Trump Plan to Acquire Greenland: कनाडा के बाद अमेरिका की नजर ग्रीनलैंड पर है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को खरीदने, इस अपना कब्जा करने की इच्छा जताई थी, जिसका डेनमार्क ने विरोध किया है और कहा है कि यह बिकने के लिए उपलब्ध नहीं है। यह चर्चा उठी, क्योंकि बीते दिनों ट्रंप ने डेनमार्क का दौरा किया था। इस दौरान ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेडे ने उनके सामने डेनमार्क से आजाद होने की इच्छा जाहिर की थी, क्योंकि गीनलैंड पर अभी डेनमार्क का कब्जा है।
वहीं अगर ट्रंप ग्रीनलैंड को खरीदते हैं तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। 12.5 बिलियन डॉलर से लेकर 77 बिलियन डॉलर (6 लाख करोड़ रुपये) देने पड़ेंगे। इससे पहले साल 1946 में अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने डेनमार्क को ग्रीनलैंड के लिए 100 मिलियन डॉलर का सोना ऑफर किया था, लेकिन डेनमार्क ने प्रस्ताव ठुकरा दिया था। ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, लेकिन यह कोई महाद्वीप नहीं है, बल्कि यूरोप में आता है।
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ग्रीनलैंड को क्यों कब्जाना चाहता है अमेरिका?
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, साल 1700 से ही ग्रीनलैंड पर डेनमार्क का कब्जा है। साल 2009 में ग्रीनलैंड को डेनमार्क से आजाद होने का अधिकार मिला, लेकिन क्योंकि ग्रीनलैंड अमेरिका और रूस के बॉर्डर पर बसा देश है, इसलिए अमेरिका ग्रीनलैंड को सुरक्षा की नजर से अहम मानता है। रणनीतिक रूप से सबसे जरूरी जगह मानता है। शीतयुद्ध के समय अमेरिका ने ग्रीनलैंड में एक रडार बेस बनाया था। इसके अलावा ग्रीनलैंड में दुनिया के दुर्लभ खनिजों का भंडार है। इनमें बैटरियां और हाई-टेक डिवाइस बनाए जा सकते हैं।
ग्रीनलैंड 21.6 लाख वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला है। 80 प्रतिशत ग्रीनलैंड बर्फ की चादर से ढका है। यहां जाने के लिए वैसे तो समुद्री जहाज एकमात्र रास्ता है। साल 2024 के आखिर में राजधानी नुउक में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट खोला गया था, जिससे जून 2025 से यूनाइटेड एयरलाइंस की सप्ताह में 2 बार नेवार्क से नुउक तक फ्लाइट उड़ती है। ग्रीनलैंड में पश्चिमी तट पर एक बंदरगाह है, जो अमेरिका के समुद्र जहाजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
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डेनमार्क ने दिया अमेरिका को खास ऑफर
रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के मंसूबों के बारे में पता चलते ही डेनमार्क में हड़कंप मच गया। डेनमार्क ने एक मैसेज भेजकर अमेरिका को ऑफर दिया है। डेनमार्क ने यह स्पष्ट रूप से कह दिया है कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है, लेकिन अगर अमेरिका अपना सैन्य तंत्र यहां मजबूत करना चाहता है तो इसके लिए परमिशन दी जा सकता है, लेकिन वह ग्रीनलैंड को डेनमार्क से आजाद कराकर कब्जा नहीं सकता। डेनमार्क टेबल पर अमेरिका के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है, लेकिन ग्रीनलैंड की आजादी पर बात नहीं होगी।