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Shardiya Navratri 2023/Durga Saptashati Path Vidhi: शारदीय नवरात्रि को शक्ति की उपासना का महापर्व माना जाता है। नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा की उपासना के लिए बेहद खास माने गए हैं। यही वजह है कि लोग आश्विन मास की नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की उपासना करते हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर को घटस्थापना के साथ हो रही है। जिसका समापन 24 अक्टूबर को मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के साथ होगा। नवरात्रि में मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ का क्या महत्व है? इसकी विधि और नियम क्या हैं? अगर नहीं! तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
दुर्गा सप्तशती का महत्व
दुर्गा सप्तशती 700 मंत्रों में जगतजननी मां जगदम्बा की स्तुति की गई है। दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं जो कि अलग-अलग मनोकामना की पूर्ति के लिए हैं। दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय के पाठ से सभी प्रकार की चिंताएं दूर होती हैं। द्वितीय अध्याय के पाठ से विवादों से छुटकारा मिलता है। तृतीय अध्याय के पाठ से युद्ध एवं मुकदमे में विजय, शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।
चतुर्थ अध्याय के पाठ से से धन, सुन्दरजीवन साथी और मां की भक्ति की प्राप्ति होती है। पंचम अध्याय के पाठ से भक्ति मिलती है, भय, बुरे स्वप्नों और भूत प्रेत बाधाओं का निराकरण होता है। छठे अध्याय के पाठ से समस्त बाधाएं दूर होती हैं और समस्त मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। सातवें अध्याय के पाठ से समस्त कामना या किसी विशेष कामना की पूर्ति होती है। आठवें अध्याय के पाठ से धन लाभ होता है।
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दुर्गा सप्तशती के नौवें अध्याय के पाठ से खोए हुए की तलाश में सफलता मिलती है। साथ ही संपत्ति और धन का लाभ भी प्राप्त होता है। दसवें अध्याय के पाठ से गुमशुदा की तलाश होती है, शक्ति और संतान का सुख भी प्राप्त होता है। ग्यारहवें अध्याय के पाठ से किसी भी प्रकार की चिंता से मुक्ति, व्यापार में सफलता और सुख की प्राप्ति होती है। बारहवें अध्याय के पाठ से रोगो से छुटकारा, निर्भयता की प्राप्ति होती है। साथ ही समाज में मान-सम्मान मिलता है। इसके अलावा दुर्गा सप्तशती के तेरहवें अध्याय के पाठ से माता की भक्ति और सभी इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है।
दुर्गा सप्तशती पाठ विधि
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए सबसे पहले नवार्ण मंत्र, कवच, इसके बाद कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। फिर, दुर्गा सप्तशती के पाठ का आरंभ करना चाहिए। जानकार बताते हैं कि इस तरह पाठ करने पर मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो लोग दुर्गा सप्तशती का संस्कृत पाठ करने में असहज महसूस करते हैं, वे हिंदी में भी पाठ कर सकते हैं। दुर्गा सप्तशती के पाठ में इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि उच्चारण में अशुद्धियां ना हो। अगर आप इन बातों को ध्यान में रखकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं तो निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा।