Vishnu Mantra: सनातन धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि का संचालक और रक्षक माना गया है। उनके नामस्मरण मात्र से ही भक्तों के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। यदि सही तरह से उनकी साधना कर ली जाए तो व्यक्ति स्वयं नारायण के समान ही बन जाता है। शास्त्रों में लक्ष्मी पाने के लिए भी श्रीहरि की ही स्तुति करने के निर्देश दिए गए हैं।
आचार्य अनुपम जौली के अनुसार जो लोग उनकी विशेष आराधना नहीं कर सकते हैं, वे एक अन्य उपाय कर सकते हैं। उन्हें केवल दिन में जब कभी संभव हो, जितनी बार संभव हो, उतनी बार नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण करना है। वे जब भी चाहें, जहां चाहें, जितनी बार चाहें, इसका जप या उच्चारण कर सकते हैं।
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क्यों खास है यह मंत्र (Vishnu Mantra)
शास्त्रों में बताए गए इस मंत्र में भगवान विष्णु के अलग-अलग नाम हैं। स्तोत्र में किस समय अथवा किस कार्य में श्रीहरि का कौनसा नाम जपना चाहिए, यह बताया गया है। आपको केवल इतना सा करना है कि इसे याद कर लें। जब भी आपको समय मिलें, दिन में इसका उच्चारण करें, इसी से आपका काम हो जाएगा। मंत्र निम्न प्रकार है।
औषधे चिंतयते विष्णुं, भोजन च जनार्दनम।
शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजपतिं॥
युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमं।
नारायणं तनु त्यागे श्रीधरं प्रिय संगमे॥
दु:स्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम्।
कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनाम॥
जल मध्ये वराहं च पर्वते रघुनन्दनम्।
गमने वामनं चैव सर्व कार्येषु माधवम्॥
षोडश एतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत।
सर्व पाप विनिर्मुक्ते, विष्णुलोके महियते॥
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मंत्र जाप में रखें ये सावधानियां
इस मंत्र जाप में केवल मात्र एक ही सावधानी रखनी है। अपवित्र अवस्था में इसका उच्चारण नहीं करना है। उदाहरण के लिए शौच या लघुशंका जाते समय मंत्र न बोलें, अंडे-मांस-मंदिरा अथवा शराब ग्रहण करते समय भी इसका उच्चारण न करें, पत्नी के साथ सहवास के समय भी जप नहीं होना चाहिए। गंदगी अथवा अशुद्ध स्थान पर भी इसका जप न करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।