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ज्योतिष

Paaya in Astrology : सोना, चांदी या तांबा किस पाए में हुआ है आपका जन्म, जानिए कौन सा होता है शुभ?

Astrology : कुंडली किसी व्यक्ति के जीवन का रोडमैप होती है। कुंडली में चंद्रमा की स्थिति से आपके जन्म का 'पाए' का पता चलता है कि आपका जन्म किस पाए में हुआ था। ज्योतिष में चांदी, सोना, तांबा और लोहा ये चार पाए माने जाते हैं। इसके अनुसार ही शुभ और अशुभ फल की गणना की जाती है।

Author Edited By : Mohit Updated: Mar 2, 2025 18:23
Paaya in Astrology - Swarn, Rajat, Tamra, Loha Paaya Meaning and Effects
कौन सा पाया है शुभ और कौन सा है अशुभ?

Paaya in Astrology : किसी भी व्यक्ति की कुंडली को देखकर उसके भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्यकाल की गणना की जा सकती है। कुंडली में आपके चंद्रमा की स्थिति के अनुसार पाए की गणना की जाती है। माना जाता है कि व्यक्ति का जन्म जिस पाए में होता है, उसी के अनुसार उसको लाइफ में फल मिलते हैं। इस पाए मतलब पद का हमारे जीवन की सफलता और उन्नति का सीधा संबंध होता है। कुंडली में लग्न से चंद्रमा किस भाव में है, उससे पाए का पता चलता है।

कुल मिलाकर चार पाए बताए गए हैं। इसमें एक है चांदी का पाया, दूसरा तांबा, तीसरा सोना और चौथा लोहे का पाया है। इन्हीं चार पायों में से किसी एक में व्यक्ति का जन्म होता है। मनुष्य की कुंडली में 12 भाव होते हैं, जिन्हें चार भागों में बांटा गया है। आइए जानते हैं कि लाल किताब के अनुसार इन पायों का मतलब क्या होता है।

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लाल किताब के अनुसार पाए का फल (वार-राशि अनुसार)

पाया प्रभाव (लाल किताब के अनुसार)
सोने (स्वर्ण) का पाया विलासिता, उच्च पद, लेकिन मानसिक तनाव और पारिवारिक उतार-चढ़ाव। स्वार्थ बढ़ सकता है।
चांदी (रजत) का पाया अत्यधिक शुभ, धन-समृद्धि, पारिवारिक सुख और समाज में मान-सम्मान मिलेगा।
तांबे (ताम्र) का पाया मध्यम प्रभाव, संघर्ष के बाद सफलता, मेहनती स्वभाव, लेकिन स्वभाव में क्रोध होगा।
लोहे (लोह) का पाया सबसे अशुभ, कठिनाइयां, बाधाएं, संघर्ष, लेकिन यदि व्यक्ति परिश्रम करे तो सफलता संभव है।

चांदी का पाया

अगर चंद्रमा लग्न से द्वितीय, पंचम या नवम भाव में हो तो बच्चे का जन्म चांदी पाए में होता है। इस पाए में जन्म लेने वाले बच्चे काफी भाग्यशाली होते हैं। ये लोग अपने साथ परिवारवालों के लिए भी शुभ होते हैं। इन्हें कुछ भी पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। ये अपने लक्ष्य को सुगमता से हासिल कर पाते हैं। इस पाए में जन्म लेने वाला बच्चा बेहद होनहार होता है और सुख-सुविधाओं से कभी वंचित नहीं रहता है।

तांबे का पाया

लाल किताब के अनुसार चंद्रमा लग्न से तीसरे, सातवें या दशम भाव में हो तो ऐसे बच्चे का जन्म तांबे के पाए में होता है। चांदी के पाए की तरह ही तांबे का पाया भी शुभ माना जाता है। ऐसे पाए में जन्म लेने वाला बच्चा अपने पिता की उन्नति कराने वाला होता है और परिवार के लिए बेहद ही भाग्यशाली होता है। इनको संघर्ष के बाद ही सफलता मिलती है। इनमें क्रोध की अधिकता होती है।

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सोने का पाया

चंद्रमा पहले मतलब लग्न भाव में, 11वें भाव में या छठवें भाव में हो तो ऐसे बच्चे का जन्म सोने के पाए में होता है। सोने के पाए को कुछ ज्योतिषीय अच्छा मानते हैं और कुछ खराब मानते हैं। लाल किताब के अनुसार इस पाए में जन्म लेने वालों का जीवन विलासिता पूर्ण तरीके से गुजरता है। इनको उच्चपद प्राप्त होता है, लेकिन मानसिक अशांति और पारिवारिक समस्याएं होती हैं। इन लोगों में आलस्य की अधिकता देखी जाती है। इनमें अहंकार और स्वार्थी स्वभाव देखने को मिलता है।

लोहे का पाया

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा लग्न से चौथे, आठवें या 12वें भाव में हो तो ऐसा बच्चा लोहे के पाए में जन्म लेता है। ऐसा बच्चा अपने माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी के लिए शुभ नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति जोड़ों के दर्द और पेट के रोगों से पीड़ित रहता है। इन लोगों को लोहे, काले तिल और काले कपड़े व काली उड़द का दान करना चाहिए। ऐसा करने से इसके कुप्रभाव में कमी आती है। इसके अलावा आप अपने वजन के बराबर अनाज का दान भी कर सकते हैं।

चंद्रमा की स्थिति (भाव) के आधार पर पाए का निर्धारण

चंद्रमा की स्थिति (लग्न से भाव) पाया (Paaya)
प्रथम (1st) भाव सोने (स्वर्ण) का पाया
द्वितीय (2nd) भाव चांदी (रजत) का पाया
तृतीय (3rd) भाव तांबे (ताम्र) का पाया
चतुर्थ (4th) भाव लोह (लोहे) का पाया
पंचम (5th) भाव सोने (स्वर्ण) का पाया
षष्ठ (6th) भाव चांदी (रजत) का पाया
सप्तम (7th) भाव तांबे (ताम्र) का पाया
अष्टम (8th) भाव लोह (लोहे) का पाया
नवम (9th) भाव सोने (स्वर्ण) का पाया
दशम (10th) भाव चांदी (रजत) का पाया
एकादश (11th) भाव तांबे (ताम्र) का पाया
द्वादश (12th) भाव लोह (लोहे) का पाया

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

ये भी पढ़ें- Astrology: ज्योतिष में सिर्फ 9 ही क्यों होते हैं ग्रह, क्या है इसका रहस्य?

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Edited By

Mohit

First published on: Mar 02, 2025 06:23 PM

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