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Navratri 2023: वेश्याओं के आंगन की मिट्टी से क्यों बनाई जाती है मां दुर्गा की मूर्तियां?, जानें पौराणिक मान्यता

Navratri 2023: नवरात्रि में मां दुर्गा की नव स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही मां दुर्गा के भव्य मूर्तियां भी बनाई जाती है। लेकिन क्या आपको पता है मां दुर्गा की मूर्तियां बनाने में वेश्यांग के घर की आंगन की मिट्टी मिलाया जाता है। ऐसा क्यों आइए विस्तार से जानते हैं।

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Oct 9, 2023 14:02
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Navratri 2023
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Navratri 2023 : दशहरा को लेकर पूरे देश भर में पंडाल को लेकर तैयारियां चल रही है। खासकर दुर्गा पूजा का पंडाल शहरों में देखने को मिल रहे हैं। जगह-जगह मां दुर्गा की मूर्तियां बनाई जा रही है। दुर्गा पूजा पंडाल में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार करने के लिए क्या-क्या सामग्रियां मिलाई जाती है और यह सामग्रियां आती कहां से हैं। अगर आप नहीं जानते हैं, तो कोई बात नहीं आज इस खबर में जानेंगे कि मां दुर्गा की मूर्तियां बनाने में कौन सी सामग्रियां जुटाई जाती है। तो आइए विस्तार से जानते हैं।

ऐसा माना जाता है कि दुर्गा पूजा पूरे भारत में सबसे ज्यादा धूम-धाम से पश्चिम बंगाल के कोलकाता में मनाई जाती है। बता दें कि महीनों पहले कोलकाता में कुमारटुली की संकरी गलियां और उपनगरीय उत्सव के लिए मिट्टी से दस भुजाओं वाली देवी की प्रतिमाएं और उनके आकार देने वाले कारीगरों और मूर्ति निर्माताओं से जीवंत मूर्तियां बनाई जाती है।

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मान्यता है कि मां दुर्गा की मूर्तियां तैयार करने वाले कारीगर चिन्मयी या मिट्टी की मूर्तियां बनाते हैं। इसके बाद इन मूर्तियों को नवरात्रि के दौरान पंडितों द्वारा अनुष्ठान कर पंडालों में स्थापना किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कोलकाता के हुगली नदी की मिट्टी से मूर्तियों का निर्माण किया जाता है। लेकिन बता दें कि हुगली नदी की मिट्टी के अलावा मां दुर्गा की मूर्तियां बनाने में और जगह से मिट्टी का उपयोग किया जाता है।

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मां दुर्गा की मूर्तियां तैयार करने में चार चीजों का सबसे अधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वो चार चीजें इस प्रकार है- गंगा के किनारे की मिट्टी, गाय के गोबर, गोमूत्र और सबसे महत्वपूर्ण चीजें वेश्यालयों की मिट्टी शामिल हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर माता की मूर्ति बनाने में इन चार चीजों में से एक भी चीजें कम होती है, तो मूर्ति को अधूरा माना जाता है।

क्या हैं कारण

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार की बात है कुछ वेश्यांग गंगा स्नान के लिए जा रही थी, तभी उसी समय उन्होंने घाट पर एक कुष्ठ रोगी को बैठे हुए देखा। कुष्ठ रोगी राह में आते-जाते लोगों से गुहार लगा रहा था कि कोई गंगा स्नान करवा दें, लेकिन उस रोगी पर कोई भी जातक ध्यान नहीं दिया। कुष्ठ रोगी को उन वेश्याओं ने गंगा स्नान करवा दिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव कुष्ठ रोगी के रूप में थे।

जब वेश्याओं के मदद करने के बाद भगवान शिव अपने वास्तविक स्वरूप में आकर उन वेश्याओं से वरदान मांगने को कहा। भगवान शिव को देखकर वेश्याएं अति प्रसन्न हो गई और भगवान से कहा कि हमारे आंगन की मिट्टी के बिना दुर्गा मां की मूर्तियों का निर्माण न हो सकें। मान्यताओं के अनुसार, शिवजी ने उन्हें यह वरदान दें दिया। तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Written By

Raghvendra Tiwari

First published on: Oct 09, 2023 01:43 PM

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