे चुराने के लिए नई तकनीक अपना रहे हैं। हर दिन, कई लोग साइबर अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं और अपनी मेहनत की कमाई खो देते हैं।
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हरियाणा में, पुलिस को इस साल जनवरी से अगस्त तक साइबर अपराध की कुल 36,996 शिकायतें साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930, पोर्टल साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन, 309 साइबर-डेस्क और 29 साइबर पुलिस स्टेशनों के माध्यम से मिलीं। इनमें से 20,484 शिकायतें प्रक्रियाधीन हैं और 15,057 का समाधान किया जा चुका है।
ऐसी ही एक घटना में, हरियाणा के कैथल के विपुल नाम के एक व्यक्ति को एक मैसेज प्राप्त हुआ, जिसमें उसे गिफ्त दिए जाने की बात कही गई थी और उसने उसपर क्लिक कर दिया। इसके बाद साइबर अपराधियों ने उससे 57,000 रुपये ठग लिए। इसके बाद विपुल ने हरियाणा पुलिस की राज्य अपराध शाखा से संपर्क किया। इसके तुरंत बाद, पुलिस ने लेन-देन को रोक दिया और विपुल को अब दो लेन-देन में खोए हुए 57,000 रुपये में से 50,000 रुपये वापस मिलेंगे।
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इन बातों का रखें ध्यान
विशेषज्ञों का सुझाव है कि किसी को न तो अज्ञात या संदिग्ध लिंक पर क्लिक करना चाहिए और न ही ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी के साथ बैंक विवरण साझा करना चाहिए।
साथ ही, अगर कोई आपसे ओटीपी साझा करने के लिए कहता है, तो आपको इसे कभी भी किसी को नहीं बताना चाहिए। यदि आपको कोई नकद पुरस्कार या लॉटरी पुरस्कार का संदेश मिलता है, तो पुरस्कार प्राप्त करने के लिए अपना जानकारी साझा करते वक्त ध्यान रखें।
स्मार्टफोन यूजर्स को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पैसे पाने के लिए उन्हें कभी भी किसी क्यूआर कोड को स्कैन करने की जरूरत नहीं है। क्यूआर कोड को स्कैन करने की आवश्यकता तभी होती है जब वे किसी व्यक्ति को पैसे देना चाहते हैं।
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