Dhanishtha Nakshatra: वैदिक ज्योतिष एक गहन और प्राचीन विद्या है, जिसमें जीवन की घटनाओं का आकलन ग्रह, राशि और नक्षत्र के आधार पर किया जाता है। इन तीन पहलुओं का विश्लेषण न केवल सटीक भविष्यवाणी के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारे कर्मों और जीवन की दिशा को भी स्पष्ट करता है। कुछ विशेष पहलुओं के अध्ययन और निष्कर्ष निकालने के लियए ज्योतिष शास्त्र में नक्षत्रों का महत्व ग्रहों और राशियों से भी अधिक माना गया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि नक्षत्र किसी भी घटना की सूक्ष्म जानकारी प्रदान करते हैं, जैसे जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होते हैं, तो इस दौरान जन्मे जातकों यानी व्यक्तियों में रचनात्मकता और सौंदर्य की भावना अधिक होगी।
वैदिक ज्योतिष की गणितीय की गणना के अनुसार, रविवार 22 दिसंबर, 2024 को धन, वैभव, सुख और प्रेम के स्वामी ग्रह शुक्र धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं। धनिष्ठा नक्षत्र मंडल के 27 नक्षत्रों में से 23वां नक्षत्र है. यह अधिकांश शुभ कार्यों के लिये श्रेष्ठ माना जाता है, इसलिए यह शुभ मुहूर्त में स्वीकृत है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति धन जमा करने में अव्वल होते हैं। आइए जानते हैं, इस नक्षत्र के स्वामी ग्रह कौन हैं और इसमें जन्म लेने वालों व्यक्तियों का व्यक्तित्व कैसा होता है और उनमें क्या-क्या विशेषताएं और गुण होते हैं?
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धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी ग्रह
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह है और इसके देवता वसु हैं. यह नक्षत्र मकर और कुंभ राशि को जोड़ता है, क्योंकि धनिष्ठा नक्षत्र के पहले दो चरणों में जन्म लेने वाले लोगों की राशि मकर होती है और आखिरी दो चरणों में जन्म लेने वाले लोगों की राशि कुंभ होती है. इसलिए धनिष्ठा में जन्मे जातक पर जीवनभर मंगल और शनि का प्रभाव रहता है।
धन कमाने में होते हैं आगे
‘धनिष्ठा’ का अर्थ होता है, ‘सबसे धनवान’। यह नाम ही धन और संपत्ति का प्रतीक है। यह देखा गया है कि इस नक्षत्र के जातक मेहनती होते हैं और अपने प्रयासों से आर्थिक सफलता प्राप्त करते हैं। साथ ही ये लोग न सिर्फ कमाने में आगे होते हैं, बल्कि धन की बचत करने में भी अव्वल होते हैं। अक्सर इस नक्षत्र में पैदा हुए लोग बेहद अमीर होते हैं।
होते हैं ऊर्जावान और साहसी
मंगल की शक्ति के कारण यह जातक अत्यंत ऊर्जावान और साहसी होते हैं। किसी भी कठिनाई का सामना करने की क्षमता रखते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे लोगों की बुद्धि भी बेहद प्रखर होती है. साथ ही ये प्रबंधन में कुशल होते हैं और कठिन परिस्थितियों को संभालने में सक्षम रहते हैं।
संगीत और कला से होता है लगाव
डमरू, ड्रम, बांसुरी, ढोल या मृदंग को धनिष्ठा नक्षत्र का प्रतीक माना गया हैं. यह देखा गया है कि ये लोग संगीत और कला में रुचि रखते हैं। इनमें रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति की अद्भुत क्षमता होती है।
इस वृक्ष की करें पूजा
धनिष्ठा नक्षत्र के लोगों को शमी वृक्ष लगाने चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए. धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे लोगों को दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए थोड़ी अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है. साथ ही इन लोगों को आहार में सावधानी बरतनी चाहिए.
अहंकार से बचने लिए करें ये उपाय
यह देखा गया है कि धनिष्ठा नक्षत्र के लोगों को अहंकार की भावना छिपी होती है, जिसका कारण मंगल ग्रह हैं, जो क्रोध और अहम को बढ़ावा देते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इसलिए इस नक्षत्र वाले लोगों अधिक से अधिक मधुर वाणी ही बोलनी चाहिए.
ऐसा होता है शारीरिक बनावट
धनिष्ठा नक्षत्र के जातक दो ग्रहों यानी मंगलदेव और शनिदेव की चरम सीमाओं पर होते हैं, बीच में कुछ नहीं होता। यदि अन्य ग्रहों का असर न हो, तो ये लोग ज़्यादातर लंबे कद के साथ दुबले-पतले शरीर वाले होते हैं। वे अपनी उम्र से कम दिखते हैं और उनके होंठ मोटे होते हैं। लेकिन ये लोग आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी होते हैं और समाज में लोकप्रिय होते हैं।
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