---विज्ञापन---

24 का चक्रव्यूह: विधानसभा चुनावों में BJP का पलड़ा हल्का होगा या भारी?

Bharat Ek Soch : लोकसभा चुनाव के बाद अब सबकी निगाहें विधानसभा चुनावों पर टिकी हैं। इस साल के अंत तक चार राज्यों में चुनाव होने हैं, जिसमें महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। आइए जानते हैं कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी का पलड़ा हल्का होगा या भारी?

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Jul 27, 2024 22:42
Share :
Bharat Ek Soch
भारत एक सोच।

Bharat Ek Soch : अक्सर कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता। किसी एक व्यक्ति का जादू हमेशा नहीं चलता। कुछ इसी तरह की सोच के साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता भविष्य की संभावनाओं को लेकर गुना-भाग कर रहे होंगे। दिल्ली में बैठक और मेल-मुलाकात के लिहाज से बहुत अहम दिन रहा। नीति आयोग की बैठक में साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को लेकर मंथन हुआ। वहीं, बीजेपी रणनीतिकारों की सबसे बड़ी टेंशन चार राज्यों यानी महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद BJP महारथी अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि चुनाव वाले चारों राज्यों के लोगों के मन में क्या है? इंडिया गठबंधन के नेताओं को लग रहा है कि अगर इन चारों राज्यों में बीजेपी को सत्ता में आने से रोक दिया गया तो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी तेजी से ढलान की ओर जाने लगेगी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के दिग्गजों की सांसें क्यों ऊपर-नीचे हो रही हैं? हरियाणा में नेतृत्व परिवर्तन वाले प्रयोग का ट्रेलर तो लोकसभा चुनाव में दिख चुका है, लेकिन विधानसभा चुनाव में क्या होगा? हरियाणा के चुनावी अखाड़े में बीजेपी-कांग्रेस की आमने-सामने की लड़ाई में कौन बनेगा वोट कटुआ? झारखंड में BJP का सत्ता से वनवास खत्म होगा या हेमंत सोरेन सहानुभूति लहर पर सवार होकर सत्ता बचाने में कामयाब रहेंगे? जम्मू-कश्मीर में किसके पक्ष में चल रही है हवा? 2024 में चार राज्यों के नतीजों से कितना बदलेगा देश का सियासी मिजाज?

विधानसभा चुनावों में किसका पलड़ा भारी?

महाभारत में आचार्य द्रोण के चक्रव्यूह का जिक्र है, जिसके पहले दरवाजे को तोड़कर अभिमन्यु भीतर दाखिल हुआ। उसके दल के दूसरे महारथी पहले दरवाजे पर ही उलझे रहे और सातवें द्वार को तोड़ते हुए अभिमन्यु मारा गया। अगर चुनावी राजनीति को एक चक्रव्यूह मान लें तो 2024 में अभी चार बड़े ऐसे द्वार हैं- जिनके नतीजे तय करेंगे कि देश की राजनीति किस ओर जाएगी। अप्रैल-मई में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के ज्यादातर नेता जोरशोर से कहते थे- अबकी बार 400 पार। लेकिन, चार जून को आए नतीजों में बीजेपी लोकसभा में 303 सीटों से 240 पर आ गई। मतलब, प्रधानमंत्री मोदी को अपनी सरकार चलाने के लिए अगले पांच साल तक गठबंधन साझीदारों की ओर देखना होगा। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष अब पहले से बहुत अधिक मुखर दिख रहा है। हाल में पेश निर्मला सीतारमण के बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार पर खास मेहरबानियां दिखीं, जिसे गठबंधन साझीदार TDP और JDU को जोड़े रखने की कीमत बताई जा रही है। ऐसे में सवाल ये है कि बीजेपी जिस रास्ते आगे बढ़ रही है उसमें 2024 का कैलेंडर पलटने तक देश का राजनीतिक नक्शा कितना बदलेगा? बीजेपी और मजबूत होगी या कमजोर? इसे समझने के लिए सबसे पहले बात करते हैं- महाराष्ट्र की। अगर लोकसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में 13 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है। कांग्रेस का एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के बीच गठबंधन रहा। इस गठबंधन को लोकसभा में 31 सीटें मिलीं। वहीं, बीजेपी को सिर्फ 9 और उसकी सहयोगी शिवसेना शिंदे गुट को 7 सीटें मिलीं। अजीत पवार की एनसीपी के खाते में सिर्फ एक सीट आई। अगर यही वोटिंग पैटर्न अक्टूबर-नवंबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी रहा तो बीजेपी के हाथ से एक और राज्य निकल सकता है।

यह भी पढ़ें : Budget 2024: किस फॉर्मूले से देश में कम होगी अमीर-गरीब के बीच खाई?

महाराष्ट्र की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं 

भले ही लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के बड़े-बड़े नेता दलील देते थे कि महाराष्ट्र में ट्रिपल इंजन सरकार चल रही है। कोई खटपट या खींचतान नहीं है। लेकिन, भीतरखाने ऑल इज वेल भी नहीं दिख रहा। महाराष्ट्र की 288 सीटों में कौन-कितने सीटों पर उम्मीदवार उतारेगा, इसे लेकर भीतरखाने शीतयुद्ध जारी है। खबर है कि बीजेपी 160 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है। वहीं, शिवसेना शिंदे गुट की नजर 100 सीट हासिल करने की है। अजीत पवार गुट भी 80 सीटों पर दावा कर रहा है। सवाल ये भी है कि महायुति किस चेहरे के साथ चुनाव में उतरे? क्या अभी एकनाथ शिंदे के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा जाए और बाद में जिसकी सीटें ज्यादा हो, उसका मुख्यमंत्री बने। ये भी गुना-भाग चल रहा है कि महायुति में अब कौन अनुपयोगी है? महाराष्ट्र की सियासी फिजाओं से निकलते ऐसे कई सवाल बीजेपी रणनीतिकारों की नींद उड़ाए हुए हैं।

कांग्रेस-बीजेपी का समीकरण बिगाड़ सकती है AAP-JJP

इसी तरह हरियाणा में भी लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को तगड़ा झटका लगा। लोकसभा चुनाव से पहले करीब 9 साल से सूबे की कमान संभाल रहे मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गयी। 2019 में जहां बीजेपी ने हरियाणा की 10 सीटों पर क्लीन स्वीप किया था तो वहीं 2024 में पांच पर सिमट गयी। कांग्रेस के खाते में पांच सीटें आईं। ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनाव में जहां एक ओर कांग्रेस और बीजेपी में सीधी फाइट दिख रही है। वहीं, दुष्यंत चौटाला की जेजेपी और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी प्रदेश की कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकती है। हरियाणा के चुनावी अखाड़े में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने मोर्चा संभाल रखा है।

यह भी पढ़ें : अग्निपथ स्कीम को लेकर असंतोष, सेना में भर्ती पर क्यों मचा बवाल?

किसान-अग्निवीर बड़ा मुद्दा

हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसान और अग्निवीर का मुद्दा ड्राइविंग सीट पर रहने की उम्मीद है। कांग्रेस भी चाहेगी कि इन्हीं दोनों मुद्दों को लेकर सूबे की बीजेपी सरकार को घेरा जाए, अभी जिस तरह के समीकरण दिख रहे हैं। उसमें एक तस्वीर ये भी बनती दिख रही है अगर किसी को भी पूर्ण बहुमत न मिले। मतलब, हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा सामने आए। ऐसी स्थिति में एक संभावना ये बन सकती है कि बीजेपी और जेजेपी फिर से हाथ मिला लें। इंडिया गठबंधन पूरी कोशिश करेगा कि किसी भी कीमत पर हरियाणा में बीजेपी को रोका जाए। महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी के सामने सरकार बचाने की चुनौती है तो वहीं, झारखंड में सत्ता में वापसी की संभावना। फिलहाल, झारखंड में कांग्रेस की मदद से हेमंत सोरेन सरकार चला रहे हैं। वो हाल में जमीन घोटाले के आरोप में पांच महीने जेल में रहकर आए हैं। हेमंत सोरेन की प्रदेश के आदिवासी वोटरों पर तगड़ी पकड़ है, जो खुद को बीजेपी की बदले की राजनीति का शिकार बता रहे हैं। बीजेपी की नजर रांची में मुख्यमंत्री वाली कुर्सी पर है। हेमंत सोरेन को सत्ता से बेदखल करने के लिए बीजेपी जोरशोर से भ्रष्टाचार का मुद्दे को उठा रही है।

झारखंड में सियासी हलचल तेज

झारखंड में भ्रष्टाचार, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और रोजगार के लिए पलायन बड़ा मुद्दा रहा है। झारखंड में सत्ता की चाबी किसके हाथ में जाएगी, ये तय करने में सूबे के आदिवासी वोटर बड़ी भूमिका निभाते हैं। बीजेपी भी झारखंड में आदिवासी वोटबैंक को अपने पाले में करने के लिए लंबे समय में जुटी हुई है। आरएसएस के स्वयंसेवक एक जमाने से झारखंड के दूर-दराज के इलाकों में लोगों की जिंदगी में बदलाव के लिए काम कर रहे हैं, जिसका चुनावों में बीजेपी को फायदा मिलता रहा है। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि जेल से बेल पर रिहा होने के बाद हेमंत सोरेन जिस तरह आक्रामक अंदाज में बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं, खुद को बदले की राजनीति के शिकार के तौर पर पेश कर रहे हैं। वैसे में झारखंड की सत्ता में वापसी की राह बीजेपी के लिए आसान नहीं होगी? बीजेपी महारथियों की अगली टेंशन जम्मू-कश्मीर है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर तक चुनाव कराने का निर्देश दिया है। अनुच्छेद 370 को रद्दी की टोकरी में फेंकने के बाद केंद्र सरकार उप-राज्यपाल के जरिए जम्मू-कश्मीर में शासन चला रही है। बीजेपी ने विकास और बदलाव के जरिए जम्मू-कश्मीर के लोगों का दिल जीतने की कोशिश की। लेकिन, बीजेपी रणनीतिकारों के मन में आशंका बनी हुई है कि विधानसभा चुनावों में जम्मू-कश्मीर के लोग किसे अपना भाग्य विधाता चुनेंगे।

यह भी पढ़ें :कश्मीर में इस्लाम की एंट्री से कितना बदला सामाजिक ताना-बाना?

जम्मू-कश्मीर में भी होगा चुनाव

वोट शेयर के लिहाज से जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा वोट बीजेपी को मिला। जबकि दूसरे नंबर की पार्टी रही नेशनल कॉन्फ्रेंस। कांग्रेस का वोट शेयर भी अच्छा खासा बढ़ा। बीजेपी ये भी जानती है कि लोकसभा चुनाव में जहां वोट राष्ट्रीय मुद्दों पर पड़ता है तो वहीं विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय और स्थानीय मुद्दे हावी रहते हैं। ऐसे में बीजेपी दिग्गजों को डर सता रहा होगा कि कहीं जम्मू-कश्मीर में खेल पलट न जाए। इसी तरह झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र को लेकर भी डोलड्रम की स्थिति है। अगर चारों राज्यों के नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं आते हैं तो विपक्ष का देश में सियासी दबदबा बढ़ेगा। ये धारणा भी मजबूत होगी कि बीजेपी का हराना नामुमकिन नहीं है। वहीं, अगर बीजेपी चारों राज्यों में कमल खिलाने में कामयाब रहती है तो माना जाएगा कि ब्रैंड मोदी में दमखम अभी बरकरार है और मोदी के मिशन 2047 के साथ पूरा देश खड़ा है।

SOURCES
HISTORY

Written By

Deepak Pandey

First published on: Jul 27, 2024 10:40 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें