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1x Betting Case: संपत्ति जब्‍त कर उसका क्‍या करती है सरकारी एजेंसी ED? बेच देती है या वापस कर देती है?

1x Betting Case : अवैध सट्टेबाजी ऐप 1xBet मामले में ईडी ने युवराज स‍िंह, उर्वर्शी रौतेला, सोनू सूद समेत कई सेलीब्र‍िटीज से जुड़ी संपत्‍त‍ियां अटैच की हैं. जान‍िये जब सरकारी एजेंसी ईडी संपत्‍त‍ि को सीज करती है तो उसका क्‍या करती है?

Author Written By: Vandana Bharti Updated: Dec 19, 2025 21:42
क्‍या होता है प्रॉपर्टी का अटैचमेंट?

1x Betting Case: ऑनलाइन 1x बेट‍िंग ऐप मामले में एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी ED ने कार्रवाई तेज करते हुए कई क्रिकेटरों और फिल्मी हस्तियों की करोड़ों रुपए की संपत्ति अटैच कर ली है. युवराज सिंह, रोबिन उथप्पा, सोनू सूद, उर्वशी रौतेला, मिमी चक्रवर्ती समेत कई सेलीब्र‍िटीज इस कार्रवाई के घेरे में आ गए हैं. ज‍िन लोगों पर कार्रवाई हो रही है, ईडी ने उनकी संपत्‍त‍ि अटैच कर ली है. ऐसे में आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा क‍ि ईडी इन संपत्‍त‍ियों को अटैच करने के बाद उनका क्‍या करती है? क्‍या वो इन्‍हें बेच देती है? या कुछ और करती है? पूरी ड‍िटेल यहां जान‍िये:

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इस बारे में आपको पूरी जानकारी देने से पहले ये बता दें क‍ि 1x बेट‍िंग केस में ये पहली कार्रवाई नहीं है. युवराज सिंह (2.5 करोड़), रोबिन उथप्पा (₹8.6 लाख), सोनू सूद(₹1 करोड़) और उर्वशी रौतेला(₹2.02 करोड़) के अलावा मिमी चक्रवर्ती (₹59 लाख), अंकुश हजारा (₹47.20 लाख) और नेहा शर्मा (₹1.26 करोड़) की संपत्ति अटैच करने से पहले ईडी ने शिखर धवन (₹4.55 करोड़) और सुरेश रैना (₹6.64 करोड़) की संपत्ति भी अटैच की थी. ईडी की नई कार्रवाई के बाद अब इस मामले में कुल 19 करोड़ से ज्यादा मूल्‍य की संपत्तियां अटैच हो गईं.

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अटैच प्रोपर्टी का क्‍या करती है सरकारी एजेंसी?

ED जब कोई प्रॉपर्टी अटैच करती है, तो उसका मतलब जब्‍ती नहीं, बल्‍क‍ि 180 द‍िनों तक उस पर जांच करती है क‍ि वह संपत्‍त‍ि, मनी लॉन्‍ड्र‍िंग से संबंध‍ित है. इन 180 द‍िनों के दौरान संपत्‍त‍ि के माल‍िक के पास मालिकाना हक रहता है, लेक‍िन वो उस प्रॉपर्टी को बेच या ग‍िरवी नहीं रख सकता. जैसे अगर कोई मकान है तो घर का मालिक उसे यूज कर सकता है, लेक‍िन बेच नहीं पाएगा.

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इस 180 द‍िनों के भीतर ही ईडी को निर्णायक प्राधिकरण के सामने सबूत पेश करने होते हैं और ये साब‍ित करना होता है क‍ि प्राॅपर्टी मनी लॉन्‍ड्र‍िंग से ही जुड़ी है.सबूतों की जांच में अगर अटैचमेंट की पुष्टि हो जाती है तो ईडी प्रॉपर्टी पर अपना फिजिकल कब्जा कर लेती है. अगर अटैचमेंट की पुष्टि नहीं होती तो ईडी को अटैच की गई प्रॉपर्टी को छोड़ना होता है.

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पीएमएलए कोर्ट में इसकी सुनवाई होती है और जब तक कोर्ट के नतीजे नहीं आ जाते, तब तक ईडी उस प्रॉपर्टी को बेचती या नीलाम नहीं करती है. लेक‍िन एक बार अगर साब‍ित हो गया क‍ि प्राॅपर्टी मनी लॉन्‍ड्र‍िंग के पैसे से खरीदी गई है तो सरकारी एजेंसी उसे जब्‍त कर लेती है. फ‍िर उसकी नीलामी होती है और उससे म‍िले पैसे को देश के सरकारी खजाने में डाल द‍िया जाता है.

First published on: Dec 19, 2025 09:37 PM

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