E-bus: केंद्र राज्य परिवहन उपक्रमों द्वारा इलेक्ट्रिक बस आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान चूक से बचाने के उपायों की जांच कर रहा है, जिसमें कुछ प्रकार की वित्तीय सहायता भी शामिल है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘आपूर्तिकर्ताओं के सामने आने वाले जोखिमों को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है, इसके बारे में चर्चा हुई है।’ वित्तीय जोखिमों को कम करने वाली नई संरचनाओं पर चर्चा की गई है।
सरकार के स्वामित्व वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) की सहायक कंपनी कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) द्वारा जारी ₹5,000 करोड़ के आपूर्ति अनुबंध के लिए प्रमुख निजी प्लेयर्स के उचित व्यवहार ना करने के कारण यह कदम उठाया गया है।
अधिकारी ने कहा, ‘टेबल पर मौजूद विकल्पों में से एक जोखिम शमन कोष बनाना है जो बहुपक्षीय वित्तपोषण के रास्ते में काम आएगा।’ साथ ही कहा गया कि एक अन्य दृष्टिकोण बस ऑपरेटरों को राज्य के खजाने से हर साल एक निश्चित राशि (बस किराया राजस्व के बावजूद) मुहैया कराने की अनुमति देना है।
वहीं, राज्य सरकारों ने आपूर्तिकर्ताओं द्वारा उद्धृत उच्च कीमतों के कारण इलेक्ट्रिक बसों की अवहनीयता का मुद्दा उठाया है। इसी कारण केंद्र अपनी बड़ी हरित गतिशीलता योजना के हिस्से के रूप में सार्वजनिक परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को अपने क्षेत्र में लेने को इच्छुक है।
अधिकारी ने कहा कि किस तरह का समर्थन दिया जा सकता है, इस पर सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद फैसला किया जाएगा।
एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र इसके लिए राज्य सरकारों को भी शामिल कर सकता है। वहीं, राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस कार्यक्रम के तहत सीईएसएल इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति और पुरानी डीजल से चलने वाली बसों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए बोलियां आमंत्रित करेगा।