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ज्योतिष

18 साल में लाइफ नर्क या स्वर्ग बना सकती है राहु की महादशा, शुरू कर दें ये उपाय

Rahu Mahadasha: वैदिक ज्योतिष में राहु को मायावी और छाया ग्रह माना गया है। यह हमेशा वक्री चाल ही चलता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु अशुभ भाव में बैठा हो तो उस व्यक्ति के लिए राहु की महादशा बेहद खराब समय साबित होती है। वहीं, अगर राहु शुभ भाव में है तो महादशा व्यक्ति को अरबपति बना सकती है। 

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: May 28, 2025 16:19
rahu mahadasha

Rahu Mahadasha: वैदिक ज्योतिष में राहु को एक छाया ग्रह माना जाता है, जो अपनी 18 वर्ष की महादशा के दौरान जातक के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। राहु को मायावी, रहस्यमयी ग्रह के रूप में जाना जाता है, जो शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल दे सकता है।

यह ग्रह व्यक्ति को अपार सफलता, धन, और यश दिला सकता है, लेकिन यदि कुंडली में इसकी स्थिति अशुभ हो, तो यह कई तरह की समस्याएं भी उत्पन्न करता है। राहु की महादशा में व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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18 साल तक रहता है प्रभाव

राहु की महादशा 18 वर्षों तक चलती है और इस दौरान विभिन्न ग्रहों की अंतर्दशाएं इसके प्रभाव को और अधिक जटिल बनाती हैं। राहु का प्रभाव कुंडली में इसके स्थान, राशि, नक्षत्र, और अन्य ग्रहों के साथ युति पर निर्भर करता है। अगर राहु कुंडली के शुभ स्थान जैसे तीसरा, छठा, दसवां, या 11वें भाव में हो और शुभ ग्रहों जैसे गुरु या शुक्र के साथ युति बनाए, तो यह धन, यश, और सफलता प्रदान कर सकता है। वहीं, यदि राहु अशुभ स्थान जैसे पहला, चौथा, 5वें, 7वें, 8वें, 12वें में हो या पाप ग्रहों जैसे शनि और मंगल के साथ युति बनाए, तो यह कई तरह की समस्याएं लाता है।

राहु की महादशा में आती हैं ये समस्याएं

राहु मायावी ग्रह है, जो व्यक्ति की बुद्धि को भ्रमित करता है। इस दौरान चिंता, तनाव, अवसाद, और अनिर्णय की स्थिति बन सकती है। जातक गलत निर्णय ले सकता है, जिससे जीवन में भटकाव आता है। राहु की अशुभ स्थिति के कारण धन हानि, व्यवसाय में घाटा, या गलत निवेश की वजह से आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं। अनावश्यक खर्चे बढ़ सकते हैं।

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इस दौरान पेट से संबंधित रोग (जैसे गैस, अल्सर, अपच), त्वचा रोग, हिचकी, या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कई बार चिकित्सक बीमारी का सही कारण नहीं समझ पाते हैं। परिवार में अनबन, जीवनसाथी से विवाद, या मित्रों से धोखा मिल सकता है। सामाजिक स्तर पर अपयश या बदनामी की आशंका रहती है।

राहु की अशुभ दशा में व्यक्ति नशे, जुआ, छल-कपट, या अनैतिक गतिविधियों की ओर आकर्षित हो सकता है, जो दीर्घकालिक नुकसान पहुंचाता है। राहु की महादशा में दुर्घटना, चोट या शस्त्र से हानि का खतरा रहता है। यह ग्रह अप्रत्याशित घटनाओं को जन्म देता है। घर में दीमक लगना, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का बार-बार खराब होना, जंगली कबूतरों का घोंसला बनना, या अशुभ विचारों का मन में आना राहु की अशुभ दशा के लक्षण हो सकते हैं।

अंतर्दशा का भी पड़ता है प्रभाव

राहु की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अंतर्दशाएं अलग-अलग प्रभाव डालती हैं।

राहु में राहु की अंतर्दशा: यह सबसे चुनौतीपूर्ण हो सकती है, जिसमें भ्रम, आर्थिक नुकसान, और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।

सूर्य की अंतर्दशा: सूर्य और राहु की युति से पितृ दोष बन सकता है, जिससे कार्यक्षेत्र में बाधाएं और मानसिक तनाव बढ़ता है।

चंद्रमा की अंतर्दशा: भावनात्मक अस्थिरता और मानसिक अशांति की स्थिति बन सकती है।

मंगल की अंतर्दशा: शारीरिक कष्ट, दुर्घटना, या शासन से भय की आशंका रहती है।

बुध की अंतर्दशा: शुभ स्थिति में धन और यश दे सकती है, लेकिन अशुभ स्थिति में भ्रम और संचार में गलतफहमियां बढ़ती हैं।

शुक्र की अंतर्दशा: वैवाहिक जीवन में तनाव और आर्थिक नुकसान की आशंका रहती है।

शनि की अंतर्दशा: कठिनाइयों और धैर्य की परीक्षा ले सकती है, लेकिन मेहनत से सफलता भी मिल सकती है।

केतु की अंतर्दशा: राहु की महादशा में केतु की अंतर्दशा आध्यात्मिक झुकाव बढ़ाती है, लेकिन भ्रम, मानसिक अशांति, और अप्रत्याशित नुकसान की आशंका रहती है।

इन उपायों से दूर होंगी परेशानियां

  • राहु को भगवान शिव का भक्त माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से राहु के दुष्प्रभाव कम होते हैं। प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, और बेलपत्र अर्पित करके अभिषेक करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके अतिरिक्त, महामृत्युंजय मंत्र (‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।’) का प्रतिदिन 108 बार जाप करने से स्वास्थ्य और मानसिक समस्याएं कम होती हैं। यदि संभव हो, तो मंदिर में रुद्राभिषेक करवाएं, जो राहु की अशुभता को शांत करता है।
  • राहु के बीज मंत्र ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः’ का प्रतिदिन 108 बार जाप करें। यह जाप राहु काल में या सुबह-शाम करना विशेष रूप से प्रभावी है। इसके अतिरिक्त, राहु का वैदिक मंत्र ‘ॐ काय नश्चित्र आ भुवदूती सदा वृधः सखा। काय शचिष्ठया वृता।’ का जाप भी लाभकारी है। मंत्र जाप के लिए काले हकीक की माला का उपयोग करें।
  • राहु का संबंध भगवान भैरव से है। प्रत्येक शनिवार या रविवार को भैरव मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और भैरव चालीसा या भैरव अष्टक का पाठ करें। भैरव मंदिर में काले तिल या नीली ध्वजा चढ़ाना राहु के दुष्प्रभावों को कम करता है।
  • राहु को शांत करने के लिए शास्त्रों में दान का विशेष महत्व है। प्रत्येक शनिवार को काले तिल, काले उड़द, या नीले वस्त्र का दान करें। किसी गरीब व्यक्ति को काला कंबल या जूते दान करना भी शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त, कौओं को भोजन खिलाएं, क्योंकि राहु का संबंध कौओं से माना जाता है।
  • राहु यंत्र को घर के पूजा स्थल पर स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी पूजा करें। यंत्र पर काले तिल और नीले फूल अर्पित करें, और ‘ॐ रां राहवे नमः’ मंत्र का जाप करें। यह यंत्र राहु की अशुभ ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • राहु की महादशा में नैतिक जीवनशैली अपनाएं। शनिवार का व्रत रखें और इस दिन फलाहार करें। नशे, जुआ, और अनैतिक कार्यों से पूरी तरह बचें। घर में साफ-सफाई रखें और दीमक या अनावश्यक सामान को हटाएं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: May 28, 2025 04:19 PM

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