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ज्योतिष

साल के आखिरी चंद्रग्रहण के साथ हुई पितृपक्ष की शुरुआत, अंत सूर्यग्रहण के साथ

Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष 2025 आज 7 सितंबर को साल के आखिरी चंद्रग्रहण के साथ शुरू हो चुका है और 21 सितंबर को आखिरी सूर्य ग्रहण के साथ खत्म होगा। ये 15 दिन हिंदू परंपरा में पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का पवित्र समय है, जहां श्राद्ध और तर्पण के जरिए पितरों की आत्मा को शांति दी जाती है। इस साल ग्रहणों का संयोग इसे और भी खास बनाता है। आइए जानते हैं कि इस साल पितृपक्ष में और क्या खास है?

Author Written By: Mohit Tiwari Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Sep 7, 2025 20:56
Pitru Paksha 2025
credit- pexels

Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का विशेष समय, पितृ पक्ष, आज से शुरू हो चुका है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को साल के आखिरी चंद्रग्रहण के साथ हो रही है और इसका समापन 21 सितंबर को आखिरी सूर्य ग्रहण के साथ होगा। यह खगोलीय और धार्मिक संयोग पितृ पक्ष को एक अनोखा महत्व देता है, जो श्रद्धालुओं के लिए पूर्वजों की पूजा और आत्मचिंतन का विशेष अवसर लेकर आया है।

पितृ पक्ष का समय और उसका धार्मिक महत्व

पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर 21 सितंबर को अश्विन अमावस्या, यानी सर्वपितृ अमावस्या तक चलेगा। यह 16 चंद्र तिथियों का पवित्र काल है, जिसमें हर दिन अलग-अलग तिथियों के हिसाब से श्राद्ध किए जाते हैं। हालांकि इस साल पितृपक्ष यह 15 दिनों के हैं। इस साल 8 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध, 9 सितंबर को द्वितीया श्राद्ध और इसी तरह 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर सभी पितरों का श्राद्ध होता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दौरान पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से श्राद्ध और तर्पण ग्रहण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये कर्म पितरों की आत्मा को शांति देते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि लाते हैं। अगर श्राद्ध न किया जाए, तो पितरों को कष्ट हो सकता है, जिससे परिवार में अशांति की आशंका रहती है। यह समय न केवल धार्मिक, बल्कि भावनात्मक रूप से भी हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है।

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ग्रहणों का अनोखा संयोग और इसका प्रभाव

साल 2025 में कुल चार ग्रहण थे, जिनमें से दो पितृ पक्ष के दौरान घटित होंगे। पहला, 7-8 सितंबर को होने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण, जो भारत में रात 9:57बजे से शुरू होकर सुबह 1:27 बजे तक रहेगा। यह ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा। दूसरा, 21 सितंबर को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन प्रशांत महासागर, अटलांटिक और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में नजर आएगा। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दौरान पूजा-पाठ या नए कार्य शुरू करना वर्जित है। हालांकि, श्राद्ध और तर्पण जैसे कर्म ग्रहण से पहले या बाद में किए जा सकते हैं। इस साल ग्रहणों का पितृ पक्ष से जुड़ना इसे विशेष बनाता है, क्योंकि ज्योतिषियों का मानना है कि ऐसे समय में किए गए श्राद्ध का फल कई गुना बढ़ जाता है। यह संयोग श्रद्धालुओं को अपनी परंपराओं को और गहराई से निभाने का मौका देता है।

पितृ पक्ष में करने चाहिए ये कार्य

पितृ पक्ष में कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं, जो पूर्वजों की आत्मा को तृप्त करने के लिए जरूरी हैं। सबसे प्रमुख है श्राद्ध कर्म, जिसमें ब्राह्मणों को सात्विक भोजन कराया जाता है। इस भोजन में खीर, पूड़ी, सब्जी और फल शामिल होते हैं और कुशा घास, तिल व जौ का उपयोग अनिवार्य होता है। तर्पण में जल में तिल मिलाकर पितरों को अर्पित किया जाता है, जिसे उनकी आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, दान-पुण्य भी इस दौरान विशेष फल देता है, जैसे गाय, कपड़े, अनाज या धन का दान इस दिन किया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान कुछ नियमों का पालन भी जरूरी है। इस दौरान मांसाहार, शराब, नए कपड़े पहनना या शुभ कार्य जैसे विवाह और गृह प्रवेश वर्जित हैं। सात्विक जीवनशैली और ब्रह्मचर्य का पालन इस समय अनिवार्य माना जाता है। अगर किसी की मृत्यु तिथि मालूम न हो, तो सर्वपितृ अमावस्या पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।

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इस साल पितृ पक्ष क्यों है खास?

इस साल पितृ पक्ष का ग्रहणों के साथ संयोग इसे धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अनोखा बनाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि ग्रहण के समय श्राद्ध और तर्पण का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, जिससे पितरों की आत्मा को विशेष शांति मिलती है। यह समय न केवल पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है, बल्कि आत्मचिंतन और परिवार की जड़ों से जुड़ने का भी अवसर देता है। ग्रहण देखते समय सावधानी बरतें। चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखा जा सकता है, लेकिन सूर्य ग्रहण के लिए विशेष चश्मे या प्रोजेक्टेड इमेज का इस्तेमाल जरूरी है। पितृ पक्ष 2025 हमें अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को और मजबूत करने का मौका देता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Sep 07, 2025 08:56 PM

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