---विज्ञापन---

आचार्य बालकृष्ण ने बताया योग-आयुर्वेद का महत्व, World Book Fair में पतंजलि के वैश्विक योगदान पर प्रकाश डाला

Acharya Balkrishna On Importance Of Yoga-Ayurveda: पतंजलि योगपीठ के को-फाउंडर और बाबा रामदेव के साथ कमद से कदम मिलाकर जन कल्याण के लिए काम करने वाले आचार्य बालकृष्ण ने विश्व पुस्तक मेले में योग और आयुर्वेद का महत्व बताया और पतंजलि के वैश्विक योगदान पर चर्चा की।

Edited By : Hema Sharma | Updated: Feb 9, 2025 14:57
Share :
Acharya Balkrishna On Importance Of Yoga-Ayurveda
Acharya Balkrishna On Importance Of Yoga-Ayurveda

Acharya Balkrishna On Importance Of Yoga-Ayurveda: पतंजलि योगपीठ (ट्रस्ट) के सह-संस्थापक और महासचिव आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) शनिवार को नई दिल्ली के ‘भारत मंडपम’ में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक मेले में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने आयुर्वेद और योग का महत्व बताया जिसे जान वहां बैठे लोग काफी इंप्रेस हुए। साथ ही आचार्य ने बताया कि कैसे पतंजलि का वैश्विक स्तर पर योगदान हो? उन्होंने कहा कि इसके लिए हम और हमारी पूरी टीम प्रयासरत है। इस इवेंट में उन्होंने न सिर्फ योग का महत्व बताया बल्कि उन किताबों या यूं कहें कि ग्रंथों के बारे में भी बात की जो अद्भुत हैं और पतंजलि विद्यापीठ की रचनाएं हैं। आइए विस्तार से इस बारे में बात करते हैं…

आचार्य बालकृष्ण ने योग का बताया महत्व

सबसे पहले आचार्य बालकृष्ण ने योग के बारे में बात की और दुनिया भर में इसे मिली यूनिवर्सल स्वीकृति पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अगर दुनिया भर में विभिन्न भाषा के लोग फिर चाहे वो देसी हों या विदेशी वो शब्द है ‘योग’। बालकृष्ण ने कहा कि भले ही कई सारे लोग इसका अर्थ पूरी तरह से न समझ पाएं, लेकिन वे भाषा या सांस्कृतिक बाधाओं के बावजूद सांस लेने वाले योगाभ्यास, शारीरिक मुद्राओं (आसन) और प्राणायाम के साथ इसके जुड़ाव से परिचित हैं, और एक अलग ही तरह की अनुभूति महसूस करते हैं।

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें: मरने के बाद कब तक घर में ही रहती है आत्मा? गरुड़ पुराण के पाठ के क्या फायदे

बालकृष्ण ने आयुर्वेद को वैश्विक मान्यता दिलाने का आह्वान किया

आयुर्वेद पर चर्चा करते हुए आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि अपनी अपार संभावनाओं के बावजूद आयुर्वेद को वह वैश्विक मान्यता नहीं मिली है जिसका वह वास्तव में हकदार है। उन्होंने आयुर्वेद को एक संपूर्ण विज्ञान बताया जो स्वतंत्र रूप से खड़ा है, जिसका अन्य चिकित्सा प्रणालियों से कोई मुकाबला नहीं है। आचार्य ने इस बात पर जोर दिया कि जहा एलोपैथी, अपनी सिंथेटिक दवाओं के साथ, आधुनिक जीवन की आवश्यकता है, वहीं आयुर्वेद हमारे दैनिक जीवन में अंतर्निहित रूप से समाया हुआ है। उनके अनुसार, आयुर्वेद हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर रहना सिखाता है।

---विज्ञापन---

Acharya Balkrishna

आयुर्वेदिक साहित्य में पतंजलि का योगदान

अपनी बात को जारी रखते हुए आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेदिक साहित्य में पतंजलि के महत्वपूर्ण योगदान के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पतंजलि ने ‘विश्व हर्बल विश्वकोश’ (World Herbal Encyclopedia) प्रकाशित किया है। इसमें 32,000 औषधीय पौधों का सचित्र वर्णन है। साथ ही उन्होंने आयुर्वेद-आधारित ‘सौमित्र निदानम’ के बारे में भी बात की जो एक ऐसी पुस्तक है जिसमें आधुनिक दुनिया में उभरती बीमारियों और उसके लक्षणों के बारे में बताया गया है।

आचार्य ने बताया कि यह कार्य 6,821 श्लोकों के माध्यम से किया गया है जो लगभग 500 बीमारियों का विवरण देता है।, जिसमें 471 सबसे आम बीमारियां शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद की परंपरा में पहली बार 2,500 से अधिक नैदानिक स्थितियों का वर्णन किया गया है।

 स्वदेशी उत्पादों पर किया ध्यान केंद्रित

आचार्य बालकृष्ण ने इवेंट के दौरान पतंजलि के स्वदेशी उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लोगों को उसके महत्व के बारे में बताया।  उन्होंने बताया कि पतंजलि के उत्पाद पारंपरिक ज्ञान और लोगों के कल्याण की भावनाओं को देखते हुए बनाए गए हैं। उन्होंने पतंजलि के अपने प्रयासों के माध्यम से किए गए व्यापक योगदानों का भी जिक्र किया। आचार्य ने बताया कि पतंजलि ने योग, आयुर्वेद, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शोध और प्राचीन पांडुलिपियों के प्रकाशन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। कंपनी ने लोगों को व्यक्तिगत विकास की दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरक आध्यात्मिक पुस्तकें भी लॉन्च की हैं।

Acharya Balkrishna

शिक्षा प्रणाली में पतंजलि के योगदान पर चर्चा

इसके अलावा, आचार्य बालकृष्ण ने भारत की शिक्षा प्रणाली में पतंजलि के योगदान का उल्लेख करते हुए बताया कि कंपनी भारतीय शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुरूप कक्षा 1 से 10 तक की पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन में सक्रिय रूप से शामिल रही है। इस पहल का उद्देश्य भारत में एक मजबूत और स्वदेशी शिक्षा प्रणाली की नींव रखना है। इन विभिन्न प्रयासों के माध्यम से, पतंजलि देश के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और शैक्षिक परिदृश्य को समृद्ध करते हुए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

यह भी पढ़ें: राजस्थान पुलिस में निकलने वाली है बंपर भर्ती, बस देना पड़ेगा ये एग्जाम

HISTORY

Edited By

Hema Sharma

First published on: Feb 09, 2025 02:57 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें