अडाणी ग्रुप की दो कंपनियां, अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी, ने पर्यावरण को बचाने की दिशा में रिकॉर्ड कायम किया है। इन दोनों कंपनियों द्वारा पर्यावरण की रक्षा के लिए बनाए गए प्लान को साइंस बेस्ड टारगेट्स इनिशिएटिव (SBTi) ने मंजूरी दे दी है। इस सक्सेस ने दोनों कंपनियों को भारत में इको-फ्रेंडली लीडर्स की लिस्ट में सबसे ऊपर ला खड़ा किया है। SBTi एक ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन है, जिसका काम ये चेक करना है कि कंपनियां पर्यावरण बचाने की दिशा में सही काम कर रही हैं या नहीं कर रही हैं।
क्या कर रही हैं ये कंपनियां?
दरअसल अंबुजा और एसीसी सीमेंट्स ने ये कमिटमेंट किया है कि वे 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को बहुत कम करेंगी और 2050 तक पूरी तरह कार्बन-फ्री (नेट-जीरो) हो जाएंगी। ये कदम भारत के 2070 तक नेट-जीरो कार्बन का सपना पूरा करने में बड़ी मदद करेगा। कंपनियों को मिले इस ग्लोबल अप्रूवल की बदौलत दोनों कंपनियां भारत सरकार की कार्बन क्रेडिट स्कीम में हिस्सा ले सकेंगी और दुनिया भर के कार्बन मार्केट्स में भी एक्टिव रहेंगी। अडानी सीमेंट दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी है और इतने बड़े लेवल पर इन टारगेट्स को अप्रूव करवाने वाली ये कुछ चुनिंदा कंपनियों में से एक बन गई हैं।
पर्यावरण बचाने की दिशा में उठाया बड़ा कदम
अडाणी ग्रुप के सीमेंट बिजनेस हेड विनोद बाहेती ने कहा कि ‘हमें गर्व है कि अंबुजा और एसीसी पर्यावरण को बचाने में इतना बड़ा स्टेप ले रही हैं। हमारा मिशन है कि ग्रोथ हो, लेकिन नेचर को कोई नुकसान न पहुंचे। ये अप्रूवल हमारे सपने को और पक्का करता है कि हम एक ग्रीन और क्लीन फ्यूचर बनाएं।’ दोनों कंपनियां पर्यावरण के लिए रियल और स्मार्ट स्टेप्स ले रही हैं, ताकि हमारी धरती को और बेटर बनाया जा सके।
उठा रही हैं ये कदम
अंबुजा और एसीसी सीमेंट कंपनियां पर्यावरण को प्रोटेक्ट करने के लिए ढेर सारे कदम उठा रही हैं। अंबुजा ने प्लान बनाया है कि 2028 तक उनकी 60% बिजली ग्रीन सोर्सेज, जैसे सोलर पावर, विंड पावर और वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम (WHRS) से आएगी। इसमें 1 गीगावाट सोलर-विंड पावर और 376 मेगावाट WHRS का टारगेट है। अभी तक कंपनी ने 299 मेगावाट सोलर-विंड और 186 मेगावाट WHRS की कैपेसिटी अचीव कर ली है। इसके साथ ही अडानी ग्रुप ग्रीन हाइड्रोजन पर भी जोर दे रहा है, जो इन कंपनियों को कार्बन-फ्री बनाने में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। दोनों कंपनियां ग्रीन एनर्जी, अल्टरनेटिव फ्यूल, एनर्जी सेविंग, और न्यू टेक्नोलॉजी यूज करके पॉल्यूशन कम करने में जुटी हैं।
वर्ल्ड लेवल पर छोड़ी छाप
अंबुजा सीमेंट्स ने वर्ल्ड लेवल पर भी अपनी छाप छोड़ी है। ये पहली सीमेंट कंपनी है, जो इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (IRENA) के एलायंस फॉर इंडस्ट्री डीकार्बनाइजेशन (AFID) का हिस्सा बनी। इसके अलावा, ये वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) के एक स्पेशल प्रोजेक्ट में भी शामिल है, जो इंडस्ट्रीज को इको-फ्रेंडली बनाने पर फोकस करता है। इन स्टेप्स से अंबुजा न सिर्फ इंडिया में, बल्कि पूरी दुनिया में ग्रीन फ्यूचर के लिए लीडरशिप दिखा रही है।
इंडिया को ग्रीन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है अडाणी ग्रुप
अडाणी ग्रुप ने इंडिया को ग्रीन बनाने के लिए 100 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट करने का वादा किया है। ग्रुप का प्लान है कि 2030 तक उनकी ग्रीन एनर्जी कैपेसिटी को 14.2 गीगावाट से बढ़ाकर 50 गीगावाट किया जाए। इसके साथ ही, वे एक ग्रीन हाइड्रोजन सिस्टम भी डेवलप कर रहे हैं, जो फ्यूचर की एनर्जी नीड्स को सपोर्ट करेगा। ये प्रोजेक्ट्स अंबुजा और एसीसी को कार्बन एमिशन कम करने और कोयले जैसे फ्यूल्स पर डिपेंडेंसी घटाने में जबरदस्त हेल्प करेंगे।
क्लाइमेट क्राइसिस में स्मार्ट और बोल्ड मूव्स ले रही हैं कंपनियां
ये अप्रूवल अंबुजा और एसीसी के लिए सिर्फ एक अचीवमेंट नहीं, बल्कि एक बड़ी रिस्पॉन्सिबिलिटी है। दोनों कंपनियां सीमेंट इंडस्ट्री में नए बेंचमार्क सेट कर रही हैं, ये प्रूव करते हुए कि क्लाइमेट क्राइसिस में स्मार्ट और बोल्ड मूव्स लेना पॉसिबल है। उनके इनोवेशन और इनीशिएटिव्स से साफ है कि इकोनॉमिक ग्रोथ और नेचर प्रोटेक्शन साथ-साथ चल सकते हैं। ये कंपनियां न सिर्फ इंडिया, बल्कि ग्लोबल लेवल पर सीमेंट इंडस्ट्री के लिए इंस्पिरेशन बन रही हैं।
अडाणी सीमेंट का हिस्सा हैं ये कंपनियां
अडाणी सीमेंट, अडानी ग्रुप का वो हिस्सा है, जो सीमेंट और बिल्डिंग मटीरियल बनाता है। इसमें अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी जैसे ट्रस्टेड ब्रैंड्स शामिल हैं। ये दुनिया की 9वीं सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी है, जिसकी प्रोडक्शन कैपेसिटी 100 मिलियन टन से ज्यादा है। ये इंडिया के घरों और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए करीब 30% सीमेंट सप्लाई करता है। कंपनी नॉर्मल और स्पेशल कंस्ट्रक्शन के लिए अलग-अलग सीमेंट और कंक्रीट प्रोडक्ट्स ऑफर करती है। अंबुजा ने एसीसी ईकोमैक्सX जैसे इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स बनाए हैं, जो कंस्ट्रक्शन में कार्बन कम करते हैं। रिसर्च और न्यू टेक्नोलॉजी के साथ, कंपनी इंडिया को स्ट्रॉन्ग बनाने में जुटी है।