Mahashivratri 2023: काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। महाशिवरात्रि को भोलेनाथ का दूल्हा रूप में श्रृंगार किया जाता है। काशी की परंपराओं के अनुसार महाशिवरात्रि के अंतिम पहर में आरती होगी। इस आरती में ही उनका और मां पार्वती का विवाह संपन्न कराया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है। इसी कारण से इस दिन उनका विवाह करवाया जाता है। शिवरात्रि के एक दिन पूर्व यानि आज काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत कुलपति तिवारी के निवास पर हल्दी-तेल की रस्म की जाती है। इसके साथ ही पूरे नगर में उनके विवाह की धूम शुरू हो जाती है।
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महाशिवरात्रि पर यह रहेगा कार्यक्रम (Mahashivratri 2023 Programme in Kashi)
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती सुबह 2.15 से 3.30 बजे तक चलेगी। इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खोल दिया जाएगा। इस दौरान भक्त बाबा के दर्शन कर सकेंगे परन्तु उनका स्पर्श अथवा अभिषेक की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही इस दिन सप्तार्षि, श्रृंगार सहित शयन आरती भी नहीं होगी।
इनके स्थान पर महानिशा के चार प्रहरों में अलग-अलग मंत्रों के द्वारा भोलेनाथ के चार भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी। यह आरती रात्रि 11 बजे आरंभ होकर अगले दिन 19 फरवरी को सुबह 6 बजे तक जारी रहेगी। मंदिर के कपाट रात्रि में बंद किए जाएंगे।
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चिता भस्म से खेलेंगे होली
स्थानीय परंपराओं के अनुसार 2 मार्च को रंगभरी एकादशी पर गौना बारात निकाली जाएगी। इसमें बाबा महाकाल पालकी पर सवार होकर मां गौरी की विदाई कराने आएंगे। उनके पीछे-पीछे भक्त अबीर-गुलाल उड़ाते चलेंगे। अगले दिन भक्त महाश्मशाम मणिकर्णिका घाट पर शिव के श्मशान स्वरूप की पूजा कर चिता की भस्म से होली खेलेंगे।
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