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Janmashtami 2022: कदंब का वह पेड़ आज भी मौजूद है, जहां गोपियों के कपड़े चुराकर छिप जाते थे कन्हैया, देखिए तस्वीरें

Janmashtami 2022: भारत समेत दुनियाभर में कृष्ण-कन्हैया के भक्त इन दिनों जन्माष्टमी की तैयारी में जुटे हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद महीना और रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि इन्हीं नक्षत्रों में मनाया जाता है। मान्यता के मुताबिक […]

Author Edited By : Pankaj Mishra Updated: Aug 17, 2022 15:26

Janmashtami 2022: भारत समेत दुनियाभर में कृष्ण-कन्हैया के भक्त इन दिनों जन्माष्टमी की तैयारी में जुटे हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद महीना और रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि इन्हीं नक्षत्रों में मनाया जाता है।

मान्यता के मुताबिक भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मथुरा में जन्म हुआ था और वृंदावन में उनका लालन पालन हुआ था। आज भी मथुरा और वृंदावन के कण-कण में भगवान श्री कृष्ण का वास होता है।

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आज भी यहां कई ऐसी जगहों है जिसका संबंध द्वापर युग से है और ये भगवान कृष्ण से जुड़े हैं। ऐसी की एक जगह है चीर घाट। चीर घाट आज भी कदंब के पेड़ को लेकर मशहूर है। मान्यता के मुताबिक आज भी यहां वह पेड़ मौजूद है जिसके बारे में कहा जाता है कि कन्हैया गोपियों के कपड़े चुरा कर इसी पेड़ पर छिप जाते थे।

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चीर हरण लीला जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना में स्नान कर रही है महिलाओं के वस्त्रों को उठाकर एक पेड़ पर टांग दिया करते थे। बताया जाता है कि यहां मौजूद कदम्ब के पेड़ पर भगवान कृष्ण ने राक्षस के वध के बाद विश्राम किया था।

कहा जाता है कि ये स्थान पहले यमुना नदी के तट पर था। लेकिन वर्षो बाद, यमुना ने अपना रास्ता बदल दिया, अब चीर घाट यमुना से कुछ दूरी पर है। इस स्थान पर एक प्राचीन कदंब वृक्ष है जो अभी भी भगवान श्री कृष्ण के समय से विद्यमान है। वृंदावन के भक्त अब भी इस वृक्ष की पूजा करते हैं और यहां तक कि इस वृक्ष को प्रसाद भी चढ़ाते हैं।

First published on: Aug 17, 2022 03:26 PM
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