Puja Path Niyam: सनातन धर्म में पूजा-पाठ का बहुत अधिक महत्व होता है। इसके साथ ही पूजा-पाठ के लिए कई सारे नियम भी होते हैं। शास्त्र के अनुसार, हर देवी-देवता की पूजा के लिए अलग-अलग मंत्र, फूल और प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है पूजा-पाठ के लिए आसन का भी प्रयोग किया जाता है। कहा जाता है कि बिना आसन के पूजा-पाठ का कोई भी पुण्य फल नहीं मिलता है। धार्मिक मान्यताओं में बिना आसन के पूजा-पाठ करना सही नहीं माना गया है। तो आइए जानते हैं आसन से जुड़े कुछ खास बातों के बारे में।
जानें आसन से जुड़ खास महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा-पाठ करते समय कंबल के आसन बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए किसी भी जातक को पूजा-पाठ करते समय कंबल का आसन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पूजा के दौरान कुशा का आसन भी बहुत अच्छा माना गया है। मान्यता है कि कुशा के आसन पर बैठकर मंत्र की सिद्धि की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्राद्ध क्रम के दौरान कुशा का आसन्न का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
मान्यता है कि हनुमान जी, देवी लक्ष्मी और मां दुर्गा की पूजा करते समय लाल रंग के कंबल प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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जानें आसन इस्तेमाल करने का नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर या घर में पूजा-पाठ करते समय किसी दूसरे के आसन पर नहीं बैठना चाहिए। दूसरे का आसन इस्तेमाल करना अशुभ होता है।
शास्त्र के अनुसार, पूजा खत्म होने के बाद आसन को सही से मोड़कर साफ-सुथरे स्थान पर रखना चाहिए। ऐसा करने से आसन का सम्मान होता है।
कहा जाता है कि आसन को कभी भी गंदे हाथों से नहीं उठाना चाहिए, ऐसा करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
आसन छोड़ने का नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूजा-पाठ करने के बाद आसन पर से सीधे नहीं उठना चाहिए, बल्कि धरती पर थोड़ा जल अर्पित करें और धरती माता को प्रणाम करें। मान्यता है कि ऐसा करने से ईष्ट देव या देवी का याद करने के बाद ही आसन को छोड़ना चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।