– करिश्मा कौशिक, अंकशास्त्री
Holi 2023: होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। यह पर्व महान भक्त प्रहलाद की स्मृति में मनाया जाता है। जब हिरण्यकश्यप द्वारा प्रहलाद पर अत्याचार हो रहे थे और उसी समय पर वह भगवान विष्णु जी का नाम जप रहे थे। अपने भक्त की इस भक्ति भावना को देख भगवान विष्णु ने नृसिंह का रूप धारण किया और होलिका दहन के समय दोनों समय पर अर्थात ना तो वह दिन था ना वह रात थी, जब सूर्य और अंधकार दोनों मिलते हैं, तब संध्याकाल में हिरण्यकश्यप का वध कर प्रहलाद की रक्षा की थी।
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यह है होली की कथा (Holi 2023)
अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने होलिका को भी अग्नि में दहन कर दिया था। होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी जो अग्नि में प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर बैठी थी। होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह अग्नि में नहीं जलेगी। इसी कारण हिरण्यकश्यप ने होलिका को प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आग्रह किया था।
हालांकि ऐसा नहीं हो पाया और ऐन वक्त पर होलिका का वरदान समाप्त हो गया और वह स्वयं जलकर भस्म हो गई जबकि प्रहलाद की रक्षा हुई। इसके बाग ही उन्होंने नृसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया। ये सभी घटनाएं होलाष्टक के समय हुई थी। इसलिए होलाष्टक को अशुभ माना गया है।
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होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का ही पर्व है। यह त्यौहार हमें सभी बुराइयों को समाप्त करने का संदेश देता है और अच्छाई को जागृत करता है। होलिका दहन की अग्नि में सारी बुराइयां दहन हो जाती हैं और अगले दिन रंग भरा त्यौहार अर्थात होली का पर्व घुलंडी खेली जाती है।
फाल्गुन माह की अष्टमी से लेकर होली तक के बीच का समय होलाष्टक माना जाता है। इस बार होलाष्टक 27 फरवरी से आरंभ हो रहे हैं और 7 मार्च तक रहेंगे। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। हालांकि इस समय यदि आप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का अधिकाधिक जप करें तो यह आपके लिए शुभ रहेगा।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।