Diwali 2023: दिवाली को दीपों का त्यौहार कहा जाता है। मान्यता है कि दिवाली के दिन भगवान श्री राम वनवास से लौटकर अयोध्या आए थे। राम जी के लौटने की खुशी में दिवाली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल दिवाली का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की रात को मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली का पर्व पूरे पांच दिनों तक चलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिवाली के दिन दीप दान का बहुत ही बड़ा महत्व होता है। दीये जलाने का क्रम धनतेरस से ही शुरू हो जाता है और यह दिवाली तक चलता है। मान्यता है कि दिवाली का पहला दीया धनतेरस दिन ही जलया जाता है। धनतेरस के दिन जलाएं जाने वाला दीपक यम दीपक के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए यम दीपक के बारे में विस्तार से जानते हैं।
यम दीपक जलाने के महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनतेरस के दिन यम दीपक जलाया जाता है। मान्यता है कि यह दीपक मृत्यु के देव यमराज जी को समर्पित होता है। जो जातक धनतेरस के दिन यमराज को दीपदान करते हैं, उन पर यम देव प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु नहीं होती है।
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पितरों से होता है यम दीपक का संबंध
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोग अपने पितरों को पूजा-पाठ और कर्मकांड के माध्यम से याद करते हैं। पितर पूजा-पाठ और कर्मकांड से प्रसन्न होकर परिवार को अपना आशीर्वाद भी देते हैं। धनतेरस के दिन यम दीपक जलाने के पीछे का कारण है। मान्यता है कि धनतेरस की शाम यानी सूर्यास्त के बाद ही यम दीपक जलाया जाता है। ऐसा करने से पितरों के मार्ग में प्रकाश मिलता है। साथ ही वे स्वर्ग लोग की यात्रा इसी यम दीपक के प्रकाश के माध्यम से करते हैं। यम दीपक जलाने की दिशा दक्षिण दिशा मानी जाती है, क्योंकि दक्षिण दिशा में ही पितरों का निवास होता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।