डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाली अमेरिकी सरकार द्वारा H-1B वीजा नीति में बदलाव के बीच, कनाडा खुद को विदेशी टेक कर्मचारियों के लिए एक नए विकल्प के रूप में पेश कर रहा है, जो पहले अमेरिका जाना पसंद करते थे.
इसका सबसे बड़ा असर भारतीयों पर पड़ सकता है, जो एच-1बी वीज़ा प्रणाली के सबसे बड़े लाभार्थी हैं. कनाडा अपनी आव्रजन नीतियों की समीक्षा कर रहा है और वैश्विक तकनीकी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए खुद को अमेरिका के विकल्प के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा है.
भारतीयों को लुभा रहा कनाडा!
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने हाल ही में संकेत दिया कि वे ऐसी प्रतिभाओं को आकर्षित करने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि कनाडा अपनी आव्रजन नीतियों की समीक्षा कर रहा है.
कार्नी ने शनिवार को लंदन में संवाददाताओं से कहा, ‘यह स्पष्ट है कि यह उन लोगों को आकर्षित करने का अवसर है जिन्हें पहले तथाकथित एच-1बी वीज़ा मिलता था.’ उन्होंने आगे कहा कि इनमें से कई कर्मचारी तकनीकी क्षेत्र में हैं और काम के लिए बाहर जाने को तैयार हैं.
ट्रंप ने बढ़ाई H1b वीजा की फीस
पिछले हफ़्ते, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए एच-1बी वीज़ा आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर का भारी शुल्क लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिससे अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत विदेशी कर्मचारियों, खासकर भारतीय समुदाय, जो एच-1बी वीज़ा धारकों में 72% से ज़्यादा हैं, में खलबली मच गई.
ट्रंप के इस कदम से मौजूदा एच-1बी वीज़ा धारकों की स्थिति को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई. व्हाइट हाउस ने बाद में स्पष्ट किया कि यह शुल्क केवल 21 सितंबर, 2025 के बाद नए आवेदनों पर ही लागू होगा. अपने आदेश में, अमेरिकी प्रशासन ने एच-1बी वीजा के “दुरुपयोग” और “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा” का हवाला देते हुए शुल्क को उचित ठहराया.
कार्नी ने लंदन में कहा कि कनाडा सरकार अब इस तरह की प्रतिभाओं को अपने यहां लाने पर विचार कर रही है और इस बारे में “स्पष्ट प्रस्ताव” रखेगी.
यह भी पढ़ें- ‘इस रिश्ते को कोई खतरा नहीं’, भारत-रूस आर्थिक साझेदारी पर सर्गेई लावरोव का बयान
ब्रिटेन और जर्मनी जैसे अन्य देश भी वैश्विक तकनीकी क्षेत्र के उन कर्मचारियों के लिए खुद को अमेरिका के विकल्प के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें अमेरिका में प्रवेश के लिए अब कड़े नियमों का सामना करना पड़ रहा है.
वैंकूवर सन ने सरे स्थित बी.सी.-इंडिया बिज़नेस नेटवर्क के संस्थापक विवेक सावकुर के हवाले से कहा, ‘कनाडा इस आकर्षक अवसर पर नीतियों को एकीकृत कर सकता है’.