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वक्री शनि 139 दिनों तक ढाएंगे कहर, बचने के लिए करें 7 उपाय, बन जाएगी बिगड़ी बात

Vakri Shani ke Upay: साल 2024 में शनिदेव 139 दिनों के लिए ही वक्री होने वाले हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, वक्री अवस्था में शनिदेव सकारात्मक कम और नकारात्मक असर अधिक डालते हैं। आइए जानते हैं कि शनिदेव कब से कब तक वक्री रहेंगे, उनके वक्री होने क्या असर पड़ेगा और इससे बचाव के लिए क्या करें?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: May 19, 2024 22:51
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Vakri Shani ke Upay: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का वक्री होना एक असामान्य घटना है, इसलिए जब भी कोई ग्रह वक्री होते हैं, तो उनके प्रभाव का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया जाता है। वक्री होने वाले पांच ग्रहों—बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि—में से शनि के वक्री होने पर ज्योतिषाचार्य उसे बहुत खास दृष्टिकोण से देखते हैं और उनके असर का विश्लेषण करते हैं। साल 2024 में शनिदेव 30 जून, 2024 को वक्री होने वाले हैं।

साल 2024 में शनि के वक्री होने की अवधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल 2024 में शनिदेव 139 दिनों के लिए कुंभ राशि में वक्री होने जा रहे हैं। वे 30 जून रविवार की रात 12 बजकर 35 मिनट पर वक्री होंगे और फिर 15 नवंबर शुक्रवार की शाम में 7 बजकर 51 मिनट पर मार्गी होंगे। बता दें, शनि ग्रह के वक्री होने की अधिकतम अवधि 140 दिनों की होती है। लेकिन, पंचांग में एक दिन का तिथि क्षय होने कारण इस साल शनिदेव 139 दिनों के लिए ही वक्री रहेंगे।

शनि की वक्र दृष्टि का असर

  • काम में देरी और गतिरोध शनिदेव की वक्र दृष्टि का सबसे सामान्य असर है। काम में अचानक रुकावटें आने से लक्ष्यों को प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
  • शनि की वक्र अवस्था में थकान, अवसाद, चिंता, अनिद्रा, जोड़ों का दर्द, त्वचा संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। पुरानी बीमारियां भी फिर से परेशान कर सकती हैं।
  • खर्च अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाते हैं, फिजूलखर्ची पर नियंत्रण नहीं हो पाता है। साथ ही आय में कमी आ सकती है या आय के स्रोत बंद भी हो सकते हैं। लिहाजा आर्थिक संकट आ जाता है।
  • शनि की वक्र दृष्टि के दौरान रिश्ते कमजोर हो सकते हैं। रिश्तों में तनाव और समस्याएं बढ़ सकती हैं। लाइफ पार्टनर, रिश्तेदारों और मित्रों से दूरी बढ़ सकती है।
  • कुंडली में शनि के पीड़ित यानी दोषयुक्त होने दुर्घटनाएं हो सकती है। असाध्य रोग घेर सकते हैं।

लेकिन बता दें, शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव कुंडली में शनिदेव, अन्य ग्रहों और राशियों की स्थिति के अनुसार पड़ता है। कहने का मतलब है कि वक्री शनि का असर सभी सभी राशियों पर अलग-अलग तरह से पड़ सकता है।

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शनिदेव ‘कर्माधिपति’ यानी कर्मफल के स्वामी और न्याय के देवता हैं।

शनि की वक्र दृष्टि के असर से बचाव के उपाय

ज्योतिषाचार्यों ने शनि की वक्र दृष्टि से बचने के अनेक उपाय बताए हैं, लेकिन यह जानना जरूरी है कि शनि की वक्र दृष्टि से उत्पन्न समस्याएं कर्मों का फल होती है, जिससे पूरी तरह बचना असंभव है। शनिदेव के प्रभाव से देवता भी नहीं बच सकते हैं, तो मनुष्यों की बिसात ही क्या है? यहां बताए उपायों से आप केवल नकारात्मक प्रभावों को काफी हद तक कम करने में सफल हो सकते हैं।

  1. शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए नियमित रूप से शनि चालीसा का पाठ करें, प्रत्येक शनिवार को व्रत रखें और शनिदेव को सरसों या तिल का तेल चढ़ाएं।
  2. प्रत्येक शनिवार को शमी और पीपल वृक्ष में जल चढ़ाएं और दीप जलाएं।
  3. प्रत्येक शनिवार क काले और नीले रंग की वस्तुओं का दान करें।
  4. गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन करवाएं और सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र और धन दक्षिणा में दें।
  5. अनाथालय या वृद्धाश्रम में जाकर समय और श्रम दान करें, वृद्धों और बीमारों की सेवा करें।
  6. शनिदेव के प्रकोप को कम करने के लिए दूसरों के प्रति दयालु रहें और क्षमाशील बनें। साथ ही, क्रोध, ईर्ष्या और घृणा जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें।
  7. संकटमोचक हनुमानजी की विशेष पूजा-आराधना करें और उनसे निरंतर विनती करें कि वे शनिदेव के प्रकोप से बचाएं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 19, 2024 08:14 PM

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