Tyres care in Summer: वैसे तो हर गाड़ी का हर एक पार्ट अहम होता है, लेकिन टायर्स का रोल सबसे खास होता है। टायर्स की सेहत अगर अच्छी हो तो आपकी गाड़ी लाजवाब परफॉरमेंस देगी। अगर एक भी टायर खराब हो जाए तो गाड़ी एक कदम आगे नहीं चल सकती।
गर्मी का मौसम है और अगर टायर्स खराब हो रहे हैं तो आपकी गाड़ी ब्रेक डाउन का शिकार हो सकती है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप टायर्स की देखभाल कर सकते हैं और साथ ही टायर्स कब बदलने चाहिये इसकी भी जानकारी हम आपको दे रहे हैं।
टायर के बारे जानें ये जरूरी बातें
हर टायर के साइड पर पूरी डिटेल लिखी होती है। टायर पर P लिखा रहता है जिसका मतलब यह है कि टायर पैसेंजर कार के लिए बना है। कार के टायर पर यह नंबर P215/55R15 90S छपा होता है जोकि यह दर्शाता है कि टायर की चौड़ाई 215mm है, 55 का मतलब aspect-ratioऔर R का मतलब रेडियल होता है जबकि 15 का मतलब होता रिम का साइज। इसके अलावा 90 का मतलब होता है लोड, यानी यह कार टायर पर कितना बोझ उठाया जा सकता है। S टायर की स्पीड रेटिंग को बताता है।
हर टायर के गति की अधिकतम सीमा होती है। इसके लिए A1 से लेकर Y तक की रेटिंग दी जाती है। A1 रेटिंग वाले टायर 5 kmph और Y रेटिंग वाले टायर 300kmph की मैक्सिमम स्पीड पर चल सकते हैं।
ट्यूब या ट्यूबलेस टायर
दो तरह के टायर्स मार्केट में उपलब्ध हैं, एक ट्यूब वाला और दूसरा ट्यूबलेस टायर। लेकिन ज्यादातर लोग अब ट्यूबलेस टायर ही खरीदना पसंद करते हैं।
ट्यूब वाले टायर में ट्यूब और टायर के बीच होने वाले फ्रिक्शन की वजह से ये जल्दी हीट पैदा करते हैं जिसकी वजह से पंक्चर भी जल्दी होते हैं। ट्यूबलेस टायर में ग्रिप और कंट्रोल मिलता है। अगर सफर के दौरान कभी टायर पंक्चर भी हो जाए तो इसमें से हवा तुरंत नहीं निकलती और एक्सीडेंट भी नहीं होते।
कब बदलें टायर
वैसे तो टायर को हर 40,000 किलोमीटर चलने के बाद बदल देना चाहिए। लेकिन अगर टायर की कंडीशन बेहतर हो तो इन्हें थोड़ा और चलाया जा सकता है। टायर पर बने खांचे (ट्रेड) की गहराई 1.6mm रह जाए तो टायर बदल दिया जाना चाहिए। वैसे टायर की उम्र पांच साल होती है।
टायर्स की देखभाल
हफ्ते में एक बार सभी टायर्स में हवा का प्रेशर जरूर चेक करें। टायर्स में हवा उतनी ही रखें जितनी कंपनी ने बताई है। हर 5000 किलोमीटर के बाद व्हील अलाइनमेंट चेक कराते रहना चाहिए। टायर साफ करने के लिए पेट्रोलियम बेस्ड डिटरजेंट या केमिकल क्लीनर का प्रयोग न करें। पानी से टायर्स को साफ किया जा सकता है।
ओवरलोडिंग करने से बचें, गाड़ी में उतना ही सामान रखना चाइये जितना वाहन की कैपसिटी है। क्योंकि ज्यादा लोड करने से गाड़ी की परफॉरमेंस और टायर्स पर बुरा असर पड़ता है।
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