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सब्‍ज‍ियों की खेती करके IITian से ज्‍यादा पैसा कमा रही ये लड़की, कॉर्पोरेट नौकरी करने से क्‍यों कर द‍िया इनकार?

Success Story: ये कहानी लखनऊ की अनुष्‍का जयसवाल की है, ज‍िन्‍होंने कॉलेज प्लेसमेंट में म‍िली नौकरी को ठुकरा दिया और सब्‍ज‍ियों की खेती करके आईआईटी में पढ़े छात्रों से ज्‍यादा कमा रही हैं.

Author Written By: Vandana Bharti Author Published By : Vandana Bharti Updated: Oct 30, 2025 16:41

Success Story: बड़े सपना देखना आसान है, लेक‍िन उसे सच बनाने के ल‍िए बहुत मेहनत करनी पड़ती है. लेक‍िन कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो सपनों को सच भी कर द‍िखाते हैं और दूसरों के ल‍िए रोल मॉडल बन जाते हैं. ऐसी एक शख्‍स है अनुष्‍का जयसवाल, ज‍िन्‍होंने पढ़ाई पूरी होने के बाद प्‍लेसमेंट लेने से इनकार कर द‍िया और अपने ख्‍वाब को सच करने में जुट गईं.

कौन है अनुष्‍का जयसवाल? (Who Is Anushka Jaiswal)

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अनुष्‍का (Anushka Jaiswal), उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली हैं. उन्‍होंने द‍िल्‍ली के St. Stephen कॉलेज से पढ़ाई की है. साल 2017 में कॉलेज में प्‍लेसमेंट सीजन में अनुष्‍का को कई अच्‍छी जॉब म‍िली. लेक‍िन उन्‍होंने एक ऑफर भी स्‍वीकार नहीं क‍िया. 29 साल की ये लड़की दरअसल, अपने सपनों को जीना चाहती थी. अनुष्‍का ने फ्रेंच पढाई भी की है, लेक‍िन वहां भी उनका मन नहीं लगा और वो घर वापस आ गईं.

कैसे की शुरुआत

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उन्‍होंने घर की छत पर कुछ सब्‍जियां उगानी शुरू कीं. जैसे टमाटर. अनुष्‍का को इसमें मजा आने लगा और धीरे-धीरे उन्‍होंने खेती की बारीक‍ियों के बारे में समझना शुरू कर द‍िया. आज वो खेती से साल में 1 करोड़ रुपये कमा रही हैं.

इस काम में उनके भाई ने उन्‍हें खूब सपोर्ट क‍िया. अनुष्‍का ने इसमें कदम रखने से पहले नोएडा के इंस्‍टीट्यूट ऑफ हॉर्टीकल्‍चर से हॉर्ट‍िकल्‍चर में ट्रेन‍िंग ली. इसके साथ एग्रीकल्‍चर कोर्स ने उनके इरादे को और मजबूत कर द‍िया.

र‍िसर्च और पढाई पूरी करने के बाद अनुष्‍का ने साल 2020 में एक एकड़ जमीन पर पॉलीहाउस फार्म शुरू किया. अनुष्‍का यहां विदेशी सब्जियां उगाती हैं. उनके उत्‍पाद Blinkit और Big Basket के अलावा Lulu हाइपरमार्केट में भी ब‍िक रहे हैं.

अनुष्‍का की कहानी उन छोटे क‍िसानों के ल‍िए प्रेरणा है, ज‍िनके पास ज्‍यादा जमीन नहीं है. लेक‍िन वो कुछ नया करना चाहते हैं. अनुष्‍का के घर में कोई क‍िसान नहीं है. लेक‍िन अनुष्‍का ने घर की छत पर एक्‍सपेर‍िमेंट कर, ये समझ ल‍िया क‍ि ये चुनौती वो पूरा कर सकती हैं.

जैसे-जैसे उनका पॉलीहाउस फलने-फूलने लगा, उन्होंने पांच एकड़ जमीन और लीज पर ले ली और अपनी फसलों में विविधता लाते हुए लेट्यूस, बोक चॉय, ज़ुकीनी, केल, अजमोद और लाल पत्तागोभी जैसी कई विदेशी सब्ज़ियां उगाईं. उन्होंने एक नर्सरी भी शुरू की है.

हर सब्ज़ी की कटाई का समय अलग-अलग होता है. शिमला मिर्च 10 महीने में होती है, खीरे की कटाई में तीन से चार महीने लगते हैं. वहीं सलाद वाली सब्जियां 45 दिनों में पक जाती हैं और ज़ुकीनी को लगभग चार महीने लगते हैं.

आज, वह हर साल लगभग 210 टन शिमला मिर्च का उत्पादन करती हैं. क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिकने के अलावा, उनकी सब्जियां दिल्ली और वाराणसी के थोक बाजारों में भी पहुंचती हैं, जिससे उनका कारोबार 1 करोड़ रुपये का होता है. वह 25-30 मजदूरों को रोजगार देती हैं, जिनमें जयादातर महिलाएं हैं.

अनुष्का कहती हैं कि सबसे जरूरी बात यह है कि जमीन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उसे समय-समय पर खुला छोड़ दिया जाए. हम हर साल मई और जून में दो महीने के लिए जमीन को सूर्य की ऊर्जा से भरते हैं. इस प्रक्रिया में मिट्टी को ढक दिया जाता है ताकि वह सांस ले सके. हम रसायनों का इस्तेमाल नहीं करते; बल्कि मिट्टी से होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए उसमें खाद डालते हैं.

First published on: Oct 30, 2025 04:41 PM

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