Trump Tariff: अमेरिका ने भारत से आने वाले ऑटो पार्ट्स पर 50% तक का नया टैरिफ लगा दिया है। यह शुल्क 7 अगस्त को लगाए गए 25% टैरिफ से दोगुना है। नए नियमों के कारण भारतीय ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है क्योंकि लगभग आधा निर्यात अब महंगे टैक्स की चपेट में आ जाएगा।
क्या असर
भारत ने 2024 में अमेरिका को 6.6 बिलियन डॉलर (करीब 55 हजार करोड़ रुपए) के ऑटो पार्ट्स निर्यात किए थे। इनमें से 3.08 बिलियन डॉलर के प्रोडक्ट्स अब 50% टैरिफ की मार झेलेंगे। कार और छोटे ट्रकों के पुर्जों पर पहले से ही 25% शुल्क था, जो अभी भी जारी रहेगा। अमेरिका भारतीय ऑटो पार्ट्स का सबसे बड़ा खरीदार है, ऐसे में इस फैसले का असर सीधा भारतीय कंपनियों पर पड़ेगा।
ऐसे में बड़ा सवाल आता है कि क्या इसका असर ऑटोमोबाइल सेक्टर पर भी पड़ेगा। तो इसका जवाब है हां। क्योंकि अब नए टैरिफ के बाद स्थिति बदल गई है। ऐसे में जाहीर है कि कारों की कीमतों में भी इजाफा होगा और वो पहले की तुलना में महंगी होंगी।
इधर इससे इंजीनियरिंग गुड्स बनाने वाले छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि वे इस क्षेत्र के 40% निर्यात में योगदान देते हैं। नतीजतन, हजारों नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है।
कंपनियों की मुश्किलें
कंपनियों का कहना है कि पहले से ही 25% टैरिफ से कारोबार संभालना मुश्किल हो रहा था, लेकिन 50% शुल्क के साथ अमेरिकी बाजार में बने रहना लगभग असंभव है। एक बड़ी ऑटो पार्ट्स कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अब हमारे पास विकल्प है कि या तो नए बाजार तलाशें या अमेरिका को सप्लाई के लिए उत्पादन का ढांचा बदलें।
मैक्सिको और दूसरे विकल्प
कई भारतीय कंपनियां अब इस बात पर विचार कर रही हैं कि अमेरिका के लिए प्रोडक्शन को मैक्सिको जैसे देशों में शिफ्ट किया जाए, जहां टैरिफ भारत की तुलना में कम है। दरअसल, कई भारतीय कंपनियों के पहले से ही विदेशों में यूनिट्स हैं, और वे यह आंकलन कर रही हैं कि क्या वहां से अमेरिकी बाजार को सप्लाई करना बेहतर रहेगा। वहीं सरकार इंजीनियरिंग गुड्स के लिए PLI स्कीम का विस्तार कर सकती है ताकि उत्पादन लागत कम हो और कंपनियां अमेरिकी बाजार में कॉम्पिटिशन बनाए रख सकें।
इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन्स पर भी असर
भारत ने 2024 में अमेरिका को 14 बिलियन डॉलर (करीब 1.23 लाख करोड़) के इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट किए थे, जिसमें स्मार्टफोन (खासकर iPhone) का बड़ा हिस्सा शामिल है। अप्रैल 2024 तक इलेक्ट्रॉनिक्स पर औसतन 0.41% टैरिफ लगता था।
फिलहाल इलेक्ट्रॉनिक्स को छूट मिली हुई है। यानी जब तक अमेरिकी ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट 1962 का हिस्सा लागू नहीं होता, तब तक iPhone और Samsung जैसे स्मार्टफोन्स के निर्यात पर असर नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर Section 232 टैरिफ के तहत 50% शुल्क लगाया गया, तो अमेरिका में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स काफी महंगे हो जाएंगे। इस स्थिति में कंपनियां अमेरिका को भेजे जाने वाले प्रोडक्ट्स किसी और देश में बनाने पर विचार कर सकती हैं।
भारत के पास विकल्प
इस मामले में सरकार स्मार्टफोन और सेमीकंडक्टर एक्सपोर्ट को टैरिफ से छूट दिलाने के लिए अमेरिका से बातचीत कर सकती है। वहीं घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार को मजबूत करना और नए ब्रांड्स विकसित करने पर ध्यान दे सकती है।
ट्रंप का यह फैसला भारत के लिए बड़ा झटका है। ऑटोमोबाइल सेक्टर इससे तुरंत प्रभावित होगा, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स पर खतरा फिलहाल टला हुआ है।
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